नई दिल्ली: सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए बीएसईएस ने अपने इलाके में सौर ऊर्जा प्लांट को बढ़ावा देते हुए 28 सौ से अधिक रूफटॉप सोलर प्लांट को नेट मीटरिंग कनेक्शन से जोड़ दिया है. जिसके बाद इन सौर ऊर्जा प्लांट की क्षमता 90 हजार किलो वाट बिजली उत्पादन करने की हो गई है.
खत्म हुई ग्रिड पर निर्भरता
सौर ऊर्जा प्लांट लगाने वाले कई उपभोक्ताओं की ग्रेड की बिजली पर निर्भरता खत्म या काफी कम हो चुकी है. ग्रिड की बिजली के बिना ही वे अपने घर को रोशन कर रहे हैं. साथ ही खुद के इस्तेमाल के बाद बची बिजली को वो बीएसईएस को बेचकर डीआईआरसी द्वारा अप्रूव दरों पर पैसे भी कमा रहे हैं. बीएसईएस इन पैसों को बिजली उपभोक्ताओं के बिजली बिल में एडजस्ट कर रही है.
है काफी संभावनाएं..
दिल्ली में सौर ऊर्जा प्लांट विकसित करने की काफी संभावनाएं हैं. दिल्ली सोलर पॉलिसी के मुताबिक दिल्ली में साल में करीब 300 दिन धूप खिलती है और यहां सोलर पैनल के लिए 31 वर्ग किलोमीटर की जगह उपलब्ध है. इतनी जगह में 25 सौ मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो सकता है. 1 किलो वाट के रूफटॉप सोलर कनेक्शन से उपभोक्ता ग्रिड की बिजली की खपत में 90 से 120 यूनिट तक की कमी ला सकते हैं.
यहां लगे रूफटॉप सोलर पैनल
बीएसईएस के प्रवक्ता के मुताबिक बीएसईएस दक्षिणी, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी दिल्ली में सौर ऊर्जा के प्लांट को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है. घरेलू उपभोक्ता ही नहीं बल्कि शैक्षिक व धार्मिक संस्थाओं जैसे रेलवे स्टेशन, मेडिकल कॉलेज जेल आदि सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं ने सोलर पावर प्लांट लगाए हैं.
जिन प्रमुख संस्थाओं ने सोलर पावर प्लांट लगाए हैं उनमें मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, वसंत वैली स्कूल, लोटस टेंपल और श्री अरविंदो आश्रम प्रमुख रूप से शामिल है. इसके साथ ही दिल्ली के कई सोसायटी में भी सोलर पावर प्लांट लगाए गए हैं, जहां सोलर पावर का उत्पादन हो रहा है.