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अब केजरीवाल की 'पाठशाला' से सीखेंगे उत्तराखंड के शिक्षक, त्रिवेंद्र सरकार ने भेजा दिल्ली - Education of Kejriwal Government in Uttarakhand

केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति बाकी राज्यों के लिए प्रेरणा बन गयी है. न केवल गैर भाजपाई सरकारों वाले राज्य बल्कि भाजपा शासित राज्य भी शिक्षा को लेकर अरविंद केजरीवाल के शिक्षा मॉडल को अपनाने में लगे हैं. उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने भी दिल्ली के शिक्षा मॉडल को अपनाने की तैयारी कर ली है.

अब केजरीवाल की 'पाठशाला' से सीखेंगे उत्तराखंड के शिक्षक, त्रिवेंद्र सरकार ने भेजा दिल्ली
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Published : May 6, 2019, 2:39 PM IST

Updated : May 6, 2019, 4:39 PM IST

नई दिल्ली/देहरादून: केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति ने बीजेपी को भी अपना कायल कर दिया है. यही कारण है कि उत्तराखंड की बीजेपी सरकार भी अपने यहां शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए दिल्ली सरकार का मॉडल अपनाने जा रही है. त्रिवेंद्र सरकार ने तो इसके लिए अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है.

राजनीति में अरविंद केजरीवाल भले ही बीजेपी के धुर विरोधी दिखाई देते हो लेकिन हकीकत ये है कि केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति बाकी राज्यों के लिए प्रेरणा बन गयी है. न केवल गैर बीजेपी सरकारों वाले राज्य के लिए बल्कि बीजेपी शासित राज्य भी दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल को अपनाने लगे हैं.

दिल्ली सरकार का मॉडल अपनाएगी उत्तराखंड सरकार

जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड समेत देश के कई बीजेपी शासित राज्य हैं जो दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति को लेकर वहां का दौरा कर चुके हैं. अबतक कुल 11 राज्यों के अधिकारी दिल्ली में जाकर वहां की बदली हुई शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन कर चुके हैं. हाल ही में उत्तराखंड के 10 सदस्य प्रतिनिधिमंडल ने भी दिल्ली का दौरा किया था. इस दौरान अधिकारियों ने वहां की शिक्षा व्यवस्था को जानने की कोशिश की है. शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम की अध्यक्षता में गए इस प्रतिनिधिमंडल ने केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति को बेहद उपयोगी और शिक्षा व्यवस्था में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा है.

दिल्ली का दौरा कर वापस लौटे शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो उत्तराखंड और दिल्ली के शैक्षिक हालात में काफी ज्यादा अतंर है. सुविधाओं की बात की जाए तो दिल्ली उत्तराखंड से काफी आगे है. केजरीवाल सरकार जहां शिक्षा पर 26 फीसदी बजट खर्च करती है, वहीं उत्तराखंड में महज 16 प्रतिशत बजट ही शिक्षा पर खर्च किया जाता है. इसका अधिकांश हिस्सा शिक्षकों और विभागीय अधिकारियों की सैलरी पर खर्च हो जाता है.

शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी ने बताया कि उत्तराखंड और दिल्ली के इंफ्रास्ट्रक्चर काफी अलग है लेकिन फिर भी विभाग कई बातों पर ध्यान देने जा रहा है और कुछ फैसलों को लागू करवाने पर विचार किया जाएगा, जैसे-

  • स्कूलों के 6 क्लस्टर पर एक मेंटोर टीचर रखने
  • ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाने
  • बच्चों के लिए हैप्पीनेस प्रोग्राम चलाने
  • प्रिंसिपल को खर्चे के लिए एक विशेष बजट का प्रावधान करने
  • गेस्ट टीचर की भर्ती का प्रिंसिपल को अधिकार देने

गौर हो कि उत्तराखंड में शिक्षा का हाल किसी से छुपा नहीं है. शिक्षकों की कमी, जर्जर स्कूल भवन, बजट की कमी और स्कूल छोड़ते नौनिहाल, ये सब वो बिंदु हैं जो सूबे में शिक्षा का हालात बयां करती है. राज्य में न केवल पहाड़ी जिलों में बल्कि मैदानी जनपद में भी सरकारी स्कूलों की तस्वीर ज्यादा अलग नहीं है. हालांकि, राज्य बनने के 18 साल बाद ही सही लेकिन शिक्षा विभाग ने व्यवस्था को सुधारने की पहल तो की.

