पिछली सुनवाई की दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) का स्वामित्व 2011 में यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया गया. एजेएल नेशनल हेराल्ड और यंग इंडियन दोनों की मालिकाना कंपनी है जो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नियंत्रण में है. मेहता ने कहा था कि एजेएल का स्वामित्व ट्रांसफर करने के पीछे लाभ कमाने की मंशा थी. हेराल्ड हाउस से एजेएल केवल किराया वसूली का काम करती थी जबकि ये अखबार छापने के लिए लीज पर दी गई थी. हेराल्ड हाउस से करोड़ों रुपये के किराये की वसूली होती है.
'लीज के लिए चार शर्तें होती हैं'
एजेएल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि लीज के निर्धारण के लिए चार शर्तें होती हैं. बिक्री, बंधक, गिफ्ट या उसके अलावा कुछ और. इसमें उसके अलावा का ये मतलब शेयरों की बिक्री नहीं निकाला जाना चाहिए. लीज के अनुबंधों के मुताबिक अभी भी लीज एजेएल के पास है. शेयरहोल्डिंग पैटर्न बदलने का मतलब ट्रांसफर नहीं है. एजेएल का सरकार के साथ लीज का मतलब एजेएल के अखबार नेशनलहेराल्ड के सर्कुलेशन की मात्रा या उसकी संपादकीय नीतियों से नहीं है.
हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश
एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने दिल्ली के हेराल्ड हाउस को खाली करने के दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी है. 21 दिसंबर 2018 को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को दो हफ्ते के भीतर हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया था.
नेहरुवादी नीतियों के विरोध
केंद्र सरकार ने 30 अक्टूबर 2018 को हेराल्ड हाउस खाली करने के लिए 15 नवंबर 2018 तक का समय दिया था. एजेएल ने केंद्र सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के समक्ष याचिका दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार का ये फैसला राजनीति से प्रेरित है. भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की नेहरुवादी नीतियों के विरोध की वजह से ये फैसला लिया गया है.
नेशनल हेराल्ड से संबंधित एक और मामला
नेशनल हेराल्ड से संबंधित एक और मामला पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहा है. पटियाला हाउस कोर्ट में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने याचिका दायर की है. याचिका के मुताबिक एजेएल नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है. कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011को इसकी 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था.
5 लाख रुपये से बनी यंग इंडियन कंपनी
इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई. जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है. बाकी की 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास है. इसके बाद एजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर नयी बनायी कंपनी यंग इंडियन को दे दिए गए. जिसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था. 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए. बाद में कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ़ कर दिया. जिससे यंग इंडियन को एजेएल का स्वामित्व मिल गया.