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दिल्ली के ट्रेड फेयर में छा गई आजमगढ़ की सवा लाख की साड़ी, जानिए विशेषताएं - आजमगढ़ की साड़ी

दिल्ली के ट्रेड फेयर में आजमगढ़ की साड़ी आकर्षक का केंद्र बनी हुई है. यह साड़ी सवा लाख की है. इस साड़ी की खासियत है कि इसमें पीताम्बरी ज़री का काम होता है.

azamgarh Sarees
सवा लाख की साड़ी
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Published : Nov 27, 2019, 8:47 AM IST

Updated : Nov 27, 2019, 10:10 AM IST

नई दिल्ली: बनारसी साड़ी का नाम तो आपने सुना होगा, कई महिलाओं ने पहनी भी होगी. इस बार ट्रेड फेयर में आकर्षक का केंद्र बनी हुई है सवा लाख की आज़मगढ़ की साड़ी. यूपी के आजमगढ़ के स्टॉल में प्रदर्शित इस साड़ी की खासियत है कि इसमें पीताम्बरी ज़री का काम होता है और इसे बनाने में तीन महीने का समय लगता है.

ट्रेंड फेयर में आजमगढ़ की साड़ी आकर्षक का केंद्र बनी

वहीं इसके विक्रेता मोहम्मद ताबिश ने बताया कि यह साड़ी मुगल काल से चली आ रही है और यह महीन कारीगरी के लिए मशहूर है. वहीं सवा लाख की साड़ी की विशेषता बताते हुए मोहम्मद ताबिश ने बताया कि इस साड़ी का ताना बाना शुद्ध रेशम से बना हुआ है. जिस पर ज़रदोज़ी का काम किया जाता है.

azamgarh Sarees
आजमगढ़ की पीताम्बरी ज़री साड़ी

25 से 30 हजार की लगती है मजदूरी
उन्होंने बताया कि इस साड़ी पर बारीक पीताम्बरी ज़री का काम किया जाता है जिसे तीन मज़दूर तीन महीने में तैयार करते हैं. यही कारण है कि 25 से 30 हज़ार रुपये केवल इसकी मजदूरी ही हो जाती है. सिल्क का फैब्रिक होने की वजह से यह साड़ियां केवल बड़े शोरूम में ही जाती है.

इसके ग्राहक बहुत ज्यादा
वहीं ताबिश ने बताया कि 350 से लेकर सवा लाख तक की साड़ियां उनके पास उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि सवा लाख की साड़ी की मांग सबसे ज्यादा थी, लेकिन स्टॉक में कमी के चलते कई ग्राहकों को निराश होना पड़ा. उन्होंने कहा कि इन साड़ियों में कॉपर का इस्तेमाल होने की वजह से भले इसका दाम अधिक हो लेकिन इसके ग्राहक बहुत ज्यादा हैं.

दोपहर में खत्म हो गई थी टिकट
बता दें कि ट्रेड फेयर में मंगलवार को 42 हज़ार से अधिक दर्शक घूमने के लिए पहुंचे थे. वहीं दोपहर के समय में ही ट्रेड फेयर की टिकट ज्यादातर मेट्रो स्टेशन पर खत्म हो गई. इसके अलावा ऑनलाइन टिकट भी दोपहर इस समय में ही खत्म हो गई थी जिसके चलते घूमने के लिए आने वाले दर्शकों को खाली हाथ लौटना पड़ा.

नई दिल्ली: बनारसी साड़ी का नाम तो आपने सुना होगा, कई महिलाओं ने पहनी भी होगी. इस बार ट्रेड फेयर में आकर्षक का केंद्र बनी हुई है सवा लाख की आज़मगढ़ की साड़ी. यूपी के आजमगढ़ के स्टॉल में प्रदर्शित इस साड़ी की खासियत है कि इसमें पीताम्बरी ज़री का काम होता है और इसे बनाने में तीन महीने का समय लगता है.

ट्रेंड फेयर में आजमगढ़ की साड़ी आकर्षक का केंद्र बनी

वहीं इसके विक्रेता मोहम्मद ताबिश ने बताया कि यह साड़ी मुगल काल से चली आ रही है और यह महीन कारीगरी के लिए मशहूर है. वहीं सवा लाख की साड़ी की विशेषता बताते हुए मोहम्मद ताबिश ने बताया कि इस साड़ी का ताना बाना शुद्ध रेशम से बना हुआ है. जिस पर ज़रदोज़ी का काम किया जाता है.