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नई दिल्ली/देहरादून: केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति ने बीजेपी को भी अपना कायल कर दिया है. यही कारण है कि उत्तराखंड की बीजेपी सरकार भी अपने यहां शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए दिल्ली सरकार का मॉडल अपनाने जा रही है. त्रिवेंद्र सरकार ने तो इसके लिए अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है.

राजनीति में अरविंद केजरीवाल भले ही बीजेपी के धुर विरोधी दिखाई देते हो लेकिन हकीकत ये है कि केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति बाकी राज्यों के लिए प्रेरणा बन गयी है. न केवल गैर बीजेपी सरकारों वाले राज्य के लिए बल्कि बीजेपी शासित राज्य भी दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल को अपनाने लगे हैं.

दिल्ली सरकार का मॉडल अपनाएगी उत्तराखंड सरकार

जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड समेत देश के कई बीजेपी शासित राज्य हैं जो दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति को लेकर वहां का दौरा कर चुके हैं. अबतक कुल 11 राज्यों के अधिकारी दिल्ली में जाकर वहां की बदली हुई शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन कर चुके हैं. हाल ही में उत्तराखंड के 10 सदस्य प्रतिनिधिमंडल ने भी दिल्ली का दौरा किया था. इस दौरान अधिकारियों ने वहां की शिक्षा व्यवस्था को जानने की कोशिश की है. शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम की अध्यक्षता में गए इस प्रतिनिधिमंडल ने केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति को बेहद उपयोगी और शिक्षा व्यवस्था में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा है.

दिल्ली का दौरा कर वापस लौटे शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो उत्तराखंड और दिल्ली के शैक्षिक हालात में काफी ज्यादा अतंर है. सुविधाओं की बात की जाए तो दिल्ली उत्तराखंड से काफी आगे है. केजरीवाल सरकार जहां शिक्षा पर 26 फीसदी बजट खर्च करती है, वहीं उत्तराखंड में महज 16 प्रतिशत बजट ही शिक्षा पर खर्च किया जाता है. इसका अधिकांश हिस्सा शिक्षकों और विभागीय अधिकारियों की सैलरी पर खर्च हो जाता है.

शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी ने बताया कि उत्तराखंड और दिल्ली के इंफ्रास्ट्रक्चर काफी अलग है लेकिन फिर भी विभाग कई बातों पर ध्यान देने जा रहा है और कुछ फैसलों को लागू करवाने पर विचार किया जाएगा, जैसे-

  • स्कूलों के 6 क्लस्टर पर एक मेंटोर टीचर रखने
  • ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाने
  • बच्चों के लिए हैप्पीनेस प्रोग्राम चलाने
  • प्रिंसिपल को खर्चे के लिए एक विशेष बजट का प्रावधान करने
  • गेस्ट टीचर की भर्ती का प्रिंसिपल को अधिकार देने

गौर हो कि उत्तराखंड में शिक्षा का हाल किसी से छुपा नहीं है. शिक्षकों की कमी, जर्जर स्कूल भवन, बजट की कमी और स्कूल छोड़ते नौनिहाल, ये सब वो बिंदु हैं जो सूबे में शिक्षा का हालात बयां करती है. राज्य में न केवल पहाड़ी जिलों में बल्कि मैदानी जनपद में भी सरकारी स्कूलों की तस्वीर ज्यादा अलग नहीं है. हालांकि, राज्य बनने के 18 साल बाद ही सही लेकिन शिक्षा विभाग ने व्यवस्था को सुधारने की पहल तो की.

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Intro:फीड के visual ftp पर है.. Folder Name- UK_DDN_Kejariwal Model_vis_byte_7206766 केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति ने भाजपा को भी अपना कायल कर दिया है। नतीजतन भाजपा सरकार शिक्षा में बेहतरी को लेकर दिल्ली सरकार को अपना रोल मॉडल मानने लगी हैं। ताजा उदाहरण उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार से जुड़ा है जो अब केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति को अपनाने की तैयारी कर रही है। आखिर क्या है केजरीवाल सरकार के सरकारी स्कूलों का मॉडल.... देखिए ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट....


