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हाइपोथर्मिया के शिकार हो रहे बेजुबान पक्षी, इलाज के लिए पहुंच रहे अस्पताल - क्या होता है हाइपोथर्मिया

राजधानी दिल्ली में कड़कड़ाती ठंड पड़ रही है. वहीं इस ठंड की वजह से बेजुबानों पर अधिक प्रभाव पड़ रहा है. चांदनी चौक स्थित बर्ड्स अस्पताल में ठंड की चपेट में आए पक्षियों को इलाज के लिए लाया जा रहा है. इनमें कुछ पक्षी ऐसे हैं जो ठंड से उड़ नहीं पाए और कुछ प्रदूषण की मार झेलने में असमर्थ रहे. इनमें अधिकतर पक्षी में हाइपोथर्मिया की शिकायत है.

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Published : Jan 20, 2023, 9:15 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कड़कड़ाती ठंड पड़ रही है. देर शाम से ही ठंडी हवाएं चलने लगती है और तापमान में भी भारी गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे दिल्ली में ठिठुरन का एहसास हो रहा है. ठंड का असर दिल्ली के लोगों के साथ-साथ बेजुबान और पक्षियों पर भी पड़ रहा है. ठंड की वजह से जहां एक तरफ लोग गर्म कपड़े पहनकर ठंड से खुद का बचाव कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ बेजुबान ठंड की मार झेलने को मजबूर हैं. इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि चांदनी चौक स्थित बर्ड्स अस्पताल में ठंड की चपेट में आए पक्षियों को इलाज के लिए लाया जा रहा है. इनमें कुछ पक्षी ऐसे हैं जो ठंड से उड़ नहीं पाए और कुछ प्रदूषण की मार झेलने में असमर्थ रहे. इनमें अधिकतर पक्षी में हाइपोथर्मिया की शिकायत है.

क्या कहते हैं डॉक्टरः पशु चिक्तिसिक डॉ. हैरी बताते हैं कि पक्षी ठंड की चपेट में आ रहे हैं. इनमें कौवों और कबूतर की संख्या अधिक है. हालांकि दूसरे पक्षियों को भी इलाज के लिए अस्पताल लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पक्षियों में और नवजात पक्षियों में हाइपोथर्मिया की शिकायत है, जिसके चलते पक्षियों का तापमान इतना कम हो रहा है कि उन्हें बचाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि रोजाना काफी संख्या में पक्षी इलाज के लिए अस्पताल लाए जा रहे हैं. किसी दिन 50 तो किसी दिन बढ़कर 100 की संख्या को भी पार कर रहा है. वहीं, दिल्ली बायोडायवर्सिटी प्रोग्राम के इंचार्ज डॉ. फैयाज ए. खुदसर बताते हैं कि ठंड के चलते पक्षियों की चहचहाहट देर से शुरू होती है. देखने में मिलता है कि ठंड से खुद को बचाने के लिए पक्षी पत्तो को ओट में छिपे रहते हैं.

क्या होता है हाइपोथर्मियाः हाइपोथर्मिया में तापमान धीरे-धीरे गिरने लगता है. यह तब होता है जब शरीर उस गर्मी का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त गर्मी का उत्पादन करने में असमर्थ होता है, जो वह खोते जा रहा है. शरीर के तापमान को नियंत्रित करने वाले मस्तिष्क के हिस्से को हाइपोथैलेमस कहा जाता है. जब हाइपोथैलेमस शरीर के तापमान में परिवर्तन को पहचानता है, तो यह शरीर की प्रतिक्रिया को तापमान में वापस लाने की पहल करता है. शरीर कोशिकाओं में नियमित चयापचय प्रक्रियाओं के दौरान गर्मी पैदा करता है, जो महत्वपूर्ण शारीरिक कार्यों का समर्थन करता है.

ये भी पढ़ेंः Maliwal Dragged Case: स्वाति मालीवाल से छेड़छाड़ करने वाला शख्स पहले भी कर चुका है ऐसी वारदात

अधिकांश गर्मी संवहन, चालन, विकिरण और वाष्पीकरण की प्रक्रियाओं द्वारा त्वचा की सतह के माध्यम से शरीर को छोड़ देती है. यदि वातावरण ठंडा हो जाता है, तो शरीर में चमक आती है. मांसपेशियों की गतिविधि में यह वृद्धि अधिक गर्मी उत्पन्न करती है. हालांकि, अगर शरीर इसे बनाने की तुलना में अधिक तेजी से गर्मी खो देता है. जैसे ही तापमान गिरता है, शरीर गर्मी से बच निकलने वाली गर्मी को कम करने के लिए त्वचा से रक्त को बहा देता है. हाइपोथर्मिया हाइपरथर्मिया के विपरीत होता है, जिसमें ऊंचा शरीर का तापमान शामिल है और गर्मी थकावट या हीट स्ट्रोक के रूप में पेश कर सकता है.

