नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने जब देश में अपना कहर बरपाया तब से स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल न हो इसके लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने इस महामारी से बचने के लिए लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया. कई चरणों में लॉकडाउन लगे. इस बीच सभी स्कूल, कॉलेज अन्य संस्थान बंद रहे. बच्चे ऑनलाइन मोड में पढ़ाई करते रहे. हालांकि, इस दौरान कोविड से कई बच्चों ने अपनी मां तो कोई अपने पिता को खोया. वहीं, कई बच्चों के सिर से मां-पिता दोनों का साथ छुट गया. इन बच्चों पर खाने का संकट के साथ शिक्षा को बरकरार रखना अहम चुनौती बनी, लेकिन दिल्ली सरकार ने ऐसे बच्चों की पहचान करने के लिए शिक्षा विभाग को निर्देश दिए.
सरकार ने ऐलान किया कि जिन बच्चों ने कोविड के दौरान अपने माता-पिता को खोया. पैसे की तंगी के चलते उनकी शिक्षा पर कोई असर नहीं पड़ेगा. छात्र जहां पढ़ रहा है. वहां छात्रों को मुफ्त में पढ़ाई कराई जाएगी. इस संबंध में शिक्षा विभाग ने एक परिपत्र जारी किया है. विभाग में अपने परिपत्र में कहा है कि कोरोना के दौरान माता पिता खोने वाले बच्चों को मुफ्त में शिक्षा मिलती रहेगी.
जानिए, शिक्षा विभाग ने क्या कहा: शिक्षा विभाग ने अपने परिपत्र में कहा कि सरकारी जमीन और निजी जमीन पर बने स्कूल, जहां ऐसे छात्र पढ़ रहे हैं, जिन्होंने अपने माता पिता खो दिए. उनकी पूरी फीस माफ की जाएगी. साथ ही जो बच्चे अनाथ है, उनकी भी फीस माफ होगी. शिक्षा विभाग ने सभी जिला के उप निदेशकों को आदेश दिया है कि वह समय-समय पर यह सुनिश्चित करें कि बच्चों को शिक्षा मिलने में किसी तरह की कोई कठिनाई तो पैदा नहीं हो रही है.
ये भी पढ़े: 74th Republic Day 2023 : गणतंत्र दिवस पर पहली आदिवासी राष्ट्रपति ने ली सलामी
ईडब्ल्यूएस, डीजी कैटेगरी में होंगे यह छात्र: शिक्षा विभाग के परिपत्र के अनुसार, निजी और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नर्सरी से आठवीं तक के छात्रों को ईडब्ल्यूएस, डीजी कैटेगरी में शामिल किया जाए. अगर कोई स्कूल ऐसा करने से मना करता है तो शिक्षा विभाग ऐसे स्कूल पर सख्त कार्रवाई कर सकता है. वहीं, 9वीं से 12वीं क्लास के छात्र को फ्रीशिप कैटेगरी में शामिल किया जाए.
ये भी पढ़े: 74th Republic Day 26 Jan : गणतंत्र दिवस पर 901 पुलिसकर्मियों को पुलिस पदक