नई दिल्लीः गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) की परिसीमन रिपोर्ट पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार (Delhi Pradesh Congress Committee President Chaudhary Anil Kumar) ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही है. चौधरी अनिल का आरोप है कि दिल्ली नगर निगम के वार्ड परिसीमन की फाइनल रिपोर्ट भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की मौन सहमति से बनाई गई है.
अनिल कुमार ने कहा कि परिसीमन रिपोर्ट को जब ड्राफ्ट रिपोर्ट की तरह जस का तस ही बनाकर पब्लिक के सामने लाना था तो फिर दिल्ली की जनता से सुझाव और शिकायतें मांग कर चुनाव आयोग ने गुमराह क्यों किया गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस ने ड्राफ्ट परिसीमन की गहन समीक्षा करके चुनाव आयोग के समक्ष 168 शिकायत/सुझाव जमा किए थे, परंतु चुनाव आयोग ने उन पर कोई विचार न करके सभी गृह मंत्रालय को भेज दिए और भाजपा को फायदा पहुंचाने वाली परिसीमन रिपोर्ट का नोटिफिकेशन जारी कर दिया.
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा परिसीमन रिपोर्ट पूरी तरह भाजपा और आम आदमी पार्टी की रिपोर्ट है न कि चुनाव आयोग की रिपोर्ट. उन्होंने कहा कि भाजपा ने निगम चुनाव टालने के लिए जिस मंशा से परिसीमन की कार्यवाही की थी, परिसीमन रिपोर्ट जारी होने के बाद वह पूरी हो गई है. जबकि 15 वर्षों के शासन में भाजपा हर मोर्चे पर विफल रही.
उन्होंने कहा कि परिसीमन में 22 वार्ड कम किए है. उसके लिए सभी 70 विधानसभाओं का स्वरुप बदलना किसी न किसी साजिश के तहत किया गया है. परिसीमन में दलित और अल्पसंख्यक बहुल वार्डों में उनकी जनसंख्या को छिन्न-भिन्न करके इन समुदायों को कमजोर करके इनके वोट के महत्व को खत्म करने की कोशिश की गई है. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों की जनसंख्या को विधानसभा के अंदर इस प्रकार से समायोजित किया है ताकि यह समुदाय चुनाव में निर्णायक भूमिका न निभा सके. उन्होंने कहा कि परिसीमन रिपोर्ट आने के बाद भाजपा का दलित विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी और सरकारी एजेंसियों को दुरुपयोग करने वाला चेहरा उजागर हो चुका है.
अनिल कुमार ने कहा कि परिसीमन की फाइनल रिपोर्ट में प्रति वार्ड जनसंख्या 65,675 तथा (10% +/-) से कम या अधिक की तर्ज पर सिर्फ 140 वार्ड ही रखे गए है. 23 वार्ड परिसीमन रिपोर्ट में ऐसे है जिनकी जनसंख्या 80 हजार से भी अधिक है, जबकि ड्राफ्ट परिसीमन में इन वार्डों की संख्या 32 थी. फाईनल रिपोर्ट में फार्मूले के खिलाफ सबसे कम जनसंख्या वाला मुंडका विधानसभा का कंज्ञावला वार्ड 40,467 का है जबकि सबसे अधिक जनसंख्या वाला त्रिलोक पुरी विधानसभा का वार्ड मयूर विहार फेस-1 वार्ड 88878 का है.
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उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस ने वार्डों में जनसंख्या के भारी असामनता के खिलाफ परिसीमन ड्राफ्ट पर भी सवाल खड़े किए थे, परंतु स्थिति में कोई बदलाव नही किया गया. उन्होंने कहा कि दलित बहुल जनसंख्या वाली विधानसभाओं त्रिलोकपुरी, कोंडली, मंगोलपुरी, सीमापुरी आदि विधानसभाओं में वार्डों की संख्या 4 होनी चाहिए थी जबकि दलित समुदाय की आवाज को दबाने के लिए 3-3 वार्ड किए गए. इसके उलट भाजपा और आम आदमी पार्टी के विधायक वाले कम जनसंख्या वाली विश्वास नगर और पटपड़गंज विधानसभा में एक-एक वार्ड बढ़ाकर 4-4 वार्ड कर दिए गए है. इसी प्रकार अल्पसंख्यक बहुल समुदाय की विधानसभाओं मुस्तफाबाद, सीलमपुर, बाबरपुर, ओखला आदि विधानसभाओं में अल्संख्यक समुदाय को अलग-थलग किया गया है.