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डिजिटल माध्यम से चलेंगी दिल्ली की आंगनवाड़ी, ऐसे मिल रही वर्कर्स को ट्रेनिंग - आंगनवाड़ी वर्कर्स को ट्रेनिंग डिजिटल आंगनबाड़ी

महिला और बाल विकास विभाग ने कोरोना वायरस के संभावित संक्रमण के मद्देनजर दिल्ली में सभी आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद करने का निर्देश जारी किया था. ऐसे में बच्चे आंगनवाड़ी में पढ़ने और अलग-अलग एक्टिविटी सीखने के लिए नहीं आ रहे हैं. इसको ध्यान में रखते हुए आंगनवाड़ी वर्कर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे वह ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को पढ़ा सकें.

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डिजिटल माध्यम से चलेंगी दिल्ली की आंगनवाड़ी
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Published : Jan 26, 2021, 6:14 PM IST

नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के बाद से ही राजधानी दिल्ली में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से चलाई जा रही आंगनबाड़ियां बंद है. बच्चे आंगनवाड़ी में पढ़ने और अलग-अलग एक्टिविटी सीखने के लिए नहीं आ रहे हैं. आंगनवाड़ियों की तरफ से जन्म से लेकर 6 साल तक के बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सूखा राशन उनके घर तक पहुंचाया जा रहा है. और मार्च 2020 से पहले जिस प्रकार बच्चे आंगनवाड़ियों में आकर बच्चें पढ़ते लिखते थे, वह एक्टिविटी पूरी तरीके से बंद है.

डिजिटल माध्यम से चलेंगी दिल्ली की आंगनवाड़ी.

आंगनवाड़ी की वर्कर्स को दी जा रही ट्रेनिंग

ऐसे में आंगनवाड़ी बच्चों के लिए बंद होने के कारण 3 से 6 साल तक के बच्चों की प्राथमिक शिक्षा पर इसका असर पड़ रहा है. इसको ध्यान में रखते हुए आंगनवाड़ी वर्कर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे कि वह ऑनलाइन माध्यम से बच्चों तक प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी पहुंचा सके.

जमरूदपुर प्रोजेक्ट के आंगनवाड़ी वर्कर्स को दी गई ट्रेनिंग

दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में विभाग की तरफ से आंगनवाड़ी चलाई जा रही हैं. जमरूदपुर प्रोजेक्ट के अंतर्गत 97 आंगनवाड़ी आती हैं. जिसके लिए सुपरवाइजर रंजना शर्मा और उर्मिला मेम, सभी वर्कर को ट्रेनिंग दे रही हैं. रंजना शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कुल 97 आंगनवाड़ी के वर्कर्स को ट्रेनिंग देने के लिए दो भागों में बांटा गया है. पहले 48 वर्कर्स को ट्रेनिंग दी गई. उसके बाद 49 वर्कर्स को ट्रेनिंग दी गई.

3 से 6 साल तक के बच्चों का मानसिक और बौद्धिक विकास जरूरी

रंजना शर्मा ने आगे बताया कि इस ट्रेनिंग में वर्कर्स को बताया गया कि वह हफ्ते में 3 दिन 3 से 6 साल तक के बच्चों को एक्टिविटी सिखाने के लिए परिवार के किसी एक सदस्य से संपर्क करेंगी. और फोन के जरिए वह एक्टिविटी बताएंगे, और अगर परिवार में किसी के पास फोन लैपटॉप, मोबाइल नहीं है, तो वह घर-घर जाकर हफ्ते के तीन दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार के दिन बच्चों को एक्टिविटी सिखाएंगे. इसके साथ ही बच्चों की मां को ने बताया जाएगाज़ कि वह घर पर कैसे अपने बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास कर सकती हैं.

घर पर माताएं अपने बच्चों को प्राथमिक शिक्षा सिखाएंगी

रंजना शर्मा ने कहा कि एक बच्चा जिसका 3 से 6 साल की उम्र में बेहद तेजी से विकास होता है, ऐसे में अगर बच्चा खाली रहेगा तो वह कुछ ना कुछ गलत चीजें सीख सकता है. इसीलिए बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए उनके परिवार को जागरूक किया जा रहा है, क्योंकि सबसे ज्यादा समय बच्चा अपने परिवार के साथ बिताता है और उसमें भी माता के पास सबसे ज्यादा रहता है. इसीलिए एक मां को ट्रेनिंग दी जाएगी, माताओं को यह बताया जाएगा कि वह अपने बच्चों को घर में ही मौजूद कुछ चीजों से क्या-क्या सिखा सकती हैं, और उनका शारीरिक और मानसिक विकास कैसे कर सकती हैं.

