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एबीवीपी- जेएनयू के प्रतिनिधिमंडल ने की यूजीसी नेट में आयुर्वेद बायोलॉजी को अलग विषय बनाने की मांग

एबीवीपी- जेएनयू के प्रतिनिधिमंडल ने यूजीसी नेट के चेयरमैन से मुलाकात की. मुलाकात कर उन्होंने यूजीसी नेट में आयुर्वेद बायोलॉजी को अलग विषय बनाने की मांग की. इस पर चेयरमैन ने कहा कि वो इस पर विचार करेंगे.

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Published : Aug 16, 2023, 11:02 PM IST

नई दिल्ली: एबीवीपी-जेएनयू के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को यूजीसी-नेट के चेयरमैन से मुलाकात की. उन्होंने चेयरमैन से मुलाकात कर यूजीसी नेट और जेआरएफ परीक्षा में आयुर्वेद बायोलॉजी को एक अलग विषय के रूप में शामिल करने की मांग की. इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हाल ही में शुरू किए गए बीएससी-एमएससी आयुर्वेद बायोलॉजी पाठ्यक्रम से संबंधित अन्य मुद्दों को लेकर भी चर्चा की. एबीवीपी-जेएनयू ने यूजीसी अध्यक्ष को पाठ्यक्रम के विशेष एवं अनूठे पहलुओं से भी अवगत कराया. मुलाकात के बाद यूजीसी अध्यक्ष ने एबीवीपी-जेएनयू प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करेंगे.

पिछले कुछ दिनों में उभरा है आर्युवेद: एबीवीपी-जेएनयू विश्वविद्यालय इकाई सचिव विकास पटेल ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में आयुर्वेद एक अरबों डॉलर के उद्योग में उभरा है, इसमें रोजगार के अवसर बढ़ने से छात्रों को सीधा फायदा होगा. आयुर्वेदिक फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में एक अनुसंधान कैडर खड़ा करने,आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सकीय जीवविज्ञान के बीच समानता लाने के लिए 2020 में जेएनयू में बीएससी आयुर्वेद बायोलॉजी पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई थी. ऐसे मल्टीडिसिप्लिनरी पाठ्यक्रम देश की समग्र स्वास्थ्य विषयक आवश्यकताओं को पूरा करेंगे.

ये भी पढ़ें: National Convention Organized: अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने महिलाओं के बांझपन पर आयोजित किया राष्ट्रीय सम्मेलन

क्या बोले छात्र: एबीवीपी-जेएनयू की स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज यूनिट के अध्यक्ष और आयुर्वेद बायोलॉजी के छात्र मुकुंद ने कहा, ''आयुर्वद बायोलॉजी का 5 साल का एकीकृत बीएससी-एमएससी पाठ्यक्रम भारत में एक अनूठा प्रयोग है. इसका उद्देश्य आयुर्वेदिक सिद्धांतों की अमूल्य सम्पदा को आधुनिक चिकित्सकीय जीवविज्ञान के साथ जोड़ कर चलना है. यूजीसी चेयरमैन को यूजीसी-नेट/जेआरएफ परीक्षा में आयुर्वेद को एक अलग विषय के रूप में शामिल करने की आवश्यकता से भी अवगत कराया गया. यह छात्रों को जूनियर रिसर्च फेलोशिप का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगा और उन्हें देश भर में विभिन्न पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश लेकर शोध करने के लिए योग्य बनाएगा.

ये भी पढ़ें: आयुर्वेद को आधिकारिक तौर पर मेरे देश में मान्यता मिली है: पीएम प्रविंद जगन्नाथ

नई दिल्ली: एबीवीपी-जेएनयू के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को यूजीसी-नेट के चेयरमैन से मुलाकात की. उन्होंने चेयरमैन से मुलाकात कर यूजीसी नेट और जेआरएफ परीक्षा में आयुर्वेद बायोलॉजी को एक अलग विषय के रूप में शामिल करने की मांग की. इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हाल ही में शुरू किए गए बीएससी-एमएससी आयुर्वेद बायोलॉजी पाठ्यक्रम से संबंधित अन्य मुद्दों को लेकर भी चर्चा की. एबीवीपी-जेएनयू ने यूजीसी अध्यक्ष को पाठ्यक्रम के विशेष एवं अनूठे पहलुओं से भी अवगत कराया. मुलाकात के बाद यूजीसी अध्यक्ष ने एबीवीपी-जेएनयू प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करेंगे.

पिछले कुछ दिनों में उभरा है आर्युवेद: एबीवीपी-जेएनयू विश्वविद्यालय इकाई सचिव विकास पटेल ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में आयुर्वेद एक अरबों डॉलर के उद्योग में उभरा है, इसमें रोजगार के अवसर बढ़ने से छात्रों को सीधा फायदा होगा. आयुर्वेदिक फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में एक अनुसंधान कैडर खड़ा करने,आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सकीय जीवविज्ञान के बीच समानता लाने के लिए 2020 में जेएनयू में बीएससी आयुर्वेद बायोलॉजी पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई थी. ऐसे मल्टीडिसिप्लिनरी पाठ्यक्रम देश की समग्र स्वास्थ्य विषयक आवश्यकताओं को पूरा करेंगे.

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क्या बोले छात्र: एबीवीपी-जेएनयू की स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज यूनिट के अध्यक्ष और आयुर्वेद बायोलॉजी के छात्र मुकुंद ने कहा, ''आयुर्वद बायोलॉजी का 5 साल का एकीकृत बीएससी-एमएससी पाठ्यक्रम भारत में एक अनूठा प्रयोग है. इसका उद्देश्य आयुर्वेदिक सिद्धांतों की अमूल्य सम्पदा को आधुनिक चिकित्सकीय जीवविज्ञान के साथ जोड़ कर चलना है. यूजीसी चेयरमैन को यूजीसी-नेट/जेआरएफ परीक्षा में आयुर्वेद को एक अलग विषय के रूप में शामिल करने की आवश्यकता से भी अवगत कराया गया. यह छात्रों को जूनियर रिसर्च फेलोशिप का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगा और उन्हें देश भर में विभिन्न पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश लेकर शोध करने के लिए योग्य बनाएगा.

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