नई दिल्ली: ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वकील अशोक अग्रवाल ने दिल्ली के स्कूलों के लिए सीबीएसई से एक अलग बोर्ड बनाने के फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए सीबीएसई से एक अलग बोर्ड बनाने के फैसले को लेकर झूठ का सहारा ले रहे हैं. ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन को ये बोर्ड अस्वीकार है.
अशोक अग्रवाल ने कहा कि अगले साल यानि 2021-22 से दिल्ली के स्कूलों के लिए अलग बोर्ड बनाने की घोषणा की गई है. उन्होंने कहा कि सरकार ये जानती थी कि अगर वे ये कहेंगे कि ये बोर्ड केवल सरकारी स्कूलों के लिए है तो उसे अभिभावकों के गुस्से का सामना करना पड़ता. इसीलिए मनीष सिसोदिया ने ये कहानी गढ़ी कि सरकारी स्कूलों के लिए ये वैकल्पिक होगा कि वे सीबीएसई में जाएं या दिल्ली बोर्ड में.
वहीं दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए भी ये विकल्प होगा कि वे सीबीएसई में रहना चाहते हैं या दिल्ली बोर्ड में. अशोक अग्रवाल ने कहा कि जब सरकार अलग दिल्ली बोर्ड बनाना चाहती है तो फिर सरकारी स्कूलों के लिए अगल विकल्प कैसे होगा.
उन्होंने कहा कि उन्हें साफ-साफ बताना चाहिए कि दिल्ली के सरकारी स्कूल दिल्ली बोर्ड से संबद्धता लेंगे कि नहीं, अगर सरकारी स्कूल दिल्ली बोर्ड से संबद्धता नहीं लेंगे तो फिर इस बोर्ड का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.
निजी स्कूल सीबीएसई से संबद्धता क्यों लेंगे
अशोक अग्रवाल ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने ये भी कहा है कि निजी स्कूल भी दिल्ली बोर्ड से संबद्धता ले सकते हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या निजी स्कूल सीबीएसई से संबद्ध होना चाहेंगे. वे अपना ग्रेड भला क्यों गिराएंगे. अशोक अग्रवाल ने कहा कि मनीष सिसोदिया का ये कहना बिल्कुल झूठ है कि निजी स्कूलों के पास भी दिल्ली बोर्ड से संबंद्धता लेने का विकल्प है.
दिल्ली सरकार की सोच तर्क से परे
अशोक अग्रवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार की ये सोच है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की आर्थिक पृष्ठभूमि कमजोर होती है. इसलिए उनका दिमागी समझ ज्यादा विकसित नहीं होती है. इसलिए वे सीबीएसई के पाठ्यक्रम को ठीक से समझ नहीं पाते हैं. अशोक अग्रवाल ने दिल्ली सरकार की इस सोच को तर्कहीन बताया.