नई दिल्ली: निजामुद्दीन स्थित मरकज़ की जिस बिल्डिंग के चलते सैकड़ों लोग कोरोना संक्रमित हुए और हजारों पर खतरा मंडराया उस बिल्डिंग के अवैध होने की शिकायत कई सालों से की जा रही थी. सत्यमेव जयते फाउंडेशन नाम की एक संस्था ने 2014 में ही बिल्डिंग में हो रहे अवैध निर्माण की शिकायत की थी. हालांकि इतने सालों से ये बिल्डिंग स्थिर खड़ी है.
1995 में पास हुआ था नक्शा
जानकारी के मुताबिक, बिल्डिंग का नक्शा 1995 में पास हुआ था. उस समय दिल्ली में एक ही निगम थी. तय नियमों के तहत इसमें निर्माण कार्य भी हुआ लेकिन साल-दर-साल इसमें बदलाव होते रहे. बिल्डिंग के फ्लोर बढ़ते गए और इसी क्रम में तमाम नियमों की धज्जियां भी उड़ गईं.
2014 में ही की गई थी शिकायत
सत्यमेव जयते फाउंडेशन नाम की संस्था ने साल 2014 में साउथ एमसीडी के सेंट्रल जोन में इसकी शिकायत दी थी. जोन के डिप्टी कमिश्नर को कहा गया था कि यहां धर्म की आड़ में नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं. इसमें बिल्डिंग की लंबाई का भी जिक्र था. कार्रवाई की मांग के बावजूद इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई, इसका जवाब देने के लिए कोई अधिकारी मौजूद नहीं है.
कार्रवाई का हवाला
उधर निगम में स्टैंडिंग कमिटी के डिप्टी चेयरमेन राजपाल पहले ही मान चुके हैं कि ये बिल्डिंग अवैध है. उन्होंने इस दिशा में अधिकारियों को जांच कर बिल्डिंग को सील कर देने की भी बात कही थी. अब चेयरमैन भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि मामले में फ़ाइल खंगाली जा रही हैं. गुप्ता की माने तो इसमें कानून के तहत जो कार्रवाई की जा सकती होगी, वो जरूर की जाएगी.