नई दिल्ली: गढ़ी गांव स्थित ललित कला अकादमी के रीजनल सेंटर में नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) और ललित कला अकादमी जी-20 वेस्ट टू वंडर आर्ट कैंप का आयोजन कर रही है. ललित कला अकादमी के चेयरमैन प्रो. वी. नागदास और रीजनल सेंटर की इंचार्ज डॉ. गायत्री माथुर के निर्देशन में देश भर से आए करीब दो दर्जन कलाकार कबाड़ से एक से बढ़कर एक इंस्टालेशन तैयार कर रहे हैं. उसके बाद तैयार की गई कलाकृतियों को नई दिल्ली स्थित जी-20 पार्क में स्थायी रूप से स्थापित कर दिया जाएगा.
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर आम लोगों को जी-20 समिट से जोड़ने के लिए ये पहल की गई है. इस वर्कशॉप में जी-20 देशों के राष्ट्रीय पशु व पक्षियों की कलाकृतियों को वेस्ट मैटेरियल से बनाया जा रहा है. बाद में इन कलाकृतियों को नई दिल्ली स्थित जी-20 पार्क में स्थायी रूप से लगाया जाएगा. देशवासी पार्क में लगे जी-20 देशों के राष्ट्रीय पशु पक्षियों के बारे में जान सकेंगे. यह सभी जी-20 देशों को अपनेपन का अहसास भी दिलाएगा. ललित कला अकादमी के चेयरमैन पीवी नागदास ने जी-20 के दौरान शिल्पकारों की मदद से देश के गौरव को बढ़ाने का अवसर मिलने पर खुशी जाहिर की है.
15 दिन चलेगी वर्कशॉप, देश भर से आए हैं कलाकार: कैंप में मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, केरल, उड़ीसा, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, गुजरात, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ के शिल्पकार आए हैं. इनको भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय पशु स्प्रिंगबोक व जर्मनी का राष्ट्रीय पक्षी फेडरल ईगल समेत जी-20 देशों के राष्ट्रीय पशु-पक्षियों की कलाकृतियां बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. 15 दिन में सभी इंस्टॉलेशन तैयार कर दिए जाएंगे. कार्यशाला में कुल 25 इंस्टॉलेशन बनाए जा रहे हैं. इसमें 19 देशों के राष्ट्रीय पशु पक्षी के इंस्टॉलेशन हैं. इसके अलावा जी 20 का लोगों भी बनाया जा रहा है.
एक टन से ज्यादा कबाड़ से बनाई गई कलाकृतियां: रीजनल सेंटर की इंचार्ज डॉ. गायत्री माथुर ने बताया कि इन सभी इंस्टॉलेशन को बनाने के लिए 1 टन से ज्यादा कबाड़ एनडीएमसी की तरफ से उपलब्ध कराया गया था. इसके अलावा अपनी जरूरत के अनुसार कुछ और कबाड़ का इंतजाम शिल्पकारों ने खुद भी किया है. शिल्पकारों ने इन इंस्टॉलेशन को बनाने के लिए काफी मेहनत की है. करीब 15 दिन के अंदर यह काम पूरा हो जाएगा और सभी इंस्टॉलेशन को जी 20 वेस्ट टू वंडर पार्क में स्थापित कर दिया जाएगा.
कलाकृति पर लिखी गई कलाकरों के नाम: डॉ. गायत्री माथुर ने बताया कि कलाकृतियों के माध्यम से कबाड़ को सकारात्मक रूप से डिस्पोज भी किया जा सकता है. इसके अलावा यह कलाकृतियां कई सालों तक लगी रहेंगी, जो शिल्पकारों की कला को प्रदर्शित करेंगे. उन्होंने बताया कि प्रत्येक कलाकृति पर उसे बनाने वाले कलाकार का नाम और उनके बारे में लिखा जाएगा. इस तरह से इन कलाकारों का नाम पूरी दुनिया में होगा.
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