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Central Ordinance Issue: केजरीवाल को अब तक 64 का आश्वासन, कहां से लाएंगे शेष 56, जानिए - Central Ordinance Issue

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के अभियान पर निकले हैं. उनको कई पार्टी नेताओं से समर्थन का आश्वासन मिला है, मगर उन पार्टियों की राज्यसभा में मौजूदगी देखें तो 64 से अधिक वोट मिलते नहीं दिख रहे. जबकि अध्यादेश गिराने के लिए कम से कम 120 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी. कांग्रेस की बेरुखी उनके प्रयास पर पानी फेर रही है. फिर भी उन्होंने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है.

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Published : Jun 1, 2023, 5:27 PM IST

Updated : Jun 1, 2023, 6:30 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के ताजा अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए गुरुवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से चेन्नई में मुलाकात की. मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सर्विसेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया था. इससे अधिकारियों पर सरकार का नियंत्रण होता, लेकिन अध्यादेश लाकर इसे पलट दिया गया है.

उन्होंने कहा कि अभी हालत यह है कि अधिकारी सरकार और मंत्री की बात को नहीं सुनते. इसलिए हम चाहते हैं कि मानसून सत्र में जब इस अध्यादेश को पास कराने के लिए पेश किया जाए तो राज्यसभा में बीजेपी को बहुमत न हो. हम सभी मिलकर इस अध्यादेश का विरोध करेंगे तो यह पारित नहीं हो पाएगा. हर बीतते दिन के साथ यह कॉन्फ़िडेंस आ रहा है कि हम राज्यसभा में इसे गिरा देंगे. ऐसा कोई कारण नहीं है कि कांग्रेस समर्थन ना करे. यह (अध्यादेश) संघीय ढांचे पर हमला है.

अब जानिए राज्यसभा का अंक गणित जहां मोदी सरकार को मात देना चाहते हैं केजरीवाल...

गुरुवार से पहले अरविंद केजरीवाल कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से भी मिल चुके हैं. राज्यसभा की कुल 245 सीटों में से अभी 7 सीटें खाली हैं. यानी राज्य सभा के 238 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेते हैं तो 120 सदस्यों का वोट हासिल करना जरूरी होगा. केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के राज्यसभा में कुल 10 सदस्य हैं.

इन नेताओं ने समर्थन का किया है ऐलान.
इन नेताओं ने समर्थन का किया है ऐलान.

पार्टी चाहती है कि जुलाई में होने वाले मानसून सत्र या उसके बाद शीतकालीन सत्र में जब केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को पारित कराने के लिए संसद में पेश किया जाए तो 120 सदस्य विरोध में वोट करें. लेकिन अभी तक जिन राजनेताओं व राजनीतिक दलों से अरविंद केजरीवाल को अध्यादेश के खिलाफ समर्थन का आश्वासन मिला है, उन पार्टियों के सदस्यों की संख्या महज 64 ही बनती है. ऐसे में कम से कम 56 राज्यसभा के सदस्यों का और समर्थन आम आदमी पार्टी को जुटाना होगा.

राज्यसभा का अंकगणित जानिए.
राज्यसभा का अंकगणित जानिए.

विपक्ष में कांग्रेस के पास ज्यादा सांसदः केजरीवाल की आस कांग्रेस पर भी टिकी हुई है. राज्यसभा में कांग्रेस के 31 सदस्य हैं. केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल कांग्रेस से भी वोट करने की मांग कर रहे हैं. इस बाबत उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व राहुल गांधी से मुलाकात का समय मांगा है, लेकिन अभी तक मिला नहीं. वहीं शुक्रवार को केजरीवाल रांची में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करेंगे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो सदस्य राज्यसभा में हैं.

क्या होता है अध्यादेशः कोई भी ऐसा विषय है, जिस पर तत्काल कानून बनाने की जरूरत हो और उस समय संसद का सत्र नहीं चल रहा हो तो अध्यादेश लाया जाता है. संविधान के अनुच्छेद संख्या 123 में राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने की शक्तियों का विस्तृत से वर्णन है. अध्यादेश का प्रभाव उतना ही रहता है, जितना संसद से पारित कानून का होता है. इन्हें कभी भी वापस लिया जा सकता है.

  • AAP national convener & Delhi CM Arvind Kejriwal, Punjab CM Bhagwant Mann and other leaders of the party met Tamil Nadu CM & DMK president MK Stalin today in Chennai over the issue of Centre's Ordinance on Delhi. pic.twitter.com/TxrGQ52mC9

    — ANI (@ANI) June 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

हालांकि, अध्यादेश के जरिए आम लोगों से उनके मौलिक अधिकार नहीं छीने जा सकते. अध्यादेश केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति जारी करते हैं. कानून बनने का अधिकार संसद के पास है. ऐसे में अध्यादेश को संसद की मंजूरी लेनी होती है. अध्यादेश जारी करने के 6 महीने के भीतर संसद सत्र बुलाना और उसे पास कराना अनिवार्य है. अध्यादेश अस्थायी होता है. इसको पारित करने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी नहीं है. अध्यादेश तत्कालीन परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए जारी किए जाते हैं. इसकी अवधि कम से कम 6 सप्ताह और अधिकतम छह महीने होती है.

