नई दिल्ली: दिल्ली सरकार वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश करने जा रही है. जहां हर तबके के लोगों की निगाहें इस बजट पर टिकी हैं. वहीं थिएटर के कलाकारों की इस बजट से क्या उम्मीदें हैं इसको लेकर ईटीवी भारत ने बात की. युवा कलाकारों से जिनका कहना है कि भारत जैसे देश में जहां कला की सबसे अधिक अहमियत थी वहां अब थिएटर केवल एलीट क्लास के लिए ही सीमित रह गया है. ऐसे में वह चाहते हैं कि थिएटर का विस्तार करने के लिए सरकार इस तरफ भी ध्यान दे.
थिएटर के विस्तार के लिए सरकार से फंड की मांग
लॉकडाउन के चलते बंद हुए करीब सभी क्षेत्र सुचारू रूप से कार्यरत कर दिए गए हैं लेकिन एक क्षेत्र है जहां अब भी रौनक नहीं लौट पाई है और वह है थिएटर. ऐसे में दिल्ली सरकार द्वारा नए सत्र में पेश किए जा रहे बजट पर थिएटर आर्टिस्ट की भी निगाहें टिकी हुई है. उनकी मांग है कि इसके विस्तार के लिए सरकार पर्याप्त फंड जारी करे.
थिएटर की संख्या बढ़ाने की जरूरत
थिएटर कलाकारों का कहना है कि एक समय में भारत की संस्कृति का अहम हिस्सा माने जाने वाला थिएटर अब धीरे-धीरे लोगों के जहन से मिटता जा रहा है. आलम यह है कि नई पीढ़ी थिएटर कला से बिल्कुल अनभिज्ञ है. ऐसे में वह चाहते हैं कि इससे पहले की यह कला भारत से पूरी तरह खत्म हो जाए. सरकार थिएटर के विकास के लिए फंड दे जिससे नए थिएटर खुल सकें और यह पुरातन कला बचाई जाए. साथ ही प्रतिभाशाली युवा इसमें अपना भविष्य तलाशें.
एलीट क्लास तक ही सीमित हुआ थिएटर
एक थिएटर आर्टिस्ट का कहना है कि थिएटर एक पुरातन कला है जिसमें नाटक के जरिए समाज के आम लोगों में किसी भी मुद्दे के प्रति जागरूकता फैलाई जाती थी या किसी प्रकार का संदेश दिया जाता था. साथ ही जनता का मनोरंजन किया जाता था लेकिन आज थिएटर एक डाईंग आर्ट है जो केवल एलीट क्लास तक ही संकुचित होकर रह गई है.
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पुरातन कला को बचाना है जरूरी
कुछ थिएटर आर्टिस्ट का कहना है कि लोगों में थिएटर को लेकर जागरूकता का अभाव है और थिएटर की अहमियत किसी को नहीं पता शायद यही कारण है कि थिएटर आर्टिस्ट्स की इज्जत नहीं की जाती. जबकि बड़े पर्दे पर अपनी अदाकारी का लोहा मनवा चुके कई दिग्गज कलाकार थिएटर की ही देन है. ऐसे में दिल्ली सरकार के बजट से उन्हें उम्मीद है कि दिल्ली सरकार थिएटर का भी पुनरुद्धार करेगी और इस कला को मिटने नहीं देगी.