नई दिल्लीः कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज ब्लैक फंगस के मुद्दे पर गंभीरता जाहिर करते हुए केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र भेजा है. क्योंकि लिपोसोमल साल्ट जिससे ब्लैक फंगस के इंजेक्शन बनते हैं की कीमत लगभग 7 हजार रुपये है और ब्लैक फंगस से पीड़ित व्यक्ति के इलाज के लिए इसकी जरूरत होती है.
उन्होंने आग्रह किया है कि जो फार्मा कंपनियां ब्लैक फंगस की इंजेक्शन बना रही हैं. सरकार उनसे बात करके इंजेक्शनों की कीमतों को कम करवाए, जिससे ब्लैक फंगस से संक्रमित आम आदमी भी अपना इलाज करा सके. वर्तमान में, सिप्ला, भारत सीरम, सीलोन लैब्स, मायलन लैबोरेटरीज, एबॉट लेबोरेटरीज आदि इस इंजेक्शन का निर्माण कर रही है.
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इलाज महंगा होने का यह है कारण...
पत्र में कहा है कि ब्लैक फंगस के इलाज के लिए पूरे देश में डॉक्टरों द्वारा निर्धारित एम्बोटेरिसिन बी-50 मिलीग्राम इंजेक्शन की कमी है. वहीं विभिन्न राज्यों में ब्लैक फंगस के मामलों में वृद्धि हुई है और इन इंजेक्शनों की मांग अचानक काफी हद तक बढ़ गई है. जबकि इन इंजेक्शनों की मांग लगभग न के बराबर थी और इस इंजेक्शन को बनाने वाली फार्मा कंपनियां केवल निर्यात के लिए ही इन इंजेक्शनों को बना रही थी.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि भारतीय फार्मा उद्योग लगातार सरकार और लोगों को कोरोना महामारी के मौजूदा संकट में अपना सहयोग दे रहा है. हम उम्मीद करते हैं कि ब्लैक फंगस के इलाज को सस्ता बनाने के लिए फार्मा कंपनियां निश्चित रूप से आगे आएंगी.