नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और आइसा ने शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पीएम मोदी के आगमन का विरोध किया है. आइसा ने जगह-जगह पोस्टर लगाकर पीएम से कुछ सवाल पूछे हैं तो वहीं हिंदू कॉलेज के एक नोटिस पर एसएफआई ने सवाल खड़े कर दिए हैं. यह तब हो रहा है जब डीयू के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम का आयोजन 30 जून को निर्धारित है.
SFI ने किया विरोध: एसएफआई ने कहा कि पीएम मोदी के आगमन से पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी ने बकरीद पर छुट्टी रद्द दी, जिसे स्पष्ट रूप से एक विशेष समुदाय को बाकियों से अलग करने के एक भयावह कदम के रूप में देखा जा सकता है. डीयू प्रशासन ने अपने नोटिस के माध्यम से ईद की राजपत्रित छुट्टी को सभी विश्वविद्यालय कर्मचारियों के लिए कार्य दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. इसमें उल्लेख किया गया है कि जो लोग 29 जून को त्योहार मनाना चाहते हैं उन्हें कार्यालय आने से छूट दी गई है.
शताब्दी समारोह में काले रंग के कपड़े पहनने पर रोक: 30 जून को आयोजित होने वाले शताब्दी समारोह का निरीक्षण करने के लिए हिंदू कॉलेज जैसे कॉलेजों ने अपने छात्रों के लिए हास्यास्पद नोटिस जारी किए हैं. हिंदू कॉलेज के रसायन विज्ञान विभाग के एचओडी द्वारा जारी विशेष नोटिस में लिखा है कि लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान सभी छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य है. उस दिन कोई भी काला पोशाक पहनकर नहीं आएगा. छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य है और उन्हें लाइव स्ट्रीमिंग में भाग लेने के लिए पांच उपस्थिति दी जाएंगी. एसएफआई ने कहा कि किसी भी कॉलेज की तरफ से इस तरह का तानाशाही निर्देश जारी करना बिल्कुल निंदनीय है.
AISA ने कहा-मोदी का स्वागत नहीं: आइसा ने भी पीएम मोदी के आगमन का विरोध किया है. आइसा ने कहा कि पीएम मोदी 30 जून को दिल्ली विश्वविद्यालय के परिसर का दौरा करेंगे. उनके स्वागत के लिए यूनिवर्सिटी ने पहले ही ईद की छुट्टियां रद्द कर दी थीं. अब, उन्हें खुश करने के लिए बेताब डीयू भर के कॉलेजों के प्रिंसिपल मोदी की उपस्थिति को अनिवार्य बनाने के लिए भयानक नोटिस लेकर आ रहे हैं.
AISA ने पीएम मोदी से पूछे ये सवाल: "हमारे कॉलेजों में हर साल फीस क्यों बढ़ रही है? हमें उन पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने के लिए क्यों मजबूर किया जाता है, जिन्हें हमने नहीं चुना? अम्बेडकर, गांधी के पाठ्यक्रम क्यों हटाए जा रहे हैं. सरकार ने शिक्षा पर फंडिंग में कटौती क्यों की है? बेरोजगारी दर बढ़कर 8.1% क्यों हो गई है? वर्षों तक हमें पढ़ाने वाले हमारे शिक्षकों को विश्वविद्यालय से बाहर क्यों निकाला जा रहा है?”
ABVP ने हटाए पोस्टर: पीएम के खिलाफ लगाए गए पोस्टर को एबीवीपी और प्रशासन ने हटाए हैं. आइसा ने कहा कि भले ही पोस्टर हटाए जा रहे हो, लेकिन हम प्रधानमंत्री से ये सवाल पूछना जारी रखेंगे, जिन्हें छात्रों को अपने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मजबूर करने में कोई शर्म नहीं आती, जबकि जिस विश्वविद्यालय में वह जा रहे हैं, उसे ही नष्ट कर रहे हैं.
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