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मायूसी और सन्नाटे में पसरा DPCC, शीला की आहट को तरस रहा यह दफ्तर - sheela

शीला दीक्षित के निधन के बाद डीपीसीसी का ऑफिस पूरी तरह से मायूस हो गया है. वहां काम करने वाले लोगों से ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की...

डीपीसीसी ऑफिस etv bharat
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Published : Jul 21, 2019, 9:40 PM IST

Updated : Jul 21, 2019, 11:21 PM IST

नई दिल्ली: शीला दीक्षित के निधन के बाद रविवार को दिल्ली में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. दिवंगत शीला दीक्षित के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई है.

डीपीसीसी ऑफिस

शीला दीक्षित के जाने के बाद दिल्ली कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों से ईटीवी भारत ने बात की.

सूना पड़ा है दफ्तर
बता दें कि दिल्ली कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में जहां विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थीं. एक के बाद एक शीला दीक्षित के निर्देश और नेतृत्व में बैठकें की जा रही थी, वहीं उनकी मृत्यु के बाद दफ्तर में मायूसी और सन्नाटे के अलावा कुछ नहीं है.

चाय पिलाने वाले विक्रम से बातचीत
प्रदेश कमेटी के दफ्तर में हमने उन लोगों से बातचीत की जो रोज शीला दीक्षित से मिला करते थे. यहां चपरासी की नौकरी करने वाले विक्रम ने बताया कि शीला दीक्षित भले ही एक बड़ा पद रखती हों, लेकिन उनका व्यक्तित्व बहुत बड़ा था. वो हमें कभी भी छोटा आदमी नहीं समझती थी. उन्होंने कहा कि वह हमेशा अपने बेटे की तरह हालचाल पूछती थी.

क्या कहते हैं यहां के गार्ड
फिर हमनें वहीं के एक गार्ड से बातचीत की उन्होंने बताया कि शीला दीक्षित जब गाड़ी से उतरकर गेट से अंदर आती थीं तो वह हमेशा हम लोगों का हालचाल पूछती थीं. उन्होंने कहा कि वह भले ही बड़ी नेत्री रही हों लेकिन उनका दिल बेहद ही सरल स्वभाव का था.

नई दिल्ली: शीला दीक्षित के निधन के बाद रविवार को दिल्ली में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. दिवंगत शीला दीक्षित के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई है.

डीपीसीसी ऑफिस

शीला दीक्षित के जाने के बाद दिल्ली कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों से ईटीवी भारत ने बात की.

सूना पड़ा है दफ्तर
बता दें कि दिल्ली कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में जहां विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थीं. एक के बाद एक शीला दीक्षित के निर्देश और नेतृत्व में बैठकें की जा रही थी, वहीं उनकी मृत्यु के बाद दफ्तर में मायूसी और सन्नाटे के अलावा कुछ नहीं है.

चाय पिलाने वाले विक्रम से बातचीत
प्रदेश कमेटी के दफ्तर में हमने उन लोगों से बातचीत की जो रोज शीला दीक्षित से मिला करते थे. यहां चपरासी की नौकरी करने वाले विक्रम ने बताया कि शीला दीक्षित भले ही एक बड़ा पद रखती हों, लेकिन उनका व्यक्तित्व बहुत बड़ा था. वो हमें कभी भी छोटा आदमी नहीं समझती थी. उन्होंने कहा कि वह हमेशा अपने बेटे की तरह हालचाल पूछती थी.

क्या कहते हैं यहां के गार्ड
फिर हमनें वहीं के एक गार्ड से बातचीत की उन्होंने बताया कि शीला दीक्षित जब गाड़ी से उतरकर गेट से अंदर आती थीं तो वह हमेशा हम लोगों का हालचाल पूछती थीं. उन्होंने कहा कि वह भले ही बड़ी नेत्री रही हों लेकिन उनका दिल बेहद ही सरल स्वभाव का था.

