नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने बुधवार को बीजेपी पर राजनीतिक नेताओं को डराने-धमकाने और अपने हितों की पूर्ति के लिए अन्य पार्टियों को बरगलाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में राज्य सरकारों के साथ प्रमुख दल होने के बावजूद वाईएसआरसीपी और बीजेडी भाजपा द्वारा प्रस्तावित एक अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक विधेयक का समर्थन कर रही है.
चड्ढा ने कहा, "कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता." उन्होंने कहा कि दिल्ली अध्यादेश विधेयक का उद्देश्य शक्तियों को केंद्रीकृत करना और राज्य सरकारों की स्वायत्तता को कमजोर करना है. इससे देश के संघीय ढांचे के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है. इस तरह के विधेयक का समर्थन करने के लिए वाईएसआरसीपी और बीजेडी की अपनी मजबूरियां हो सकती हैं, लेकिन यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है.
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Response to BJD of Orissa and YSRCP of Andhra Pradesh supporting BJP on #DelhiOrdinanceBill
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) August 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
-बशीर बद्र pic.twitter.com/4C0rXjO2YZ
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— Raghav Chadha (@raghav_chadha) August 2, 2023
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
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— Raghav Chadha (@raghav_chadha) August 2, 2023
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
-बशीर बद्र pic.twitter.com/4C0rXjO2YZ
दिल्ली अध्यादेश का विरोध करने वाले देशभक्तः राघव ने कहा कि दिल्ली में इस विधेयक का कार्यान्वयन एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा और भविष्य में सभी गैर-भाजपा राज्यों का भी यही हश्र हो सकता है. उन्होंने दिल्ली अध्यादेश बिल की कड़ी आलोचना करते हुए इसे देश विरोधी करार दिया. कहा कि जो लोग ऐसे कानून का समर्थन करेंगे, उन्हें इतिहास में राष्ट्र-विरोधी के रूप में याद किया जाएगा, जबकि इसका विरोध करने वालों को देशभक्त के रूप में देखा जाएगा.
मणिपुर हिंसा की निंदाः उन्होंने मणिपुर में 90 दिनों से अधिक समय से जारी अशांति पर गहरी चिंता व्यक्त की और कठिन समय के दौरान मणिपुर के लोगों के लिए केंद्र सरकार की कार्रवाई और समर्थन की कमी की आलोचना की. उन्होंने बताया कि स्थिति को प्रत्यक्ष रूप से समझने के लिए इंडिया ब्लॉक के 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर का दौरा किया था और उनका इरादा राष्ट्रपति से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का अनुरोध करने का था, ताकि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को बर्खास्त किया जा सके.
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