Body:राजनीति में अरविंद केजरीवाल भले ही भाजपा के धुर विरोधी दिखाई देते हो और दिल्ली में उनकी सरकार पर भाजपा विकास कार्यों को लेकर हमलावर भी रहती हो लेकिन हकीकत यह है कि केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति बाकी राज्यों के लिए प्रेरणा बन गयी हैं... ना केवल गैर भाजपाई सरकारों वाले राज्य बल्कि भाजपा शासित राज्य भी शिक्षा को लेकर अरविंद केजरीवाल के शिक्षा मॉडल को अपनाने लगे हैं। उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने भी दिल्ली के शिक्षा मॉडल को अपनाने की तैयारी कर ली है। जानकारी के अनुसार उत्तराखंड समेत देश के कई भाजपा शासित राज्य है जो दिल्ली में शिक्षा नीति को लेकर वहां का दौरा कर चुके हैं। अब तक कुल 11 राज्य दिल्ली में जाकर वहां की बदली हुई शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन कर चुके हैं। हाल ही में उत्तराखंड के 10 सदस्य प्रतिनिधि मंडल ने भी दिल्ली का दौरा कर वहां की शिक्षा व्यवस्था को जानने की कोशिश की है। सचिव मीनाक्षी सुंदरम के अध्यक्षता में गए इस प्रतिनिधिमंडल ने केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति को बेहद उपयोगी और शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बड़े बदलाव के रूप में देखा है। बाइट सीमा जौनसारी, निदेशक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद दिल्ली में शिक्षा के हालातों को जानने के बाद उत्तराखंड पहुंचे शिक्षा विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि उत्तराखंड और दिल्ली के शैक्षिक हालातों में बेहद ज्यादा अंतर है और सुविधाओं के लिहाज से भी दिल्ली उत्तराखंड से कहीं गुना आगे बढ़ चुका है। केजरीवाल सरकार जहां शिक्षा पर 26 फ़ीसदी बजट खर्च करती है वही उत्तराखंड में महज 16 परसेंट बजट ही शिक्षा पर खर्च होता है। इसमें भी अधिकतर बजट शिक्षकों और विभाग के अधिकारियों की तनख्वाह में ही खर्च हो जाता है। निदेशक शिक्षा सीमा जौनसारी बताती है कि उत्तराखंड दिल्ली से इंफ्रास्ट्रक्चर में हुए बदलाव, स्कूलों के 6 क्लस्टर पर एक मेंटोर टीचर रखने, ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाने, बच्चों के लिए हैप्पीनेस प्रोग्राम चलाने, प्रिंसिपल को खर्चे के लिए एक विशेष बजट का प्रावधान करने समेत गेस्ट टीचर की भर्ती का प्रिंसिपल को अधिकार देने जैसे कुछ निर्णय को लागू करने पर विचार किया जाएगा। बाइट सीमा जौनसारी,निदेशक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड में शिक्षा का हाल किसी से छुपा नहीं है... शिक्षकों की कमी, जर्जर स्कूल भवन, बजट की कमी और स्कूल छोड़ते नौनिहाल .... ये सब वह बिंदु है जो सूबे की शिक्षा के हालातों से रूबरू करवाते हैं। राज्य में न केवल पहाड़ी जिले बल्कि मैदानी जिलों में भी सरकारी स्कूलों की तस्वीर इससे कुछ ज्यादा अलग नहीं है। बहरहाल शिक्षा विभाग अब राज्य गठन के 18 सालों बाद महकमे में अमूलचूल परिवर्तन करने पर विचार कर रहा है। और इसके लिए महकमे के अधिकारी मॉडल शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन भी करने लगे हैं। जानिए उत्तराखंड शिक्षा व्यवस्था में सबसे बड़ी दिक्कत क्या है.... शिक्षा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का कमजोर होना राज्य में शिक्षकों की भारी कमी का होना सरकारों का शिक्षा के क्षेत्र में बजट प्रावधान कम करना राज्य में शिक्षा की ठोस नीति बनाये जाने की जरूरत स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाये जाने की जरूरत


Conclusion:राजनीतिक रूप से भले ही विकास कार्यों को लेकर राजनेता कोई भी बयान बाजी करें, लेकिन जब विकास की बात होती है तो विरोधियों के काम को भी जनहित में अपनाना सरकारों की प्राथमिकता होना चाहिए फिलहाल इसी सोच के साथ त्रिवेंद्र सरकार ने शिक्षा नीति को लेकर दिल्ली का रुख किया है। बस अब जरूरत इस बात की है कि शिक्षा में बदलाव को लेकर किए गए दौरे को धरातल में उतारा जाए ताकि यह दौरा महज कागजी ही ना रहे। पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
Last Updated : May 6, 2019, 4:39 PM IST
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