नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में छात्र संघ चुनाव को लेकर तमाम छात्र संगठन प्रचार में जुटे हुए हैं. इसी बीच मौरिस नगर पुलिस थाने में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन (आइसा) ने शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में आइसा ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान भय का माहौल बनाया जा रहा है, लेकिन डीयू प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है. दिल्ली पुलिस में दिए शिकायत में आइसा ने कहा कि डीयू प्रशासन स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बात कह रहा है. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि चुनाव के नाम पर होने वाले उत्पात, हिंसा और धमकी को रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है.
आइसा ने कहा कि जब से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव की घोषणा हुई है, विश्वविद्यालय परिसर पर बाहरी लोगों का कब्जा हो गया है. विशेष रूप से एबीवीपी से जुड़े लोग, जो प्रचार के नाम पर विश्वविद्यालय और आवासीय क्षेत्रों में जहां छात्र रहते हैं, छात्रों को डरा रहे हैं और उन पर हमला कर रहे हैं. नामांकन प्रक्रिया के दौरान, नामांकन वापसी के दिन और कल और आज प्रचार के दौरान धक्का-मुक्की, धमकी और उत्पीड़न की घटनाएं देखी गई.
गुंडागर्दी को रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा
आइसा ने अपनी शिकायत में कहा कि आश्चर्य की बात यह है कि दिल्ली पुलिस और डीयू प्रशासन दोनों की पूर्ण अनुपस्थिति के कारण परिसरों में गुंडागर्दी को रोकने के लिए कोई कार्रवाई शुरू नहीं हो रही है. जब बाहरी लोग उत्पात मचा रहे हैं, भय का माहौल बना रहे हैं और छात्रों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को खतरे में डाल रहे हैं, तो दिल्ली पुलिस और डीयू प्रशासन दोनों ने छात्रों की सुरक्षा करने के अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ लिया है.
शिकायत में दो घटनाओं का किया जिक्र
आइसा ने अपनी शिकायत मे दो घटनाओं का जिक्र किया. पहली जहां केएमसी कॉलेज में एक शख्स बंदूक थामे नजर आया. सरेआम हथियारों के प्रदर्शन के बावजूद न तो कॉलेज सिक्योरिटी और न ही दिल्ली पुलिस ने इस पर संज्ञान लिया. हाथ में बंदूक लिए व्यक्ति को विश्वविद्यालय परिसर से नहीं हटाया गया और न ही उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई शुरू की गई. ऐसी घटनाएं दिल्ली पुलिस और डीयू प्रशासन की नाक के नीचे हो रही हैं.
हिंसा की एक अन्य घटना में, जो दौलत राम कॉलेज (डीआरसी) के बाहर हुई. एक आइसा कार्यकर्ता और डीयू छात्र अमन को एक काली एसयूवी कार में अपहरण कर लिया गया, जिसके शीशों पर एबीवीपी के पोस्टर लगे हुए थे और कार के अंदर उसे बुरी तरह पीटा गया. 'ये तो आइसा का आदमी है, इसको मारो' कहकर जान से मारने की धमकी दी गई. अमन आइसा पैनल - आयशा खान, अनुष्का चौधरी, आदित्य सिंह और अंजलि कुमारी के लिए प्रचार कर रहे थे. जब छात्र चुनाव लड़ रहे हों, प्रचार कर रहे हों, वोट मांग रहे हों और चुने हुए उम्मीदवारों के लिए मतदान कर रहे हों, तो ऐसे चुनावों के दौरान उम्मीदवारों के लिए अपनी स्थिति स्पष्ट करना और प्रचार करना प्रत्येक छात्र का लोकतांत्रिक अधिकार है.
शिकायत में आइसा ने कहा कि एबीवीपी किससे डरती है? डीयू प्रशासन किसे बचा रहा है? क्या इसीलिए दिल्ली पुलिस कैंपस से पूरी तरह गायब है, ताकि एबीवीपी और उनके गुंडों को खुली छूट दी जा सके? ताकि एबीवीपी अपने खिलाफ लड़ रहे छात्रों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को डरा सके, हमला कर सके और धमका सके. दिल्ली पुलिस के पास जवाब देने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन एक गंभीर सवाल बार-बार सामने आता है. जब एबीवीपी गुंडागर्दी करते हैं तो दिल्ली पुलिस कभी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती.
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