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आंगनबाड़ी सेविकाओं का हल्लाबोल! पीएम पर वादाखिलाफी का आरोप - Protest

नई दिल्ली: देशभर की हजारों आंगनबाड़ी सेविकाएं राजधानी के जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुईं और अपने हक के लिए आवाज बुलंद की. आंगनबाड़ी सेविकाओं का जोश और आक्रोश देख कर ऐसा लगा जैसे कि अब लड़ाई आर-पार की है.

आंगनबाड़ी सेविकाओं का प्रदर्शन
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Published : Feb 25, 2019, 6:46 PM IST


अखिल भारतीय आंगनवाड़ी सेविका और सहायिका फेडरेशन (आइफा) के नेतृत्व में देश भर की सैकड़ों आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका सोमवार को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जंतर-मंतर पहुंचीं. इससे पहले उन्होंने मंडी हाउस से जंतर मंतर तक मार्च निकाला जो यहां पहुंचते-पहुंचते सभा में तब्दील हो गई.

आंगनबाड़ी सेविकाओं ने किया प्रदर्शन

न्यूनतम वेतन और पेंशन की मांग
इनकी मांग है कि इनके वेतन भुगतान के लिए बजट में पर्याप्त आवंटन दिया जाए. सेविकाओं ने इस दौरान आईसीडीएस का निजीकरण रोकने और इसे बचाने की भी मांग की. इन्होंने आंगनबाड़ी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन और पेंशन को लेकर भी आवाज उठाई.
अपनी मांगों को लेकर सेविकाओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने महिला एवं बाल विकास सचिव से मुलाकात भी की और आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स की कार्य स्थिति को सुधारने की मांग वाले 40 लाख हस्ताक्षर उन्हें सौंपे.

आईसीडीएस वाली बढ़ोत्तरी नाकाफी
इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बातचीत में आइफा की जेनरल सेक्रेटरी एआर सिंधु कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा शोर शराबे के साथ आंगनबाड़ी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी की घोषणा की गई थी, लेकिन देश के अधिकतर हिस्सों में इसे लागू किया जाना अभी तक बाकी है.

उन्होंने कहा कि इस बजट में भी आईसीडीएस के लिए आवंटन किया गया लेकिन इतनी राशि बड़े वेतन को लागू करने के लिए नाकाफी है.

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अखिल भारतीय आंगनवाड़ी सेविका और सहायिका फेडरेशन (आइफा) के नेतृत्व में देश भर की सैकड़ों आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका सोमवार को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जंतर-मंतर पहुंचीं. इससे पहले उन्होंने मंडी हाउस से जंतर मंतर तक मार्च निकाला जो यहां पहुंचते-पहुंचते सभा में तब्दील हो गई.

आंगनबाड़ी सेविकाओं ने किया प्रदर्शन

न्यूनतम वेतन और पेंशन की मांग
इनकी मांग है कि इनके वेतन भुगतान के लिए बजट में पर्याप्त आवंटन दिया जाए. सेविकाओं ने इस दौरान आईसीडीएस का निजीकरण रोकने और इसे बचाने की भी मांग की. इन्होंने आंगनबाड़ी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन और पेंशन को लेकर भी आवाज उठाई.
अपनी मांगों को लेकर सेविकाओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने महिला एवं बाल विकास सचिव से मुलाकात भी की और आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स की कार्य स्थिति को सुधारने की मांग वाले 40 लाख हस्ताक्षर उन्हें सौंपे.

आईसीडीएस वाली बढ़ोत्तरी नाकाफी
इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बातचीत में आइफा की जेनरल सेक्रेटरी एआर सिंधु कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा शोर शराबे के साथ आंगनबाड़ी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी की घोषणा की गई थी, लेकिन देश के अधिकतर हिस्सों में इसे लागू किया जाना अभी तक बाकी है.

उन्होंने कहा कि इस बजट में भी आईसीडीएस के लिए आवंटन किया गया लेकिन इतनी राशि बड़े वेतन को लागू करने के लिए नाकाफी है.

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Intro:बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आंगनबाड़ी देश की एक महत्वपूर्ण योजना है। इससे जुड़ी कर्मी आए दिन अपनी मांगों को लेकर देशभर में आंदोलन करती रहती हैं। ऐसे ही एक आंदोलन में दिल्ली के जंतर मंतर पर देश भर की हजारों आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका सोमवार को जंतर-मंतर पहुंचीं।


Body:अखिल भारतीय आंगनवाड़ी सेविका एवं सहायिका फेडरेशन (आइफा) के नेतृत्व में देश भर की सैकड़ों आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका सोमवार को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जंतर-मंतर पहुंचीं। इससे पहले उन्होंने मंडी हाउस से जंतर मंतर तक मार्च निकाला जो यहां पहुंचते-पहुंचते सभा में तब्दील हो गया।

इनकी मांग है कि इनके लिए बनाए गए वेतन के भुगतान के लिए बजट में पर्याप्त आवंटन दिया जाए। आईसीडीएस का निजीकरण रोकने और इसे बचाने की भी ये मांग कर रहे हैं। साथ ही आंगनबाड़ी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन और पेंशन को लेकर भी ये लोग आवाज उठा रहे हैं। इसे लेकर इनके एक प्रतिनिधिमंडल ने महिला एवं बाल विकास सचिव से मुलाकात भी की और आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स की कार्य स्थिति को सुधारने की मांग वाले 40 लाख हस्ताक्षर उन्हें सौंपे।

इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बातचीत में आइफा को जेनरल सेक्रेटरी एआर सिंधु कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा शोर शराबे के साथ आंगनबाड़ी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी की घोषणा की गई थी, लेकिन देश के अधिकतर हिस्सों में इसे लागू किया जाना अभी तक बाकी है। इस बजट में भी आईसीडीएस के लिए आवंटन किया गया, लेकिन इतनी राशि बड़े वेतन को लागू करने के लिए नाकाफी है। उन्होंने मांग की कि इसमें बढ़ोतरी की जाए और आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं की स्थिति में सरकार सुधार करें।




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