नई दिल्ली: दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने आज 69 हजार करोड रुपए का बजट पेश किया है. जिसमें परिवहन सुविधा की बेहतरी के लिए भी कई घोषणाएं की गई है. मनीष सिसोदिया द्वारा पेश बजट को दिल्ली की जनता के साथ धोखा बताते हुए बीजेपी के रोहिणी से विधायक विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार की परिवहन विभाग में घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं और दिल्ली सरकार आंखें मूंदकर बैठी है.
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'दोषियों को मिले सख्त से सख्त सजा'
विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि परिवहन विभाग में इतने बड़े पैमाने पर घोटाला हो रहा है. परिवहन विभाग में हो रहे घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर आज हम सभी विधायक बजट सत्र के बाद उपराज्यपाल से मिले और अपनी मांगें रखीं. उपराज्यपाल ने भी हमें भरोसा दिलाया है कि इस पूरे मामले की समुचित जांच होगी और जो भी अधिकारी इस मामले में दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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'तीन महीने तक नही अपलोड हुए मिनट्स'
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए रोहिणी के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि एक हजार सीएनजी लो फ्लोर बस खरीदने का आर्डर पास हुआ था जिसमें बड़ा घोटाला हुआ है. 27 नवंबर 2020 को डीटीसी बोर्ड की मीटिंग में यह फैसला हुआ था और जो मीटिंग के मिनट्स थे वह साढ़े 3 महीने तक डीटीसी की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुए. सोमवार को विधानसभा में भाजपा के विधायकों ने जब यह मुद्दा उठाया तो चुपके से सोमवार की रात को डीटीसी की वेबसाइट पर मिनट्स को अपलोड कर दिया गया. जिससे यह साबित होता है कि कहीं न कहीं इन बसों की खरीद में बड़ा घोटाला हुआ है.
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'रख-रखाव के नाम हो रहा घोटाला'
विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि डीटीसी की वेबसाइट पर अपलोड मिनट्स को मैंने पढ़ा तो यह पता चला कि बसों की खरीद 3 साल की वारंटी पर हुई थी. लेकिन उसके बाद एक और टेंडर किया गया साढ़े 3 हजार करोड़ का इन बसों की मरम्मत के लिए. जिसे एनुअल मेंटिनेस कांटेक्ट का नाम दिया गया. लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि जब बसे 3 साल के वारंटी में है तो फिर इन बसों की रख-रखाव के लिए एनुअल मेंटिनेस कांट्रैक्ट क्यों किया गया. यह सरासर घोटाला है और इसमें कई अधिकारी मिले हुए हैं.
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'सरकार ने बार-बार बदले फैसले'
विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि एक हजार बसों की खरीद के लिए टेंडर जारी किए गए थे लेकिन फिर दिल्ली सरकार ने कहा कि हम साढ़े 1200 बसें खरीदेंगे. मामला यहीं तक नहीं थमा. अगली मीटिंग में ढाई सौ अतिरिक्त बस खरीदने का फैसला वापस ले लिया गया. दिल्ली सरकार हमें बताए आखिर यह क्या मामला है कि टेंडर जारी होता है एक हजार बसों का तो वहीं 1250 बसें खरीदने की योजना बनती है और अगली मीटिंग में यह फैसला रद्द हो जाता है.