नई दिल्लीः दिल्ली के श्रद्धा हत्याकांड (Shraddha Murder Case) के आरोपी आफताब की पॉलीग्राफ टेस्ट मंगलवार देर शाम शुरू हो गई. टेस्ट रोहिणी FSL लैब में हो रहा है. इसके बाद आज यानी बुधवार को नार्को टेस्ट होने की संभावना है. न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, FSL सहायक निदेशक संजीव गुप्ता ने बताया कि इस विषय(नार्को और पॉलीग्राप टेस्ट) पर दिल्ली पुलिस और FSL की टीमें काम कर रही हैं. बहुत जल्द सभी जांच हो जाएंगे, प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पॉलीग्राफ टेस्ट सच निकलवाने का एक तरीका है। इस टेस्ट में 1-2 दिन का समय लगता है.
दिल्ली पुलिस को उसका नार्को टेस्ट करने की अनुमति मिल चुकी है. मंगलवार को उसने पॉलीग्राफ टेस्ट (polygraph test) कराने की अनुमति कोर्ट से मांगी थी. पुलिस को उम्मीद है कि नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट के जरिए वह कुछ साक्ष्य बरामद कर सकेगी, जो आफताब को हत्यारा साबित करने में अहम कड़ी साबित होंगे.
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इस विषय(नार्को और पॉलीग्राप टेस्ट) पर दिल्ली पुलिस और FSL की टीमें काम कर रही हैं। बहुत ही जल्द सभी जांच हो जाएंगे, प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पॉलीग्राफ टेस्ट सच निकलवाने का एक तरीका है। इस टेस्ट में 1-2 दिन का समय लगता है: श्रद्धा हत्याकांड पर संजीव गुप्ता, FSL सहायक निदेशक pic.twitter.com/x6tSqiXIPL
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मंगलवार को दिल्ली स्थित साकेत कोर्ट ने पुलिस रिमांड चार दिन के लिए बढ़ाई है. इससे पहले को 5- 5 दिन के लिए दो बार पुलिस रिमांड में भेज चुकी है. हालांकि इन 10 दिनों में भी पुलिस को अब तक कोई पुख्ता साक्ष्य हाथ नहीं लगा है.
वहीं, इससे पहले दोपहर में दिल्ली हाईकोर्ट ने श्रद्धा हत्याकांड (Shraddha murder case) की जांच CBI से कराने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया है. कोर्ट का कहना है कि हमें इस दलील पर विचार करने का एक भी अच्छा कारण नहीं मिला.
CBI जांच की मांग खारिजः याचिका दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में कार्यरत अधिवक्ता जोशिनी टुली ने दाखिल की थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा किस आधार पर यह जनहित याचिका दाखिल कर रही हैं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाते हुए मामले को खारिज कर दिया. मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच कर रही थी.
जानिए क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट : कोई भी इंसान झूठ बोल रहा है या नहीं, इसका पता लगाने लिए लाई डिटेक्टर टेस्ट किया जाता है. इसे पॉलीग्राफ टेस्ट भी कहते हैं. यह टेस्ट करने के लिए एक मशीन का प्रयोग किया जाता है. जिसे आम भाषा में झूठ पकड़ने वाली मशीन भी कहा जाता है. अब आसान भाषा में इस मशीन के काम करने के तरीके को समझते हैं. यह एक ऐसी मशीन है जो शरीर में आने वाले बदलावों को दर्ज करती है और बताती है कि इंसान सच बोल रहा है या झूठ. जानिए, यह मशीन कैसे झूठ का पता लगा लेती है.पॉलीग्राफ का मतलब है किसी ग्राफ में कई तरह के बदलाव का आना.
इस टेस्ट के दौरान भी शरीर में आने वाले कई तरह के बदलाव को देखा जाता है. जैसे- सवाल-जवाब के दौरान कैंडिडेट का हार्ट रेट या ब्लड प्रेशर घटना-बढ़ना, सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया में बदलाव आना और पसीना आना. जब इंसान झूठ बोलता है तो उसके शरीर में एक डर और घबराहट पैदा होती है. पॉलीग्राफ मशीन इसी को रिकॉर्ड करती है.
पॉलीग्राफ मशीन से कई वायर निकले होते हैं. कुछ तारों में सेंसर्स होते हैं. कुछ वायर ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को मॉनिटर करते हैं. कुछ सांस के घटने-बढ़ने पर नजर रखते हैं. इन सब चीजों की जानकारी टेस्ट लेने वाला अधिकारी मॉनिटर पर देखता रहता है. शरीर के अंग असामान्य तौर पर काम करने पर तथ्यों को छिपाने की पुष्टि होती है.