नई दिल्ली /गाजियाबाद : रविवार 5 नवंबर 2023 को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक, रविवार प्रातः 10ः28 बजे तक पुष्य नक्षत्र है, जो रवि पुष्य योग बनाता है और यह योग श्रीवत्स योग के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिष के 28 योगों में से शुभ योग दोपहर 13:35 बजे तक होगा. उसके बाद शुक्ल योग आ जाएगा, जो इस व्रत के लिए बहुत लाभकारी और शुभकारी है.
माताएं अपने पुत्र संतान की आयु और स्वास्थ्य की कामना से इसका व्रत करती हैं. यह व्रत एक प्रकार से निराहार ही होता है, क्योंकि माताएं इस व्रत में केवल जल पी सकती हैं. अन्य वस्तु नहीं खा सकती. ऐसा शास्त्र में उल्लेखित है.
इस दिन माताएं चाकू का प्रयोग नहीं करती हैंः आध्यात्मिक गुरु शिव कुमार शर्मा के मुताबिक, माताएं ध्यान रखें कि इस दिन चाकू से कोई फल, सब्जियां आदि ना काटें. सब्जियों को उबालकर बनाए तो अच्छा रहता है. कहते हैं ऐसा करने से संतान को कोई कष्ट पीड़ा नहीं हो सकती है. 5 नवंबर को चंद्रमा भी अपनी राशि कर्क में रहेंगे, जो इस योग को और अधिक लाभकारी बनाएंगे. माताएं तारा उदय होने पर अपने व्रत का समापन करती हैं. कुछ महिलाएं चंद्र उदय होने पर अपने व्रत का पारण करती हैं. इस दिन तारा उदय शाम 6 बजे के आसपास होगा और चंद्रोदय रात्रि 12:05 पर होगा.
दीवार पर अहोई माता की खड़िया और गेरू से चित्र बनाने की है परंपराः शिवकुमार शर्मा के मुताबिक, अहोई अष्टमी व्रत में माता अपने पुत्र की आयु और स्वास्थ्य की शुभकामना के लिए दीवार पर अहोई माता का खड़िया और गेरू से चित्र बनाते हैं. उनकी पूजा करती हैं. घर में पकवान बनाए जाते हैं. माताएं अपने घर की बड़ी बुजुर्ग महिला सासु, जेठानी अथवा ससुर को भोजन और वस्त्र आदि दान करती हैं. इससे उन्हें संतान की दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. और संतान की आयु के लिए जो बहुत ही लाभदायक है.
अहोई पूजन का शुभ मुहूर्तः अहोई अष्टमी का पूजन अपराहन के बाद संध्या के समय किया जाता है. इस दिन शाम को 16:27 बजे से 18:00 बजे तक अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त है. यह मेष लग्न है. मेष लग्न चर लग्न होता है, जो पुत्र की निरंतर प्रगति के लिए बहुत शुभ होता है. यद्यपि इस समय रविवार को राहुकाल होता है, लेकिन अहोई व्रत में इसका दुष्प्रभाव गौण हो जाता है.
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