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आजमगढ़ की पीताम्बरी ज़री साड़ी

25 से 30 हजार की लगती है मजदूरी
उन्होंने बताया कि इस साड़ी पर बारीक पीताम्बरी ज़री का काम किया जाता है जिसे तीन मज़दूर तीन महीने में तैयार करते हैं. यही कारण है कि 25 से 30 हज़ार रुपये केवल इसकी मजदूरी ही हो जाती है. सिल्क का फैब्रिक होने की वजह से यह साड़ियां केवल बड़े शोरूम में ही जाती है.

इसके ग्राहक बहुत ज्यादा
वहीं ताबिश ने बताया कि 350 से लेकर सवा लाख तक की साड़ियां उनके पास उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि सवा लाख की साड़ी की मांग सबसे ज्यादा थी, लेकिन स्टॉक में कमी के चलते कई ग्राहकों को निराश होना पड़ा. उन्होंने कहा कि इन साड़ियों में कॉपर का इस्तेमाल होने की वजह से भले इसका दाम अधिक हो लेकिन इसके ग्राहक बहुत ज्यादा हैं.

दोपहर में खत्म हो गई थी टिकट
बता दें कि ट्रेड फेयर में मंगलवार को 42 हज़ार से अधिक दर्शक घूमने के लिए पहुंचे थे. वहीं दोपहर के समय में ही ट्रेड फेयर की टिकट ज्यादातर मेट्रो स्टेशन पर खत्म हो गई. इसके अलावा ऑनलाइन टिकट भी दोपहर इस समय में ही खत्म हो गई थी जिसके चलते घूमने के लिए आने वाले दर्शकों को खाली हाथ लौटना पड़ा.

Intro:नई दिल्ली ।

बनारसी साड़ी तो अक्सर सबने सुना और पहना होगा लेकिन ट्रेड फेयर में आकर्षक का केंद्र बनी हुई है सवा लाख की आज़मगढ़ की साड़ी. यूपी के आजमगढ़ के स्टॉल में प्रदर्शित इस साड़ी की खासियत है कि इसमें पीताम्बरी ज़री का काम होता है और इसे बनाने में तीन महीने का समय लगता है. वहीं इसके विक्रेता मोहम्मद ताबिश ने बताया कि यह साड़ी मुगल काल से चली आ रही है और यह महीन कारीगरी के लिए मशहूर है.


Body:वहीं सवा लाख की साड़ी की विशेषता बताते हुए मोहम्मद ताबिश ने बताया कि इस साड़ी का ताना बाना शुद्ध रेशम से बना हुआ जिसपर ज़रदोज़ी का काम किया जाता है. इस साड़ी पर बारीक पीताम्बरी ज़री का काम किया जाता है जिसे तीन मज़दूर तीन महीने में तैयार करते हैं. यही कारण है कि 25 से 30 हज़ार रुपए केवल इसकी मजदूरी ही हो जाती है. सिल्क का फैब्रिक होने की वजह से यह साड़ियां केवल बड़े शोरूम में ही जाती है.

वहीं ताबिश ने बताया कि 350 से लेकर सवा लाख तक की साड़ियां उनके पास उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि सवा लाख की साड़ी की मांग सबसे ज्यादा थी लेकिन स्टॉक में कमी के चलते कई ग्राहकों को निराश होना पड़ा. उन्होंने कहा कि इन साड़ियों में कॉपर आदि का इस्तेमाल होने की वजह से भले इसका दाम अधिक हो लेकिन इसके ग्राहक बहुत ज्यादा है.


Conclusion:बता दें कि ट्रेड फेयर में मंगलवार को 42 हज़ार से अधिक दर्शक घूमने के लिए पहुंचे थे. वहीं दोपहर के समय में ही ट्रेड फेयर की टिकट ज्यादातर मेट्रो स्टेशन पर खत्म हो गई. इसके अलावा ऑनलाइन टिकट भी दोपहर इस समय में ही खत्म हो गई थी जिसके चलते घूमने के लिए आने वाले दर्शकों को खाली हाथ लौटना पड़ा.
Last Updated : Nov 27, 2019, 10:10 AM IST
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