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दिल्ली दंगा: सरंक्षित गवाहों के बयान बढ़ा सकते हैं आरोपियों की मुश्किलें - कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत

उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे मामले में पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में कई गवाहों के बयान का जिक्र है.चार्जशीट में इस बात का भी जिक्र है कि कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, खालिद सैफी समेत अन्य नेताओं ने सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था.

north east Delhi Riots
दिल्ली दंगा
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Published : Oct 4, 2020, 1:16 PM IST

नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लगभग 17000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है. जिसमें कई बड़े खुलासे किए गए हैं. चार्जशीट में कुछ संरक्षित गवाहों के बयानों का भी जिक्र है जिसमें गवाहों ने आरोपियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए जिसके बाद हिंसा भड़क गई.

कोर्ट में चार्जशीट दाखिल
पूरी प्लानिंग के साथ भड़काई गई हिंसा
स्पेशल सेल द्वारा कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में कई गवाहों के बयान का जिक्र है. जिन्होंने अपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा-161 के तहत अपने बयान दर्ज कराए हैं. गवाहों ने अपने बयान में कहा है कि प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने ना केवल एंटी सीएए के खिलाफ भाषण दिए. बल्कि सरकार और देश के खिलाफ भी जनता को भड़काने का काम किया.

संरक्षित गवाहों में से एक ने अपने बयान में कहा कि खालिद सैफी और अन्य स्थानीय नेताओं ने खुरेजी खास इलाके में सीएए का विरोध शुरू किया था. विरोध प्रदर्शन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया के कुछ छात्रों ने वहां रहने के लिए आसपास के इलाकों में कमरे भी किराए पर लिए थे. 26 फरवरी को जब वहां नेता भड़काऊ भाषण दे रहे थे, तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए भी कहा था. लेकिन रुकने के बजाय स्थानीय नेताओं ने पुलिस के साथ लड़ाई शुरू कर दी. जिसके बाद वहां हिंसा भड़क गई.


धर्म विशेष के खिलाफ दिया भड़काऊ भाषण

स्पेशल सेल की चार्जशीट में इस बात का भी जिक्र है कि कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, खालिद सैफी समेत अन्य नेताओं ने सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था. भड़काऊ भाषण का मुख्य उद्देश्य लोगों के मन में एक दूसरे समुदाय के प्रति नफरत पैदा करना था. जिससे दंगे भड़क सके.

नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लगभग 17000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है. जिसमें कई बड़े खुलासे किए गए हैं. चार्जशीट में कुछ संरक्षित गवाहों के बयानों का भी जिक्र है जिसमें गवाहों ने आरोपियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए जिसके बाद हिंसा भड़क गई.

कोर्ट में चार्जशीट दाखिल
पूरी प्लानिंग के साथ भड़काई गई हिंसा
स्पेशल सेल द्वारा कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में कई गवाहों के बयान का जिक्र है. जिन्होंने अपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा-161 के तहत अपने बयान दर्ज कराए हैं. गवाहों ने अपने बयान में कहा है कि प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने ना केवल एंटी सीएए के खिलाफ भाषण दिए. बल्कि सरकार और देश के खिलाफ भी जनता को भड़काने का काम किया.

संरक्षित गवाहों में से एक ने अपने बयान में कहा कि खालिद सैफी और अन्य स्थानीय नेताओं ने खुरेजी खास इलाके में सीएए का विरोध शुरू किया था. विरोध प्रदर्शन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया के कुछ छात्रों ने वहां रहने के लिए आसपास के इलाकों में कमरे भी किराए पर लिए थे. 26 फरवरी को जब वहां नेता भड़काऊ भाषण दे रहे थे, तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए भी कहा था. लेकिन रुकने के बजाय स्थानीय नेताओं ने पुलिस के साथ लड़ाई शुरू कर दी. जिसके बाद वहां हिंसा भड़क गई.


धर्म विशेष के खिलाफ दिया भड़काऊ भाषण

स्पेशल सेल की चार्जशीट में इस बात का भी जिक्र है कि कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, खालिद सैफी समेत अन्य नेताओं ने सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था. भड़काऊ भाषण का मुख्य उद्देश्य लोगों के मन में एक दूसरे समुदाय के प्रति नफरत पैदा करना था. जिससे दंगे भड़क सके.

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