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DUSU Election: सचिव पद का चुनाव लड़ रही एबीवीपी उम्मीदवार ने नेत्रदान का लिया फैसला

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 20, 2023, 7:09 AM IST

दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव की तैयारियां जोरों पर है. एबीवीपी ने सचिव पद के लिए यूपी की एक बेटी को उम्मीदवार बनाया है. जौनपुर निवासी अपराजिता इस बार सचिव पद के लिए ताल ठोंक रही है. वह फिलहाल बुद्धिष्ट स्टडीज विभाग में अध्ययनरत हैं.

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एबीवीपी उम्मीदवार

नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी के डूसू चुनाव में एबीवीपी की सचिव पद की उम्मीदवार इस बार यूपी की एक बेटी बनाई गई हैं. एबीवीपी ने जौनपुर निवासी अपराजिता को अपना कैंडिडेट बनाया है. अपराजिता ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में अपना स्नातक पूरा किया है. महिला संबंधी विषयों के लिए वह निरंतर विभिन्न कार्यों में संलग्न रहती हैं. सामाजिक कार्य में उनती विशेष रुचि है. वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के बुद्धिष्ट स्टडीज विभाग में अध्ययनरत हैं. वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की सेवा गतिविधि की दिल्ली प्रांत संयोजिका है. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की और जाना कि उन्होंने नेत्रदान करने का फैसल क्यों किया? साथ ही कॉलेज में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर एबीवीपी का क्या स्टैंड है.

सवाल: इस बार डीयू चुनाव में महिला सुरक्षा का किया अहम रहने वाला है?
जवाब: एबीवीपी का हमेशा से महिला सुरक्षा एक मुख्य मुद्दा रहा है. चाहे मिशन साहसी हो, जहां हजार से ज्यादा युवतियां आकार सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग लेती हैं. इस तरह की गतिविधि एबीवीपी निरंतर कराता रहा है और जब दिल्ली विश्वविद्यालय बंद था तो ऑनलाइन साइबर सुरक्षा के ऐसे बहुत सारे मुद्दे थे. जिसमें महिलाएं बहुत परेशान हो रही थी. इसके लिए साहसी 2.0 कराया गया था. जिसमें साइबर सुरक्षा की ट्रेनिंग दी गई थी.

सवाल: आपने नेत्रदान करने का फैसला लिया है.
जवाब: सेवा का भाव हमेशा से था. एबीवीपी की सेवा गतिविधि की दिल्ली प्रांत संयोजिका हूं. यह सफर सेवा से प्रांत संयोजिका तक पहुंचा है. सेवा का भाव मेरे जीवन का एसेंशियल पार्ट है. उसी के लिए मैंने नेत्रदान करने का फैसला किया है. जब मुझे लोग मिले, उन्होंने मुझे सक्षम संस्था के बारे में बताया. जब मैं चुनाव के लिए कॉलेज में कैंपेन कर रही थी. इसी दौरान नेत्रदान करने का फैसला भी किया.

सवाल: एक फोटो वायरल हुई है. क्या उन्हें नेत्रदान किया जाएगा?
जवाब: वायरल फोटो प्रचार के लिए क्लिक नहीं करवाई गई थी. मेरे साथ एक भैया थे, उन्होंने फोटो क्लिक करवाने के लिए कहा था. फोटो खींचवाने के लिए यह सब नहीं होता है. एबीवीपी निरंतर सेवा का काम करती आई है. चाहे वह बस्ती की पाठशाला हो यह फिर अन्य पहल. बात जहां ऑर्गन डोनेट की आती है तो एबीवीपी निरंतर ऑर्गन डोनेशन ब्लड डोनेशन के लिए कैंप लगाते हैं.

सवाल: लड़कियों के लिए हॉस्टल की समस्या को कैसे दूर करेंगे?
जवाब: ऐसा हम मुद्दा ला रहे हैं कि डीयू के हर कॉलेज में गर्ल्स हॉस्टल हो, क्योंकि मैं खुद उत्तर प्रदेश से हूं. जब मैं दिल्ली आई पढ़ने के लिए और दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया तो मेरे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी. जितने भी पीजी होते हैं, वह बहुत महंगे होते हैं. एक मध्यम वर्ग की छात्रा होने के नाते में महंगे पीजी अफोर्ड नहीं कर सकती हूं. इसके लिए नए हॉस्टल और लड़कियों के लिए नए हॉस्टल होने चाहिए. क्योंकि कई छात्राएं इसलिए भी पढ़ने नहीं आती कि उन्हें हॉस्टल नहीं मिल पाता है. हम इस पर काम करेंगे. एबीवीपी का यह एक अहम मुद्दा है.

सवाल: डूसू चुनाव में एबीवीपी कितनी सीट जीत रही?
जवाब: इस चुनाव में हमें उम्मीद है कि हम 4-0 से जीत हासिल करेंगे. क्योंकि एबीवीपी साल के 365 दिन काम करती है. हम चुनावी मेढ़क नहीं हैं जो चुनाव से 15 दिन पहले मैदान में आ जाए और अपने संगठन और अपने नाम का प्रचार करने लग जाए. मैं यहां हूं अपने काम और एबीवीपी की वजह से हूं.

