नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली के बवाना के लाल फ्लैटों में रहने वाले लोग को पानी के लिए दूसरे के मोहताज हैं. उनका कहना है कि हम आर्थिक रूप से मजबूत नही हैं किपानी खरीद कर पी सकें. पानी की कमी होने पर आसपास के गांव से पानी लेकर आते है और गुजारा करते हैं.
पानी को तरस रहे लोग
बवाना के लोगों का कहना है कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने राजीव गांधी आवास योजना के फ्लैटों का वितरण किया था. लेकिन यहां दी जाने वाली सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया. राजीव गांधी आवास योजना के तहत ओद्योगिक कामगारों को मकान आवंटन किया गया. डीएसआईडीसी ने भी औपचारिकता पूर्ण कर पल्ला झाड़ लिया. दिल्ली को स्लम मुक्त बनाने की दिशा में शिला दीक्षित सरकार ने ये बड़ा कदम उठाया था. दिल्ली को स्लम मुक्त शहर बनाने के मक़सद से कमजोर वर्ग के लोगो के लिये कम लागत के मकान बनवा लोगों को दिए गए.
साइकिल पर पानी ढोकर लाने को मजबूर
लाल फ़्लैट के नाम से मशहूर फ्लैटों में रहने वाले लोगों ने बताया आर्थिक तंगी के चलते साइकिल से आसपास के गांव से पीने को पानी ढोकर लाते हैं. हमें काफी तकलीफ उठानी पड़ती है, जिनके पास पैसा है वो पानी खरीद लेते हैं और उतने ही पानी से गुजारा करते हैं.
केजरीवाल से लगी उम्मीद भी टूटी
पानी को तरसते लोगो ने बताया कि हमारे विकास पर किसी भी सरकार ने ध्यान नही दिया, लेकिन जब केजरीवाल सरकार सत्ता में आयी तो उम्मीद जागी कि आम आदमी के विकास की बात करने वाले मुख्यमंत्री केजरीवाल अब हमें भी राहत पहुचायेंगे. चार सालों के इंतजार के बाद अब मुख्यमंत्री से लगी उम्मीद भी टूटने लगी हैं. स्थानीय लोगों का कहना कि मुख्यमंत्री केजरीवाल हर जगह भाषण में दिल्ली वासियों को पानी मुफ्त देने की बात करते हैं. तो क्या हम उनकी दिल्ली के वासी नही हैं. केजरीवाल ने हमें मुफ्त पानी की सुविधा अभी तक मुहैय्या क्यों नहीं कराई.
बोरिंग का पानी पहुंचा रहा सेहत को नुकसान
मूलभूत सुविधाओं की बाट देख रहे लोगो का कहना है कि हम बोरिंग का खारा पानी का उपयोग कर रहें हैं. इससे हमारे सेहत को भी काफ़ी असर पड़ रहा है. एक तरफ हम पानी की समस्या से परेशान हैं तो दूसरी ओर, यहां फैली गंदगी से हमें और भी ज्यादा परेशानी हो रही है. कुल मिलाकर हर तरफ से नुकसान सिर्फ हमारे सेहत को ही हो रहा है.