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मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को हाईकोर्ट में चुनौती, केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस

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Published : Dec 4, 2020, 10:48 PM IST

मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को लागू करने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है और जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

chief minister's door-to-door ration scheme challenged in the high court
दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को लागू करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकारी राशन डीलर्स संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया.

'डीलर्स को नजरअंदाज किया गया'

हाईकोर्ट ने केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय, दिल्ली सरकार और दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील पुनीत जैन, आनंद जैन और ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि इस योजना को लाइसेंसी उचित मूल्य के डीलर्स को नजरअंदाज कर स्वीकृति दी गई है. याचिका में कहा गया है कि इस योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में जरूरी संशोधन नहीं किया गया है.

'लाभार्थियों को सीधे अनाज पहुंचाने की योजना'

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन की ओर से पिछले अक्टूबर में जारी टेंडर को निरस्त करने की मांग की गई है. इस टेंडर में गेहूं और चावल की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और उनका परिवहन गोडाउन से लेकर सीधे घर तक करने की योजना है. दिल्ली सरकार ने इस योजना को पिछले 21 जुलाई को घोषित किया था. इस योजना के तहत गेहूं, आटा, चावल और चीनी के पैकेट लाभार्थियों के घरों तक सीधे पहुंचाया जाएगा. याचिका में कहा गया है कि ये योजना उचित मूल्य के डीलर्स के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिका में इस योजना को रोकने की मांग की गई है.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को लागू करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकारी राशन डीलर्स संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया.

'डीलर्स को नजरअंदाज किया गया'

हाईकोर्ट ने केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय, दिल्ली सरकार और दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील पुनीत जैन, आनंद जैन और ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि इस योजना को लाइसेंसी उचित मूल्य के डीलर्स को नजरअंदाज कर स्वीकृति दी गई है. याचिका में कहा गया है कि इस योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में जरूरी संशोधन नहीं किया गया है.

'लाभार्थियों को सीधे अनाज पहुंचाने की योजना'

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन की ओर से पिछले अक्टूबर में जारी टेंडर को निरस्त करने की मांग की गई है. इस टेंडर में गेहूं और चावल की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और उनका परिवहन गोडाउन से लेकर सीधे घर तक करने की योजना है. दिल्ली सरकार ने इस योजना को पिछले 21 जुलाई को घोषित किया था. इस योजना के तहत गेहूं, आटा, चावल और चीनी के पैकेट लाभार्थियों के घरों तक सीधे पहुंचाया जाएगा. याचिका में कहा गया है कि ये योजना उचित मूल्य के डीलर्स के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिका में इस योजना को रोकने की मांग की गई है.

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