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सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन बदलनी होगी मरीजों की बेडशीट, हर वार्ड के बाहर चस्पा करना होगा ड्यूटी रोस्टर - स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज

दिल्ली सरकार के अस्पतालों की हालत को दुरुस्त करने की कवायद तेज कर दी गई है. स्वास्थ्य मंत्री के निरीक्षण के बाद विशेष सचिव ने सभी अस्पतालों को बेडशीट के साथ-साथ साफ-सफाई का खास ख्याल रखने का आदेश दिया है. साथ ही डॉक्टरों का ड्यूटी रोस्टर तैयार कर बोर्ड पर लगाने का निर्देश दिया है.

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Published : Mar 17, 2023, 4:49 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने राजधानी के तीन बड़े अस्पतालों का दौरा कर अव्यवस्थाओं को सात दिन के अंदर दूर करने का निर्देश दिया. इससे संबंधित आदेश भी जारी कर दिया गया है. स्वास्थ्य मंत्री के रात को किए गए दौरे के समय अस्पतालों में मरीजों के बेड पर गंदी बेडशीट, मरीजों को इमरजेंसी में शिफ्ट करने के लिए स्ट्रेचर व मैनपावर की कमी और इमरजेंसी में रात के समय किसी भी सीनियर डॉक्टर की तैनाती न होने जैसी कमियां पाईं गईं थीं. साथ ही मरीजों को अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी देने के लिए पर्याप्त साइन बोर्ड भी नहीं लगे हुए थे.

अब विशेष सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विजेंद्र सिंह रावत ने दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों और सोसाइटी के अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक व चिकित्सा निदेशकों को सात दिन के अंदर इन सारी कमियों को दूर कर स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं. विशेष सचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सभी अस्पताल यह सुनिश्चित करें कि मरीजों की बेडशीट प्रतिदिन बदली जाए. इसके अलावा सभी विभागों में तैनात डॉक्टरों व अन्य कर्मियों का नियमित ड्यूटी रोस्टर बनाकर वार्ड के बाहर चस्पा करें.

यह भी पढ़ेंः अब्दु रोजिक ने 'वेरी चालाक ब्रो' की प्रस्तुति से प्रशंसकों को किया झूमने पर मजबूर

डॉक्टरों का ड्यूटी रोस्टर बनाने का आदेशः गायनी के वार्ड और ऑपरेशन थिएटर के बाहर भी डॉक्टर व अन्य कर्मियों का ड्यूटी रोस्टर चस्पा करें. डॉक्टरों का ड्यूटी रोस्टर इस तरह से बनाया जाए कि रात के समय इमरजेंसी में एक सीनियर डॉक्टर की तैनाती अवश्य रहे. इसके अलावा इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के इलाज का उचित प्रबंध करने के लिए अस्पताल एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करें.

निरीक्षण के दौरान नहीं मिले थे सीनियर डॉक्टरः स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने 14 मार्च की रात जीटीबी, जग प्रवेश चंद्र और अरुणा आसफ अली अस्पताल का दौरा किया था. इस दौरान किसी भी अस्पताल की इमरजेंसी में एक भी सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं था. इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी रेजिडेंट व जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर ही उठा रहे थे. साथ ही इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को शिफ्ट करने के लिए स्ट्रेचर और हेल्पर भी नहीं थे. परिजन खुद ही मरीजों को उठाकर इमरजेंसी में शिफ्ट कर रहे थे. इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने नाराजगी जाहिर की थी.

नई दिल्ली: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने राजधानी के तीन बड़े अस्पतालों का दौरा कर अव्यवस्थाओं को सात दिन के अंदर दूर करने का निर्देश दिया. इससे संबंधित आदेश भी जारी कर दिया गया है. स्वास्थ्य मंत्री के रात को किए गए दौरे के समय अस्पतालों में मरीजों के बेड पर गंदी बेडशीट, मरीजों को इमरजेंसी में शिफ्ट करने के लिए स्ट्रेचर व मैनपावर की कमी और इमरजेंसी में रात के समय किसी भी सीनियर डॉक्टर की तैनाती न होने जैसी कमियां पाईं गईं थीं. साथ ही मरीजों को अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी देने के लिए पर्याप्त साइन बोर्ड भी नहीं लगे हुए थे.

अब विशेष सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विजेंद्र सिंह रावत ने दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों और सोसाइटी के अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक व चिकित्सा निदेशकों को सात दिन के अंदर इन सारी कमियों को दूर कर स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं. विशेष सचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सभी अस्पताल यह सुनिश्चित करें कि मरीजों की बेडशीट प्रतिदिन बदली जाए. इसके अलावा सभी विभागों में तैनात डॉक्टरों व अन्य कर्मियों का नियमित ड्यूटी रोस्टर बनाकर वार्ड के बाहर चस्पा करें.

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डॉक्टरों का ड्यूटी रोस्टर बनाने का आदेशः गायनी के वार्ड और ऑपरेशन थिएटर के बाहर भी डॉक्टर व अन्य कर्मियों का ड्यूटी रोस्टर चस्पा करें. डॉक्टरों का ड्यूटी रोस्टर इस तरह से बनाया जाए कि रात के समय इमरजेंसी में एक सीनियर डॉक्टर की तैनाती अवश्य रहे. इसके अलावा इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के इलाज का उचित प्रबंध करने के लिए अस्पताल एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करें.

निरीक्षण के दौरान नहीं मिले थे सीनियर डॉक्टरः स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने 14 मार्च की रात जीटीबी, जग प्रवेश चंद्र और अरुणा आसफ अली अस्पताल का दौरा किया था. इस दौरान किसी भी अस्पताल की इमरजेंसी में एक भी सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं था. इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी रेजिडेंट व जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर ही उठा रहे थे. साथ ही इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को शिफ्ट करने के लिए स्ट्रेचर और हेल्पर भी नहीं थे. परिजन खुद ही मरीजों को उठाकर इमरजेंसी में शिफ्ट कर रहे थे. इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने नाराजगी जाहिर की थी.

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