बच्चों को रंग और स्वाद पहचानने की ट्रेनिंग

इसके साथ ही ट्रेनिंग ले रही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की अलग-अलग बरकत ने कहा बच्चों को रंग और स्वाद पहचानने की ट्रेनिंग दी जा रही है. व्हाट्सएप के जरिए कैसे माताओं को बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास को लेकर समझाना है. यह बताया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों तक शिक्षा और बेहतर पोषण पहुंचाने के लिए आंगनबाड़ी या चलाई जाती हैं. ऐसे में अगर उनके पास फोन नहीं है तो हम उनके घर-घर जाकर भी उनको जानकारी देंगे.

नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के बाद से ही राजधानी दिल्ली में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से चलाई जा रही आंगनबाड़ियां बंद है. बच्चे आंगनवाड़ी में पढ़ने और अलग-अलग एक्टिविटी सीखने के लिए नहीं आ रहे हैं. आंगनवाड़ियों की तरफ से जन्म से लेकर 6 साल तक के बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सूखा राशन उनके घर तक पहुंचाया जा रहा है. और मार्च 2020 से पहले जिस प्रकार बच्चे आंगनवाड़ियों में आकर बच्चें पढ़ते लिखते थे, वह एक्टिविटी पूरी तरीके से बंद है.

डिजिटल माध्यम से चलेंगी दिल्ली की आंगनवाड़ी.

आंगनवाड़ी की वर्कर्स को दी जा रही ट्रेनिंग

ऐसे में आंगनवाड़ी बच्चों के लिए बंद होने के कारण 3 से 6 साल तक के बच्चों की प्राथमिक शिक्षा पर इसका असर पड़ रहा है. इसको ध्यान में रखते हुए आंगनवाड़ी वर्कर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे कि वह ऑनलाइन माध्यम से बच्चों तक प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी पहुंचा सके.

जमरूदपुर प्रोजेक्ट के आंगनवाड़ी वर्कर्स को दी गई ट्रेनिंग

दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में विभाग की तरफ से आंगनवाड़ी चलाई जा रही हैं. जमरूदपुर प्रोजेक्ट के अंतर्गत 97 आंगनवाड़ी आती हैं. जिसके लिए सुपरवाइजर रंजना शर्मा और उर्मिला मेम, सभी वर्कर को ट्रेनिंग दे रही हैं. रंजना शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कुल 97 आंगनवाड़ी के वर्कर्स को ट्रेनिंग देने के लिए दो भागों में बांटा गया है. पहले 48 वर्कर्स को ट्रेनिंग दी गई. उसके बाद 49 वर्कर्स को ट्रेनिंग दी गई.

3 से 6 साल तक के बच्चों का मानसिक और बौद्धिक विकास जरूरी

रंजना शर्मा ने आगे बताया कि इस ट्रेनिंग में वर्कर्स को बताया गया कि वह हफ्ते में 3 दिन 3 से 6 साल तक के बच्चों को एक्टिविटी सिखाने के लिए परिवार के किसी एक सदस्य से संपर्क करेंगी. और फोन के जरिए वह एक्टिविटी बताएंगे, और अगर परिवार में किसी के पास फोन लैपटॉप, मोबाइल नहीं है, तो वह घर-घर जाकर हफ्ते के तीन दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार के दिन बच्चों को एक्टिविटी सिखाएंगे. इसके साथ ही बच्चों की मां को ने बताया जाएगाज़ कि वह घर पर कैसे अपने बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास कर सकती हैं.

घर पर माताएं अपने बच्चों को प्राथमिक शिक्षा सिखाएंगी

रंजना शर्मा ने कहा कि एक बच्चा जिसका 3 से 6 साल की उम्र में बेहद तेजी से विकास होता है, ऐसे में अगर बच्चा खाली रहेगा तो वह कुछ ना कुछ गलत चीजें सीख सकता है. इसीलिए बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए उनके परिवार को जागरूक किया जा रहा है, क्योंकि सबसे ज्यादा समय बच्चा अपने परिवार के साथ बिताता है और उसमें भी माता के पास सबसे ज्यादा रहता है. इसीलिए एक मां को ट्रेनिंग दी जाएगी, माताओं को यह बताया जाएगा कि वह अपने बच्चों को घर में ही मौजूद कुछ चीजों से क्या-क्या सिखा सकती हैं, और उनका शारीरिक और मानसिक विकास कैसे कर सकती हैं.

बच्चों को रंग और स्वाद पहचानने की ट्रेनिंग

इसके साथ ही ट्रेनिंग ले रही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की अलग-अलग बरकत ने कहा बच्चों को रंग और स्वाद पहचानने की ट्रेनिंग दी जा रही है. व्हाट्सएप के जरिए कैसे माताओं को बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास को लेकर समझाना है. यह बताया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों तक शिक्षा और बेहतर पोषण पहुंचाने के लिए आंगनबाड़ी या चलाई जाती हैं. ऐसे में अगर उनके पास फोन नहीं है तो हम उनके घर-घर जाकर भी उनको जानकारी देंगे.

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