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  2. DUSU Election: तीन साल बाद होंगे छात्र संघ के चुनाव, जानें क्यों जरूरी है यह इलेक्शन, क्या है छात्रों की राय

एबीवीपी उम्मीदवार

नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी के डूसू चुनाव में एबीवीपी की सचिव पद की उम्मीदवार इस बार यूपी की एक बेटी बनाई गई हैं. एबीवीपी ने जौनपुर निवासी अपराजिता को अपना कैंडिडेट बनाया है. अपराजिता ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में अपना स्नातक पूरा किया है. महिला संबंधी विषयों के लिए वह निरंतर विभिन्न कार्यों में संलग्न रहती हैं. सामाजिक कार्य में उनती विशेष रुचि है. वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के बुद्धिष्ट स्टडीज विभाग में अध्ययनरत हैं. वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की सेवा गतिविधि की दिल्ली प्रांत संयोजिका है. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की और जाना कि उन्होंने नेत्रदान करने का फैसल क्यों किया? साथ ही कॉलेज में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर एबीवीपी का क्या स्टैंड है.

सवाल: इस बार डीयू चुनाव में महिला सुरक्षा का किया अहम रहने वाला है?
जवाब: एबीवीपी का हमेशा से महिला सुरक्षा एक मुख्य मुद्दा रहा है. चाहे मिशन साहसी हो, जहां हजार से ज्यादा युवतियां आकार सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग लेती हैं. इस तरह की गतिविधि एबीवीपी निरंतर कराता रहा है और जब दिल्ली विश्वविद्यालय बंद था तो ऑनलाइन साइबर सुरक्षा के ऐसे बहुत सारे मुद्दे थे. जिसमें महिलाएं बहुत परेशान हो रही थी. इसके लिए साहसी 2.0 कराया गया था. जिसमें साइबर सुरक्षा की ट्रेनिंग दी गई थी.

सवाल: आपने नेत्रदान करने का फैसला लिया है.
जवाब: सेवा का भाव हमेशा से था. एबीवीपी की सेवा गतिविधि की दिल्ली प्रांत संयोजिका हूं. यह सफर सेवा से प्रांत संयोजिका तक पहुंचा है. सेवा का भाव मेरे जीवन का एसेंशियल पार्ट है. उसी के लिए मैंने नेत्रदान करने का फैसला किया है. जब मुझे लोग मिले, उन्होंने मुझे सक्षम संस्था के बारे में बताया. जब मैं चुनाव के लिए कॉलेज में कैंपेन कर रही थी. इसी दौरान नेत्रदान करने का फैसला भी किया.

सवाल: एक फोटो वायरल हुई है. क्या उन्हें नेत्रदान किया जाएगा?
जवाब: वायरल फोटो प्रचार के लिए क्लिक नहीं करवाई गई थी. मेरे साथ एक भैया थे, उन्होंने फोटो क्लिक करवाने के लिए कहा था. फोटो खींचवाने के लिए यह सब नहीं होता है. एबीवीपी निरंतर सेवा का काम करती आई है. चाहे वह बस्ती की पाठशाला हो यह फिर अन्य पहल. बात जहां ऑर्गन डोनेट की आती है तो एबीवीपी निरंतर ऑर्गन डोनेशन ब्लड डोनेशन के लिए कैंप लगाते हैं.

सवाल: लड़कियों के लिए हॉस्टल की समस्या को कैसे दूर करेंगे?
जवाब: ऐसा हम मुद्दा ला रहे हैं कि डीयू के हर कॉलेज में गर्ल्स हॉस्टल हो, क्योंकि मैं खुद उत्तर प्रदेश से हूं. जब मैं दिल्ली आई पढ़ने के लिए और दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया तो मेरे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी. जितने भी पीजी होते हैं, वह बहुत महंगे होते हैं. एक मध्यम वर्ग की छात्रा होने के नाते में महंगे पीजी अफोर्ड नहीं कर सकती हूं. इसके लिए नए हॉस्टल और लड़कियों के लिए नए हॉस्टल होने चाहिए. क्योंकि कई छात्राएं इसलिए भी पढ़ने नहीं आती कि उन्हें हॉस्टल नहीं मिल पाता है. हम इस पर काम करेंगे. एबीवीपी का यह एक अहम मुद्दा है.

सवाल: डूसू चुनाव में एबीवीपी कितनी सीट जीत रही?
जवाब: इस चुनाव में हमें उम्मीद है कि हम 4-0 से जीत हासिल करेंगे. क्योंकि एबीवीपी साल के 365 दिन काम करती है. हम चुनावी मेढ़क नहीं हैं जो चुनाव से 15 दिन पहले मैदान में आ जाए और अपने संगठन और अपने नाम का प्रचार करने लग जाए. मैं यहां हूं अपने काम और एबीवीपी की वजह से हूं.

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