नई दिल्लीः एम्स अस्पताल अब मरीजों और उनके परिजनों से नाइट शेल्टर में ठहरने पर चार्ज नहीं वसूलेगा. एम्स प्रशासन की ओर से दी गई इस जानकारी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने खुशी जताई है. पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एम्स को निर्देश दिया था कि वो नाइट शेल्टर में ठहरने वालों से चार्ज वसूलने के फैसले पर दोबारा विचार करें.
बिना बीपीएल वालों को भी ठहरने की अनुमति
एम्स अस्पताल की ओर से वकील आनंद वर्मा ने कहा कि जो मरीज ओपीडी में इलाज कराने के समय अपना पहचान पत्र दिखाते हैं, उसी पहचान पत्र के आधार पर नाइट शेल्टर में रहने की अनुमति भी दी जाएगी. उनसे कोई अतिरिक्त पहचान पत्र जैसे बीपीएल कार्ड दिखाने की जरूरत नहीं होगी.
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एम्स को निर्देश दिया था कि वो नाइट शेल्टर में ठहरने के लिए दस्तावेज देने और मरीजों को ठहरने के दिनों की संख्या सीमित करने के आदेश पर भी दोबारा विचार करें.
करण सेठ ने दायर किया था याचिका
याचिकाकर्ता की ओर से वकील दर्पण वाधवा और वैभव प्रताप सिंह ने कहा था कि एम्स में इलाज के लिए सैकड़ों मरीज और उनके तीमारदार हैं. उन्होंने कोर्ट से कहा था कि नाइट शेल्टर में ठहरने के लिए एम्स की ओर से जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है वो न्यायसंगत नहीं है.
याचिका में कहा गया था कि नाइट शेल्टर में वे लोग ठहरते हैं, जिन्हें दूसरे जगह रहने के लिए कोई पैसे नहीं होते हैं. अगर उन्हें नाइट शेल्टर नहीं मिलता है तो वे फुटपाथ पर रहते हैं. सुनवाई के दौरान एम्स ने कहा था कि नाइट शेल्टर में रहने के लिए भी वही शर्तें होती हैं, जो विश्राम सदन में रहने के लिए होती हैं.
एम्स करे नाइट शेल्टर का संचालन
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि नाइट शेल्टर का संचालन दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड करती है. जबकि विश्राम सदन का संचालन एम्स करता है. कोर्ट को जब ये बताया गया कि नाइट शेल्टर की स्थिति काफी खराब है, वहां सफाई और पेयजल का घोर अभाव है. तब कोर्ट ने कहा कि नाइट शेल्टर का संचालन भी एम्स को अपने हाथों में ले लेना चाहिए ताकि उनकी दशा भी सुधर सके.