नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र (Shiv Shankar Jyotish Evam Vastu Anusandhan Kendra) के आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) के मुताबिक भाई बहनों का सबसे प्रसिद्ध त्योहार भैया दूज 27 अक्टूबर गुरुवार को मनाया जाएगा. दोपहर 12:10 बजे तक विशाखा नक्षत्र होने से प्रवर्धन योग बनता है. उसके पश्चात अनुराधा नक्षत्र आता है.
गुरुवार को अनुराधा नक्षत्र में आनन्द योग बनता है और विष्कुंभ आदि 27 योगों में इस दिन सौभाग्य योग भी प्रातः काल 7:25 बजे से पूरे दिन रहेगा. इन विशिष्ट योगों में मनाया जाने वाला भैया दूज का त्योहार भाइयों और बहनों के लिए मधुरता, प्रेम, समृद्धि का कारक है. यह पर्व अति विशिष्ट महत्व रखता है.
भैया को तिलक करने की मुहूर्त
- प्रातः 8:06 बजे से 10:24 बजे तक वृश्चिक लग्न (स्थिर लग्न)
- मध्यान्ह 11:24 बजे से 12:36 बजे तक विशिष्ट अभिजीत मुहूर्त
- 14:10 बजे से 15:38 बजे तक कुंभ लग्न स्थिर लग्न
- शाम 18:36 बजे से 20:35 बजे तक वृषभ लग्न (स्थिर लग्न)
इन बातों का रखें ध्यान
भाई दूज के दिन तिलक करते समय भाई का मुंह उत्तर या उत्तर- पश्चिम में से किसी एक दिशा की ओर होना चाहिए. वहीं, बहन का मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. साथ ही, ऐसा भी कहते हैं कि भाइयों के तिलक करने से पहले बहनों को कुछ खाना नहीं चाहिए. इस दिन दोनों भाई और बहन ध्यान रखेंगे.
काला एवं नीला वस्त्र धारण ना करें. बहन अपने भाई को तामसिक भोजन (लहसुन और प्याज से युक्त भोजन) न कराएं. साथ ही बैगन एवं कद्दू का भी खाना निषेध है. इस दिन केवल मीठा भोजन किया जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा. इसके साथ बहनें खास ध्यान रखे कि भाई से मिले उपहार का निरादर न करें. भैया दूज के दिन बहन-भाई एक-दूसरे से किसी भी तरह का झूठ नहीं बोलें.
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विश्वकर्मा पूजा का होगा पूजन
भैया दूज के इस पावन पर्व के साथ-साथ विश्वकर्मा पूजन भी होगा. औद्योगिक संस्थानों में यद्यपि 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती मनाने की परंपरा चल रही है, लेकिन ज्योतिषीय और शास्त्रीय लेखों के अनुसार विश्वकर्मा पूजन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को को मनाया जाता है. इसलिए विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में कार्य करने वाले उद्योगपति, कर्मचारी और मजदूर अपने संस्थान में विश्वकर्मा पूजन करते हैं और वर्ष भर व्यापार वृद्धि की कामना करते हैं. भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार कहा गया है. सृष्टि की रचना से लेकर सृष्टि को चलाने के लिए सही उपादानों के कारक भगवान विश्वकर्मा ही है.
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