नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला मामले में राजीव सक्सेना को मिली जमानत को निरस्त करने की ईडी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.
ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दी थी ईडी की याचिका
पिछले 12 मार्च को राउज एवेन्यू कोर्ट ने राजीव सक्सेना को मिली जमानत को निरस्त करने की ईडी की याचिका को खारिज कर दिया था. राजीव सक्सेना को कोर्ट ने 14 फरवरी 2019 को अंतरिम जमानत दी थी. उसके बाद कोर्ट ने 25 फरवरी को राजीव सक्सेना को नियमित जमानत दी थी. उसके बाद 25 मार्च 2019 को कोर्ट ने राजीव सक्सेना को सरकारी गवाह बनने की अनुमति दे दी.
सभी बातों का खुलासा नहीं करने का आरोप
सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा था कि राजीव सक्सेना को सरकारी गवाह बनने की अनुमति देने के बावजूद उसने अपराध से संबंधित सभी बातों का खुलासा नहीं किया. ईडी ने बताया था कि 15 अप्रैल 2019 से लेकर 12 जुलाई 2019 तक के बीच समन जारी करने के बावजूद 25 बार राजीव सक्सेना ने जांच में सहयोग नहीं किया. यहां तक कि ईडी को बिना बताए ही वह मुंबई चला गया. जब ईडी ने उससे संपर्क किया तो उसने अपने स्वास्थ्य का हवाला दिया.
सरकारी गवाह बनने पर कोई अभियुक्त नहीं रह जाता
सुनवाई के दौरान राजीव सक्सेना की ओर से ईडी की दलीलों का विरोध किया गया. राजीव सक्सेना की ओर से कहा गया था कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 306 के तहत एक बार कोई आरोपी सरकारी गवाह बन जाता है तो वह अभियुक्त नहीं रह जाता है. इसलिए राजीव सक्सेना की जमानत को निरस्त करने का सवाल ही नहीं उठता है. राजीव सक्सेना की ओर से कहा गया था कि उसने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने दिए बयान में पूरा खुलासा किया जिसकी तस्दीक ईडी ने भी की. ईडी ने सरकारी गवाह बनने और माफी देने पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी.
31 जनवरी 2019 को गिरफ्तार किया गया था
राजीव सक्सेना को प्रत्यर्पित कर 31 जनवरी 2019 को भारत लाया गया था जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 31 जनवरी 2019 की सुबह ही गिरफ्तार किया था. राजीव सक्सेना की पत्नी शिवानी सक्सेना हैं. शिवानी मैट्रिक्स होल्डिंग्स के अलावा दुबई की यूएचवाई नामक कंपनी की भी डायरेक्टर हैं. रिश्वत देने के लिए अगस्ता वेस्टलैंड से जो 58 मिलियन यूरो की जो रकम आयी थी वो दो तीन कंपनियों से होकर आयी थी.