Intro:मायूसी और सन्नाटे में पसरा डीपीसीसी, शीला की आहट को तरस रहा यह दफ्तर

नई दिल्ली: दिल्ली कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष और तीन बार मुख्यमंत्री पद पर रहीं शीला दीक्षित अब हमारे बीच नहीं रहीं. रविवार शाम उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया, लेकिन जहां शनिवार शाम से ही पूरे देश और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में मायूसी छाई रही. रविवार को उनकी अंत्येष्टि के बाद वह दफ्तर जहां शीला रोज आया करती थी. वह खुद आज उनकी आहट को तरस रहा है. आखिर शीला दीक्षित के जाने के बाद दिल्ली कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में क्या माहौल है.और यहां काम करने वाले वह कर्मचारी जो रोज शीला दीक्षित से मिला करते थे. वह अब कैसा महसूस कर रहे हैं, इस बाबत ईटीवी भारत ने दिल्ली कांग्रेस कमेटी के दफ्तर का पूरा माहौल जानने की कोशिश की.


Body:सुना पड़ा है दफ्तर
आपको बता दें कि दिल्ली कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में जहां हाल ही में विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थी. एक के बाद एक शीला दीक्षित के निर्देश और नेतृत्व में बैठकें की जा रही थी, लेकिन शनिवार शाम यह दफ्तर बिल्कुल मायूसी और सन्नाटे में पसरा हुआ दिखाई दिया. इस दफ्तर की हर दीवार ऐसी नजर आई मानो वह यह पुकार रही हो कि काश एक बार फिर शीला हमारे दफ्तर में आए और हमें उनकी आहट महसूस हो. लेकिन वह भले ही इस दफ्तर में अपनी देह के साथ नजर ना आए लेकिन उनकी इतनी यादें इस दफ्तर से जुड़ी है कि आप जब भी इस दफ्तर में पहुंचेंगे तो शीला दीक्षित को जरूर याद करेंगे.

शीला दीक्षित को चाय पिलाने वाले विक्रम ने किया दर्द साझा
इस बाबत प्रदेश कमेटी के दफ्तर में हमने उन लोगों से जानने की कोशिश की जो रोजमर्रा शीला दीक्षित से मिला करते थे और उनको चाय पानी दिया करते थे. यहां पियून की नौकरी करने वाले विक्रम ने बताया कि शीला दीक्षित भले ही एक बड़ा पद रखती हों, लेकिन उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि वह हमें कभी भी छोटा आदमी नहीं समझती थी.उन्होंने कहा कि वह हमेशा अपने बेटे की तरह हालचाल पूछती थी. जब भी हम चाय लेकर जाते थे तो हमें इज्जत दे दी थी. उनका कहना है कि शीला दीक्षित के जाने से यह दफ्तर सिर्फ और सिर्फ मायूसी से भरा हुआ है. वह भले ही अब हमारे बीच में ना हो लेकिन उनके व्यवहार ने हमारे दिल में हमेशा के लिए जगह बनाई हुई है.

क्या कहते हैं यहां के गार्ड
वहीं हमने डीपीसीसी के मेन गेट पर ड्यूटी करने वाले एक गार्ड से भी बातचीत की. यह वो गार्ड हैं, जो हमेशा शीला दीक्षित के आने पर गेट खोला करते थे और उनकी फाइलों को उनकी टेबल तक पहुंचाया करते थे. उन्होंने बताया कि शीला दीक्षित जब गाड़ी से उतरकर गेट से अंदर आती थी तो वह हमेशा हम लोगों का हालचाल पूछती थीं. उन्होंने कहा कि वह भले ही बड़ी नेत्री रही हों लेकिन उनका दिल बेहद ही सरल स्वभाव का था. उन्हें किसी भी व्यक्ति में छोटा बड़ा नजर नहीं आता था. उन्होंने कहा कि मेरा अपना अनुभव यह रहा है शीला दीक्षित जैसा कोई भी नेता इस दफ्तर में शायद ही हो.


Conclusion:फिलहाल दिल्ली कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं शीला दीक्षित आज भले ही पंचतत्व विलीन हो गई हो, लेकिन इस दफ्तर में उनकी इतनी यादें हैं कि जब भी आप यहां पहुंचेंगे तो शीला दीक्षित नजर आएंगी. वह भले ही देह रूप में नहीं तो उनके काम से आप उन्हें महसूस करेंगे.
Last Updated : Jul 21, 2019, 11:21 PM IST

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