ये भी पढ़ेंः Teachers Visit to Finland: दिल्ली सरकार ने LG के पास दोबारा भेजा प्रस्ताव, केजरीवाल बोले- जल्द मंजूरी दीजिए...

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कड़कड़ाती ठंड पड़ रही है. देर शाम से ही ठंडी हवाएं चलने लगती है और तापमान में भी भारी गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे दिल्ली में ठिठुरन का एहसास हो रहा है. ठंड का असर दिल्ली के लोगों के साथ-साथ बेजुबान और पक्षियों पर भी पड़ रहा है. ठंड की वजह से जहां एक तरफ लोग गर्म कपड़े पहनकर ठंड से खुद का बचाव कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ बेजुबान ठंड की मार झेलने को मजबूर हैं. इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि चांदनी चौक स्थित बर्ड्स अस्पताल में ठंड की चपेट में आए पक्षियों को इलाज के लिए लाया जा रहा है. इनमें कुछ पक्षी ऐसे हैं जो ठंड से उड़ नहीं पाए और कुछ प्रदूषण की मार झेलने में असमर्थ रहे. इनमें अधिकतर पक्षी में हाइपोथर्मिया की शिकायत है.

क्या कहते हैं डॉक्टरः पशु चिक्तिसिक डॉ. हैरी बताते हैं कि पक्षी ठंड की चपेट में आ रहे हैं. इनमें कौवों और कबूतर की संख्या अधिक है. हालांकि दूसरे पक्षियों को भी इलाज के लिए अस्पताल लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पक्षियों में और नवजात पक्षियों में हाइपोथर्मिया की शिकायत है, जिसके चलते पक्षियों का तापमान इतना कम हो रहा है कि उन्हें बचाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि रोजाना काफी संख्या में पक्षी इलाज के लिए अस्पताल लाए जा रहे हैं. किसी दिन 50 तो किसी दिन बढ़कर 100 की संख्या को भी पार कर रहा है. वहीं, दिल्ली बायोडायवर्सिटी प्रोग्राम के इंचार्ज डॉ. फैयाज ए. खुदसर बताते हैं कि ठंड के चलते पक्षियों की चहचहाहट देर से शुरू होती है. देखने में मिलता है कि ठंड से खुद को बचाने के लिए पक्षी पत्तो को ओट में छिपे रहते हैं.

क्या होता है हाइपोथर्मियाः हाइपोथर्मिया में तापमान धीरे-धीरे गिरने लगता है. यह तब होता है जब शरीर उस गर्मी का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त गर्मी का उत्पादन करने में असमर्थ होता है, जो वह खोते जा रहा है. शरीर के तापमान को नियंत्रित करने वाले मस्तिष्क के हिस्से को हाइपोथैलेमस कहा जाता है. जब हाइपोथैलेमस शरीर के तापमान में परिवर्तन को पहचानता है, तो यह शरीर की प्रतिक्रिया को तापमान में वापस लाने की पहल करता है. शरीर कोशिकाओं में नियमित चयापचय प्रक्रियाओं के दौरान गर्मी पैदा करता है, जो महत्वपूर्ण शारीरिक कार्यों का समर्थन करता है.

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अधिकांश गर्मी संवहन, चालन, विकिरण और वाष्पीकरण की प्रक्रियाओं द्वारा त्वचा की सतह के माध्यम से शरीर को छोड़ देती है. यदि वातावरण ठंडा हो जाता है, तो शरीर में चमक आती है. मांसपेशियों की गतिविधि में यह वृद्धि अधिक गर्मी उत्पन्न करती है. हालांकि, अगर शरीर इसे बनाने की तुलना में अधिक तेजी से गर्मी खो देता है. जैसे ही तापमान गिरता है, शरीर गर्मी से बच निकलने वाली गर्मी को कम करने के लिए त्वचा से रक्त को बहा देता है. हाइपोथर्मिया हाइपरथर्मिया के विपरीत होता है, जिसमें ऊंचा शरीर का तापमान शामिल है और गर्मी थकावट या हीट स्ट्रोक के रूप में पेश कर सकता है.

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