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केरल के छात्रों पर डीयू प्रोफेसर की टिप्पणी पर विवाद, जानें पूरा घटनाक्रम - केरल के छात्रों पर प्रोफेसर की टिप्पणी

डीयू के प्रोफेसर की केरल के छात्रों पर टिप्पणी पर विवाद थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है. राजनीतिक पार्टियों की छात्र इकाई लगातार इस मामले पर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. पढ़िए आखिर डीयू प्रोफेसर ने ऐसी क्या टिप्पणी की और छात्र इकाइयों की मांग क्या है.

NSUI का विरोध प्रदर्शन
NSUI का विरोध प्रदर्शन
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Published : Oct 8, 2021, 6:50 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर द्वारा केरल से आए छात्रों के ज्यादा एडमिशन पर दिए गए बयान के बाद शुरू हुआ हंगामा खत्म होने के बजाए और बढ़ रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोडीमल कॉलेज के बाहर कांग्रेस पार्टी की छात्र इकाई एनएसयूआई ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने प्रोफेसर राकेश कुमार पांडेय के पोस्टर भी जलाए.

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे एनएसयूआई दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कुणाल सहरावत ने प्रोफेसर राकेश कुमार पांडे को तत्काल बर्खास्त करने के साथ इस मामले में शिक्षा मंत्रालय से भी हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि छात्रों को एक शिक्षक द्वारा कथित रूप से जिहाद कहना दुर्भाग्यपूर्ण है. शिक्षकों को छात्रों को पढ़ाने का काम करना चाहिए, ना कि इस तरीके से ओछे बयान देकर राजनीति करनी चाहिए.

NSUI का विरोध प्रदर्शन

इस बयान को लेकर प्रोफेसर को केरल के छात्रों से माफी मांगनी होगी. एनएसयूआई के साथ ही एआईएसए ( aisa) ने भी इसे नफरत फैलाने का हथकंडा करार दिया है. AISA अध्यक्ष अभिज्ञान ने आरोप लगाया कि राइट विंग के लोग लगातार नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं. इससे पहले लव जिहाद, UPSC जिहाद और अब यह लोग 'मार्क्स जिहाद' जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं.

प्रोफेसर के विवादित बयान को लेकर SFI के उपाध्यक्ष उत्कर्ष ने भी किरोड़ीमल कॉलेज और NDTF से पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर राकेश कुमार पांडे के बयान की निंदा की. साथ ही उन्हें बर्खास्त करने की मांग की.

aisa और SFI का विरोध प्रदर्शन

ये भी पढ़ें- डीयू : पहली कटऑफ में ही आधी सीट फुल, रजिस्ट्रार ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

क्या है मामला

दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2021 - 22 के लिए दाखिले की प्रक्रिया चल रही है. पहली कटऑफ के आधार पर स्नातक पाठ्यक्रम के 70 हज़ार सीट पर 60 हज़ार से अधिक छात्रों ने एडमिशन के लिए आवेदन किया है. वहीं इसमें विश्वविद्यालय प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक 2300 से अधिक केरल बोर्ड के छात्रों ने एडमिशन सुनिश्चित करा लिया है .

वहीं अगर संख्या की बात करें तो बीए ऑनर्स पॉलिटिकल साइंस हिंदू कॉलेज में 250 छात्रों ने एडमिशन के लिए आवेदन किया. इनमें अधिकतर छात्र केरल बोर्ड ऑफ एजुकेशन के हैं, जबकि कुछ ही छात्र राजस्थान बोर्ड और CBSE से है. वहीं रामजस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मनोज खन्ना ने बताया कि बीकॉम और बीकॉम ऑनर्स में अधिकतर छात्र केरल बोर्ड के हैं.

ये भी पढ़ें- DU प्रोफेसर की केरल के छात्रों पर टिप्पणी, सांसद ने केंद्रीय शिक्षामंत्री को लिखा पत्र

दिल्ली विश्वविद्यालय के द्वारा निर्धारित की गई कटऑफ में जो भी छात्र आता है, उसे एडमिशन मिल जाता है. बेशक वह किसी भी बोर्ड से ही क्यों न आता हो. मालूम हो कि केरल बोर्ड से चार हज़ार से अधिक छात्रों ने एडमिशन के लिए पंजीकरण किया है.

केरल के स्टूडेंट्स की अधिकता पर NDTF के पूर्व अध्यक्ष और किरोडीमल कॉलेज के प्रोफेसर राकेश कुमार पांडे ने कथित रूप से टिप्पणी करते हुए इसे मार्क्स जिहाद करार दिया था. प्रोफेसर राकेश कुमार पांडेय ने पूरे मामले में जांच की मांग करते हुए कहा था कि इनमें से अधिकांश छात्र न तो हिंदी में सहज हैं और न ही अंग्रेजी में. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इन सभी छात्रों के 11वीं क्लास में शत-प्रतिशत अंक नहीं हैं, लेकिन 12वीं में शत प्रतिशत अंक हैं.