ये भी पढ़ेंः Central Ordinance: ममता बनर्जी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मिलने जाएंगे CM अरविंद केजरीवाल, जानें क्यों

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के ताजा अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए गुरुवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से चेन्नई में मुलाकात की. मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सर्विसेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया था. इससे अधिकारियों पर सरकार का नियंत्रण होता, लेकिन अध्यादेश लाकर इसे पलट दिया गया है.

उन्होंने कहा कि अभी हालत यह है कि अधिकारी सरकार और मंत्री की बात को नहीं सुनते. इसलिए हम चाहते हैं कि मानसून सत्र में जब इस अध्यादेश को पास कराने के लिए पेश किया जाए तो राज्यसभा में बीजेपी को बहुमत न हो. हम सभी मिलकर इस अध्यादेश का विरोध करेंगे तो यह पारित नहीं हो पाएगा. हर बीतते दिन के साथ यह कॉन्फ़िडेंस आ रहा है कि हम राज्यसभा में इसे गिरा देंगे. ऐसा कोई कारण नहीं है कि कांग्रेस समर्थन ना करे. यह (अध्यादेश) संघीय ढांचे पर हमला है.

अब जानिए राज्यसभा का अंक गणित जहां मोदी सरकार को मात देना चाहते हैं केजरीवाल...

गुरुवार से पहले अरविंद केजरीवाल कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से भी मिल चुके हैं. राज्यसभा की कुल 245 सीटों में से अभी 7 सीटें खाली हैं. यानी राज्य सभा के 238 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेते हैं तो 120 सदस्यों का वोट हासिल करना जरूरी होगा. केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के राज्यसभा में कुल 10 सदस्य हैं.

इन नेताओं ने समर्थन का किया है ऐलान.
इन नेताओं ने समर्थन का किया है ऐलान.

पार्टी चाहती है कि जुलाई में होने वाले मानसून सत्र या उसके बाद शीतकालीन सत्र में जब केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को पारित कराने के लिए संसद में पेश किया जाए तो 120 सदस्य विरोध में वोट करें. लेकिन अभी तक जिन राजनेताओं व राजनीतिक दलों से अरविंद केजरीवाल को अध्यादेश के खिलाफ समर्थन का आश्वासन मिला है, उन पार्टियों के सदस्यों की संख्या महज 64 ही बनती है. ऐसे में कम से कम 56 राज्यसभा के सदस्यों का और समर्थन आम आदमी पार्टी को जुटाना होगा.

राज्यसभा का अंकगणित जानिए.
राज्यसभा का अंकगणित जानिए.

विपक्ष में कांग्रेस के पास ज्यादा सांसदः केजरीवाल की आस कांग्रेस पर भी टिकी हुई है. राज्यसभा में कांग्रेस के 31 सदस्य हैं. केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल कांग्रेस से भी वोट करने की मांग कर रहे हैं. इस बाबत उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व राहुल गांधी से मुलाकात का समय मांगा है, लेकिन अभी तक मिला नहीं. वहीं शुक्रवार को केजरीवाल रांची में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करेंगे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो सदस्य राज्यसभा में हैं.

क्या होता है अध्यादेशः कोई भी ऐसा विषय है, जिस पर तत्काल कानून बनाने की जरूरत हो और उस समय संसद का सत्र नहीं चल रहा हो तो अध्यादेश लाया जाता है. संविधान के अनुच्छेद संख्या 123 में राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने की शक्तियों का विस्तृत से वर्णन है. अध्यादेश का प्रभाव उतना ही रहता है, जितना संसद से पारित कानून का होता है. इन्हें कभी भी वापस लिया जा सकता है.

  • AAP national convener & Delhi CM Arvind Kejriwal, Punjab CM Bhagwant Mann and other leaders of the party met Tamil Nadu CM & DMK president MK Stalin today in Chennai over the issue of Centre's Ordinance on Delhi. pic.twitter.com/TxrGQ52mC9

    — ANI (@ANI) June 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

हालांकि, अध्यादेश के जरिए आम लोगों से उनके मौलिक अधिकार नहीं छीने जा सकते. अध्यादेश केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति जारी करते हैं. कानून बनने का अधिकार संसद के पास है. ऐसे में अध्यादेश को संसद की मंजूरी लेनी होती है. अध्यादेश जारी करने के 6 महीने के भीतर संसद सत्र बुलाना और उसे पास कराना अनिवार्य है. अध्यादेश अस्थायी होता है. इसको पारित करने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी नहीं है. अध्यादेश तत्कालीन परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए जारी किए जाते हैं. इसकी अवधि कम से कम 6 सप्ताह और अधिकतम छह महीने होती है.

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Last Updated : Jun 1, 2023, 6:30 PM IST
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