नई दिल्ली: गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी रोकने के लिए इंडेन गैस की ओर से ऐसी पहल की जा रही है, जिससे रसोई का सिलेंडर किसी दुकान, होटल या रेस्त्रां संचालक को ब्लैक में नहीं बेचा जा सकेगा. कालाबाजारी रोकने के लिए कंपनी बार कोड का सहारा ले रही है. दिल्ली में कृषि विहार और कालकाजी स्थित दो गैस एजेंसियों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है. जल्द इसे देशभर में लागू किया जाएगा.
एजेंसी से संबंधित एक कर्मचारी ने बताया कि हर ग्राहक को आपूर्ति किए जाने वाले सिलेंडर पर एक बार कोड होगा. सिलेंडर डिलीवरी करने के दौरान इसे स्कैन किया जाएगा, जिससे कंपनी के पास यह डेटा पहुंच जाएगा कि वह सिलेंडर किस कस्टमर को दिया गया है. अगली बार जब दूसरा सिलेंडर डिलीवर होगा तो डिलीवरी ब्वॉय पुराने वाले बार कोड को स्कैन करके यह सुनिश्चित करेगा कि यह वही सिलेंडर है जो ग्राहक को पहले दिया गया था.
इस तरह से कोई भी ग्राहक अपना गैस सिलेंडर दूसरे व्यक्ति को बेच या दे नहीं पाएगा. गैस बुकिंग कराने के बाद डिलीवरी के दौरान ग्राहक की जो रसीद बनती है उस पर दर्ज बार कोड और सिलेंडर पर दर्ज बार कोड समान होंगे. यानी एजेंसी से निकलने के साथ ही यह तय हो जाएगा कि कौन सा सिलेंडर किस ग्राहक के पास जाएगा और डिलीवरी ब्वॉय आपका सिलेंडर किसी अन्य व्यक्ति को नहीं दे पाएगा.
इसलिए की गई यह पहलः 14.2 किलो वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत लगभग 11 सौ रुपये होती है. वहीं, 19 किलो वाले कामर्शियल सिलेंडर की कीमत करीब 2000 रुपये होती है. इसी फर्क का फायदा उठाकर कालाबाजारी करने वाले लोग होटल और ढाबों में घरेलू सिलेंडर काे ऊंचे दाम पर बेचते हैं. इसके चलते घरेलू उपभोक्ताओं को एडवांस बुकिंग कराने के बावजूद काफी देर से सिलेंडर मिलता है.
कालाबाजारी रोकने का दावाः कालाबाजारी में कुछ एजेंट और एजेंसी के वेंडर भी शामिल होते हैं. वहीं, कुछ ग्राहक भी ऊंचे दाम पर अपने सिलेंडर बेच देते हैं. शादी या अन्य समारोह में लोग सिलेंडर शेयर भी कर देते हैं, जिससे कंपनी के कामर्शियल सिलेंडर की बिक्री कम होती है. जबकि, घरेलू सिलेंडर की किल्लत बनी रहती है. इससे कंपनी को राजस्व का नुकसान होता है. गली-कूचे में गैस भरने वाले अवैध एजेंट भी घरेलू सिलेंडर की गैस कामर्शियल सिलेंडर में भरकर बेच देते हैं.
डिस्ट्रीब्यूटर एक सिलेंडर पर 200-250 रुपए का फायदा लेकर अवैध एजेंट को बेच देते हैं. एजेंट घरेलू सिलेंडर की गैस कामर्शियल सिलेंडर में भरकर 1300 से 1600 रुपए में बेच देते हैं. इससे होटल-ढाबे वालों के प्रति सिलेंडर 400-500 रुपए बच जाते हैं. जबकि, एजेंट को प्रति सिलेंडर 400 से 500 रुपये मिल जाते हैं.
यह भी पढ़ेंः H3N2 Virus influenza: कोरोना ने प्रतिरोधक क्षमता को किया कमजोर, हावी हो रहा H3N2 वायरस