नई दिल्ली: दिल्ली में सतर्कता के विशेष सचिव के रूप में तैनात एजीएमयूटी-कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वाईवीवीजे राजशेखर को बड़ी राहत मिली है. उनके खिलाफ शिकायतों की जांच कर रही उच्च स्तरीय समिति ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया. समिति ने कहा कि अधिकारी पर लगाए गए सारे आरोप निराधार और मनगढ़ंत थे. राजशेखर के खिलाफ आधे दर्जन से अधिक शिकायतों की जांच कर रही समिति के अनुसार, निलंबित आईएएस अधिकारी उदित प्रकाश राय और उनकी पत्नी शिल्पी राय द्वारा अधिकारी के खिलाफ लगाए गए आरोप मनगढ़ंत और निराधार थे.
जानें क्या था मामला: उदित प्रकाश राय और उनकी पत्नी शिल्पी राय के अलावा, एवी प्रेमनाथ, जिन्हें अब गृह मंत्रालय ने अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया है ने राजशेखर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. निलंबित अधिकारी राजशेखर पर धमकी देने, परेशान करने, सत्ता का दुरुपयोग करने और ऐसे अन्य कृत्यों में शामिल होने का आरोप लगाया था. राजशेखर के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए सितंबर में सेवा और गृह विभागों के प्रमुख सचिवों और सतर्कता निदेशालय के सचिव की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया.
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एफआईआर भी की गई थी दर्ज: समिति ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में बाधा उत्पन्न करने के लिए जानबूझकर शिकायतें की गई. समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि अभिनव समाज के अध्यक्ष जीके गुप्ता ने वास्तव में बताया है कि उन्होंने राजशेखर के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं की है. कश्यप ने इस साल 16 जून को अपनी एफआईआर में कहा है कि उन्होंने राजशेखर के खिलाफ मेल के माध्यम से शिकायत दर्ज नहीं कराई है और आगे यह भी उल्लेख किया है कि यह सब प्रेमनाथ, दानिक्स द्वारा किया गया था.
समिति ने यह भी पाया कि दिल्ली भीम आर्मी भारत एकता मिशन के अध्यक्ष हिमांशु बाल्मीकि द्वारा राजशेखर के खिलाफ लगाए गए आरोप सामान्य प्रकृति के हैं, यानी 100 योग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी करने में देरी (अनुकंपा) नौकरियों में घोटाला, एससी/एसटी विरोधी रवैया आदि जैसे आरोप हैं. समिति ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता दीपक ने आरोप लगाया है कि उसे राजशेखर द्वारा परेशान किया जा रहा है क्योंकि उसे पता चला है कि वह प्रेमनाथ को उसके पुलिस नेटवर्क के माध्यम से जानता है.