नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पूरी दुनिया में भाजपा की केंद्र सरकार हिंदुस्तान की शर्मनाक तस्वीर बना रही है. मोदी के खिलाफ डॉक्यूमेंट्री बनाने पर बीबीसी के यहां इनकम टैक्स की रेड हुई है. बीबीसी ने डॉक्यूमेंट्री में गुजरात-दिल्ली में हुए दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित भूमिका के ऊपर गंभीर सवाल खड़े किए थे. भाजपा की केंद्र सरकार ने इससे नाराज होकर बीबीसी के दिल्ली मुंबई के दफ्तर पर इनकम टैक्स की छापेमारी कर पत्रकारों के मोबाइल फोन-लैपटॉप ज़ब्त कर लिए हैं.
अगर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री गलत लगी तो उनके ऊपर मानहानि का मुकदमा दर्ज करते. मगर भाजपा ने कानूनी तरीका नहीं अपनाया क्योंकि बीबीसी को झूठा साबित करना इनके बस की बात नहीं है. दुनिया के छोटे-छोटे देश भी ऐसा काम नहीं करते. ऐसा शर्मनाक काम भाजपा सरकार ने किया है. वैलेंटाइंस डे पर भाजपा को हमारी तरफ से मोहब्बत का एक संदेश है कि थोड़ी मोहब्बत करिए, इतनी नफरत से आप कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे.
आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अक्सर देश की जनता से कहती थी कि भारत में भले ही हमारी थोड़ी बहुत बुराई हो मगर विदेशों में प्रधानमंत्री की बहुत प्रशंसा होती है. विदेश में प्रधानमंत्री मोदी का डंका बजता है. मगर पिछले एक महीने में विदेश की दो ऐसी बड़ी खबरें देश के सामने आई है जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. बचपन से लेकर अब तक भारत में बीबीसी को इंटरनेशनल न्यूज का पर्याय कहा जाता था.
आज उसी बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री पर केंद्र सरकार इतनी नाराज हुई कि उन्होंने ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब आदि सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से गैरकानूनी तरीके से उस डॉक्यूमेंट्री का शेयर लिंक हटावा दिया. उन्होंने कहा कि बीबीसी के इन दफ्तरों में 50 से अधिक इनकम टैक्स के अधिकारी घुसे हुए हैं. दफ्तर के बाहर पुलिस का पहरा है. वहां न कोई अंदर जा सकता है और न कोई बाहर आ सकता. वहां के पत्रकारों के मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि जब्त कर लिए गए हैं. उनकी कोई खबर बाहर नहीं आ पा रही है. भारतीय जनता पार्टी फिर वही पुराना बहाना बना रही है कि यह एजेंसी स्वत: ही कार्रवाई कर रही है.
उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी को यही कहूंगा कि इससे आपकी साख के ऊपर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न लगेगा. सदियों तक हिंदुस्तान को इस बात को बताने में कष्ट होगा कि पूरी दुनिया की सबसे विश्वसनीय एजेंसियों में से एक बीबीसी के ऊपर केंद्र सरकार ने इस तरह से छापेमारी क्यों की? यह सिर्फ भाजपा या केंद्र सरकार के लिए नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान की छवि के लिए गलत है. मैं आज वैलेंटाइंस डे पर हमारी तरफ से भारतीय जनता पार्टी को एक मोहब्बत का संदेश देना चाहता हूं कि थोड़ी मोहब्बत करिए और थोड़ी मोहब्बत कराइए. इतनी नफरत से आप कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे. आप लोग सिर्फ दुनिया की अलग-अलग संस्थाओं के सामने इस देश की छवि खराब करने का काम कर रहे हैं.
वहीं दूसरी इंटरनेशनल एजेंसी हिंडनबर्ग ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट ने हिंदुस्तान के लगभग हर उस व्यक्ति को प्रभावित किया है जो शेयर मार्केट से जुड़ा हुआ है. कानून में एक कहावत है किसी के साथ न्याय करने से ज्यादा जरूरी न्याय होता दिखना है. न्यायालय तक इस बात का ध्यान रखता है कि हमारी ओर से न्याय हो, यह दिखना ज्यादा जरूरी है. मगर आज केंद्र सरकार न्यूनतम लिहाज को भी पार कर पूरे अंतरराष्ट्रीय जगत में हास्य का पात्र बन गई है.
कल को कोई व्यक्ति न्यूयॉर्क में अपना अखबार पढ़ेगा या जर्मनी में ट्विटर पर इस खबर को पढ़ेगा कि हमारे देश की केंद्र सरकार बीबीसी के दफ्तरों के ऊपर इनकम टैक्स के छापे मार रही है. वह भी इसलिए क्योंकि कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार बीबीसी से नाराज हो गई थी. उन्होंने गुजरात और दिल्ली में हुए दंगों में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित भूमिका के ऊपर बहुत गंभीर और संजीदा सवाल खड़े किए.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एक तरीका यह होता है कि अगर आपको बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री गलत लगती है तो आप उनके पर मानहानि का मुकदमा कीजिए या उनके ऊपर आपराधिक कार्रवाई करें. अगर वह देश के अंतर्गत नहीं आती है तो विदेशी एजेंसी के ऊपर भी मुकदमे किए जाते हैं. मगर भाजपा कोई कानूनी तरीका नहीं अपना रही हैं. क्योंकि केंद्र सरकार को भी लगता है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री जो भी दिखी रही है, उसे झूठ साबित करना उनके बस की बात नहीं है. क्योंकि बीबीसी पत्रकारिता के मूल नियमों का फूंक-फूंक कर पालन करती है.
उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारों को जेल में डाला गया है, उनकी हत्याएं हुई हैं. जजों की हत्याओं के ऊपर भी सवाल उठे हैं. भाजपा शासित केंद्र सरकार द्वारा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के ऊपर ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स के छापे मारना बहुत आम बात हो गई है. यहां तक कि अडानी का कोई बिजनेस प्रतिद्वंद्वी है तो उस बिजनेसमैन पर भी एजेंसियों के छापे मारकर उन्हें डरा-धमका कर मदद करने की बात कही जाती है. यह मुद्दा भी कुछ दिनों से संसद के अंदर उठाया जा रहा है. मगर अब यह मामला बहुत आगे निकल गया है. यह संकेत हमारे देश के लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.
ये भी पढ़े: Valentine Day Special: दिलचस्प है 'पद्मा-भोलानाथ' की Love Story, मरने के बाद भी निभाया वादा