नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री राम जेठमलानी का रविवार को निधन हो गया. देश के कई नामी-गिरामी मामलों की इन्होंने अदालत में पैरवी की.
दिल्ली की सत्ता में प्रचंड बहुमत से आई AAP की केजरीवाल सरकार के छोटे से कार्यकाल में भी राम जेठमलानी ने खेवनहार की भूमिका निभाई. कम समय में भी राम जेठमलानी ने सरकार के साथ होकर बड़ी रोचक भूमिका अदा की.
दिल्ली की सत्ता में जब केजरीवाल सरकार आई थी तो कुछ समय बाद साल 2016 में पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद की ओर से डीडीसीए (दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन) में भ्रष्टाचार के मामले की शिकायत की थी.
इस शिकायत के आधार पर अरविंद केजरीवाल सरकार ने डीडीसीए के तत्कालीन अध्यक्ष अरुण जेटली के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मामले की जांच कराने के आदेश दिए थे. जिसके बाद अरुण जेटली ने केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया था.
सरकारी खजाने से तकरीबन 3.41 करोड़ रुपये फीस दी
इस मुकदमे के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राम जेठमलानी को वकील चुना था. हालांकि कुछ समय बाद अरविंद केजरीवाल ने अरुण जेटली के खिलाफ दायर मुकदमे को लेकर माफी मांग ली.
इस पूरे प्रकरण में अरविंद केजरीवाल के वकील बने राम जेठमलानी को केजरीवाल सरकार ने सरकारी खजाने से तकरीबन 3.41 करोड़ रुपये फीस के तौर पर भुगतान किया था. जिसको बीजेपी ने मुद्दा बनाया कि केजरीवाल अपनी व्यक्तिगत लड़ाई के लिए सरकारी खजाने का दुरुपयोग कर रही है.
केजरीवाल सरकार पर विपक्ष ने लगाए थे आरोप
केजरीवाल से यह पूछा जाने लगा कि क्या राम जेठमलानी के साथ दिल्ली सरकार ने कोई करार किया है? क्योंकि केजरीवाल ने खुद हलफनामा देकर कोर्ट में कहा था कि यह निजी मामला है.
इस पर विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने भी केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि केजरीवाल पहले बिना किसी सबूत के बड़ी हस्तियों पर अपमानजनक बयान देकर उनकी मानहानि करते हैं और मामला जब अदालत में चला जाता है तो वो स्वयं को जेल जाने से बचाने के लिए दिल्ली वालों के टैक्स का पैसा मुकदमा लड़ने पर खर्च करने की कोशिश करते हैं.
आरोपों से बचाने में मुख्य भूमिका निभाई
इन आरोपों से घिरे केजरीवाल सरकार को बचाने में राम जेठमलानी ने मुख्य भूमिका निभाई थी. शायद इसी का नतीजा है कि उनके निधन के चंद मिनट बाद ही केजरीवाल ने शोक संदेश भेजा और उन्हें श्रद्धांजलि दी.