नई दिल्ली: केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर दिल्ली की सियासत में घमासान मचा हुआ है. आम आदमी पार्टी ने जहां इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट का अपमान बताया है, वहीं बीजेपी के नेता इसका स्वागत कर रहे हैं. दिल्ली बीजेपी प्रदेश कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आने के बाद प्रक्रिया के तहत काम बढ़ना था, मगर केजरीवाल सरकार के मंत्री यह तय करके बैठे थे कि अधिकारी बदलेंगे. सर्विसेज सेक्रेटरी आशीष मोरे और विजिलेंस अधिकारी राजशेखर को हटाने का ऑर्डर निकाला गया जो अधिकारी दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार की जांच करने वाले थे.
15 मई को सौरभ भारद्वाज ने उन अधिकारियों से फाइल छीनना शुरू कर दिया. 16 मई की रात तीन बजे अधिकारियों के दफ्तरों के ताले तोड़कर कागजों की फोटोकॉपी ली गई. इसमें शीशमहल, शराब घोटाले और फीडबैक यूनिट की फाइलें थीं. 17 मई को फिर आशीष मोरे की जगह एके सिंह को नियुक्त करने की फाइल एलजी को भेजी जाती है. उसी दिन फाइल अप्रूव कर एलजी ने सिविल सर्विसेज बोर्ड के पास भेज दी.
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फाइल पास होने के बाद 18 मई को केजरीवाल घोषणा करते हैं कि मुख्य सचिव को बदलेंगे. सरकारी अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के नियम हैं. मगर झूठ बोलना और चालाकी करना ठीक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की आड़ में प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहे हैं. आशीष मोरे की फाइल पास होने के बाद सौरभ भारद्वाज 19 मई को कहते हैं कि अब तक उन्हें नहीं बदला गया है. शुक्रवार को पांच मंत्री एलजी के यहां धरने पर बैठ गए. बाद में सौदेबाजी करने मुख्यमंत्री अकेले पहुंचे. ये सरकार इस हद तक गिर चुकी है. लगभग 10 से 12 दिन पहले बड़े मीडिया हाउस के खिलाफ नोटिस बनाए जाते हैं. उनकी बिल्डिंग को सील करने की धमकी दी जाती है. बिजली-पानी काटने की धमकी दी जाती है. मीडिया हाउस को नोटिस भी भेजा गया. मनीष सिसोदिया ने अधिकारियों के सामने स्वीकार किया है कि 2 फोन खत्म किए हैं आगे और भी खुलासा करेंगे.
वहीं इस पूरे मामले पर बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार बौखलाई हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस ओर इशारा किया था. सभी ने देखा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अधिकारियों से कैसे बातें करते हैं. मनोज तिवारी ने कहा कि कि अरविंद केजरीवाल पहले कोई विभाग तो संभालिए तभी तो कुछ पता चलेगा. 28 मई को नई संसद मिल जाएगी, उसके बाद नया सेशन शुरू होगा. तब तक पता नहीं ये क्या-क्या कर देते, इसीलिए अध्यादेश बहुत जरूरी था. यह सरकार खुद की गलती होती है धरना दे देती है और इनके मंत्री, विधायक गुंडागर्दी करते है. अधिकारियों के साथ बदतमीजी से बात करते हैं. उन्हें जबरन डरा-धमका रहे हैं और कई मीडिया हाउसेस को भी इन लोगों ने धमकी दी है. प्रेस कॉन्फ्रेंस नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी, दिल्ली प्रदेश प्रवक्ता और बीजेपी नेता संजीव कपूर भी मौजूद रहे. वहीं दक्षिणी दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने भी इस अध्यादेश का समर्थन करते हुए इसे दिल्ली के हित में बताया है.