ये भी पढ़ें- DU प्रोफेसर की टिप्पणी पर शशि थरूर का पलटवार, कहा- एंटी केरला बायस को खत्म करो

प्रोफेसर राकेश कुमार पांडेय ने पूरे प्रकरण पर केरल सरकार पर भी निशाना साधा था. उनके मार्क्स जिहाद वाले कथित बयान के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन की सरगर्मी, छात्र संगठनों की राजनीति में ढ़लती दिख रही है. अलग-अलग संगठनों की प्रतिक्रियाओं से लग रहा है कि मामला जल्द शांत होता नहीं दिख रहा .

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर द्वारा केरल से आए छात्रों के ज्यादा एडमिशन पर दिए गए बयान के बाद शुरू हुआ हंगामा खत्म होने के बजाए और बढ़ रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोडीमल कॉलेज के बाहर कांग्रेस पार्टी की छात्र इकाई एनएसयूआई ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने प्रोफेसर राकेश कुमार पांडेय के पोस्टर भी जलाए.

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे एनएसयूआई दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कुणाल सहरावत ने प्रोफेसर राकेश कुमार पांडे को तत्काल बर्खास्त करने के साथ इस मामले में शिक्षा मंत्रालय से भी हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि छात्रों को एक शिक्षक द्वारा कथित रूप से जिहाद कहना दुर्भाग्यपूर्ण है. शिक्षकों को छात्रों को पढ़ाने का काम करना चाहिए, ना कि इस तरीके से ओछे बयान देकर राजनीति करनी चाहिए.

NSUI का विरोध प्रदर्शन

इस बयान को लेकर प्रोफेसर को केरल के छात्रों से माफी मांगनी होगी. एनएसयूआई के साथ ही एआईएसए ( aisa) ने भी इसे नफरत फैलाने का हथकंडा करार दिया है. AISA अध्यक्ष अभिज्ञान ने आरोप लगाया कि राइट विंग के लोग लगातार नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं. इससे पहले लव जिहाद, UPSC जिहाद और अब यह लोग 'मार्क्स जिहाद' जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं.

प्रोफेसर के विवादित बयान को लेकर SFI के उपाध्यक्ष उत्कर्ष ने भी किरोड़ीमल कॉलेज और NDTF से पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर राकेश कुमार पांडे के बयान की निंदा की. साथ ही उन्हें बर्खास्त करने की मांग की.

aisa और SFI का विरोध प्रदर्शन

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क्या है मामला

दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2021 - 22 के लिए दाखिले की प्रक्रिया चल रही है. पहली कटऑफ के आधार पर स्नातक पाठ्यक्रम के 70 हज़ार सीट पर 60 हज़ार से अधिक छात्रों ने एडमिशन के लिए आवेदन किया है. वहीं इसमें विश्वविद्यालय प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक 2300 से अधिक केरल बोर्ड के छात्रों ने एडमिशन सुनिश्चित करा लिया है .

वहीं अगर संख्या की बात करें तो बीए ऑनर्स पॉलिटिकल साइंस हिंदू कॉलेज में 250 छात्रों ने एडमिशन के लिए आवेदन किया. इनमें अधिकतर छात्र केरल बोर्ड ऑफ एजुकेशन के हैं, जबकि कुछ ही छात्र राजस्थान बोर्ड और CBSE से है. वहीं रामजस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मनोज खन्ना ने बताया कि बीकॉम और बीकॉम ऑनर्स में अधिकतर छात्र केरल बोर्ड के हैं.

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दिल्ली विश्वविद्यालय के द्वारा निर्धारित की गई कटऑफ में जो भी छात्र आता है, उसे एडमिशन मिल जाता है. बेशक वह किसी भी बोर्ड से ही क्यों न आता हो. मालूम हो कि केरल बोर्ड से चार हज़ार से अधिक छात्रों ने एडमिशन के लिए पंजीकरण किया है.

केरल के स्टूडेंट्स की अधिकता पर NDTF के पूर्व अध्यक्ष और किरोडीमल कॉलेज के प्रोफेसर राकेश कुमार पांडे ने कथित रूप से टिप्पणी करते हुए इसे मार्क्स जिहाद करार दिया था. प्रोफेसर राकेश कुमार पांडेय ने पूरे मामले में जांच की मांग करते हुए कहा था कि इनमें से अधिकांश छात्र न तो हिंदी में सहज हैं और न ही अंग्रेजी में. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इन सभी छात्रों के 11वीं क्लास में शत-प्रतिशत अंक नहीं हैं, लेकिन 12वीं में शत प्रतिशत अंक हैं.

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