नई दिल्लीः उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने जिन 11 लोगों के जाली पासपोर्ट प्राप्त करने के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है. उनके मामले में यह जानकारी भी सामने आई है कि उन्होंने जाली पासपोर्ट की मदद से अमेरिका, यूएई, जॉर्डन, हैती, ओमान और कनाडा की यात्रा की.
इसके साथ ही इन आरोपितों निवास स्थान के बारे में भी एलजी कार्यालय ने जानकारी साझा की है. इसके अनुसार 2007 के मामले में चार आरोपी पंजाब के कपूरथला निवासी करमजीत सिंह उर्फ गोल्डी, तीन आरोपी दिल्ली निवासी नरेश पाल, केवल किशन और विनय कुमार (एजेंट) हैं. ऐसा आरोप है कि करमजीत सिंह, जो अलग नाम पर यात्रा कर रहा था को अमेरिका के लिए आव्रजन मंजूरी के दौरान पकड़ा गया.
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उसके पासपोर्ट की जांच करने पर पाया गया कि पासपोर्ट पर चिपकाए गए यूएस वीज़ा की तस्वीर गलत थी. पूछताछ के दौरान उसने खुलासा किया कि उसका असली नाम करमजीत है और वह गोरख नाम के एक एजेंट की मदद से केवल किशन नाम के एक अन्य व्यक्ति के पासपोर्ट पर यात्रा कर रहा था. यह पाया गया कि सह-अभियुक्त नरेश पाल और एजेंट विनय कुमार ने सह अभियुक्त केवल किशन का पासपोर्ट प्राप्त करने में उसकी मदद की. अभी तक इस एजेंट गोरख का पता नहीं चल सका है.
जिस मामले में 2014 में एफआईआर दर्ज की गई थी, उसमें हरियाणा के कुरूक्षेत्र के मूल निवासी हरजिंदर सिंह को हैती का फर्जी वीजा मुहैया कराने वाले एजेंट हरनेक सिंह निवासी जालंधर पंजाब के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दे दी गई है. हरजिंदर सिंह ने 30 अक्टूबर 2019 को आत्मसमर्पण कर दिया था और उसके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है. उसका अंतिम गंतव्य देश अमेरिका था. एजेंट यादवेंद्र सिंह भामा उर्फ रूबी का पता नहीं चल सका है.
किरण शर्मा उर्फ किरण वैभव अग्रवाल उर्फ ट्रेश अमृतलाल भगत, निवासी मोहाली पंजाब के खिलाफ 2015 में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसने धोखाधड़ी से तीन भारतीय पासपोर्ट प्राप्त किए थे. आरोपी वैंकूवर (कनाडा) से अप्रवासन के लिए निर्वासित के रूप में आया था. आरोपियों को मुंबई पासपोर्ट कार्यालय से अलग-अलग नामों से दो पासपोर्ट जारी किए गए थे. चारों एजेंट ओम प्रकाश चतुर्वेदी, किरण वैभव अग्रवाल उर्फ राज उर्फ असलम पांचाल, अमित उर्फ बावा (33) और आरिफ का पता नहीं चल पाया है.
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2017 में पंजाब के जालंधर और कपूरथला निवासी राहुल चौहान और एजेंट निरंजन सिंह उर्फ फौजी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. चौहान पासपोर्ट खो जाने और वीजा नहीं होने के आधार पर आपातकालीन प्रमाणपत्र पर अबू धाबी (यूएई) के माध्यम से शिकागो, अमेरिका से आव्रजन मंजूरी के लिए निर्वासित के रूप में पहुंचे थे.
जांच के दौरान आरोपी ने खुलासा किया कि एक एजेंट की मदद से उसने 31 जनवरी 2012 को अपने भाई के पासपोर्ट पर मैक्सिको की यात्रा की और उसके बाद अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश किया. यह पाया गया कि 20 मार्च 2012 को आरपीओ, जालंधर, पंजाब द्वारा उसकी अनुपस्थिति में उसके नाम पर पासपोर्ट जारी किया गया था.
2016 में बेंगलुरु की एक महिला नागमणि कृष्णा चारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. वह ओमान (यूएई) से निर्वासित के रूप में पहुंची थी. वह सबसे पहले 2001 में खाजा फातिमा बेगम के नाम से फर्जी पासपोर्ट पर ओमान गई थी. उनकी उपरोक्त यात्रा के दौरान उन्हें ओमान द्वारा काली सूची में डाल दिया गया था. इसके बाद वर्ष 2011 में उसके अपने नाम पर एक पासपोर्ट जारी किया गया. वह फिर से अपने पासपोर्ट पर ओमान गई लेकिन उसे निर्वासित कर दिया गया क्योंकि उसे पहले काली सूची में डाल दिया गया था. शुरुआत में उसने एजेंट का नाम खाजा हुसैन बताया, हालांकि बाद में उसने एजेंट का नाम मकबूल बताया. उसने खाजा हुसैन से शादी की थी, जिसकी मृत्यु हो चुकी है और एजेंट मकबूल का कोई पता नहीं चल पाया है.
पंजाब के रहने वाले जसप्रीत सिंह और सह-आरोपी सुरेंद्र सिंह उर्फ शिंटा का नाम 2016 की एफआईआर में है. जसप्रीत सिंह एक आपातकालीन प्रमाण पत्र पर मस्कट (यूएई) के माध्यम से जॉर्डन से आव्रजन मंजूरी के लिए पहुंचे थे. पूछताछ के दौरान, जसप्रीत सिंह ने खुलासा किया कि सह-आरोपी सुरेंद्र सिंह उर्फ शिंटा ने 26 दिसंबर 2016 को उसके पासपोर्ट पर यात्रा की थी. इस प्रकार दोनों ने भारतीय आव्रजन को धोखा दिया.
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