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टेलीग्राम एप से जब जुड़ी 28 राज्यों की पुलिस तो बदमाशों की आई शामत - ETV bharat

टेलीग्राम एप में ग्रुप बनाकर 28 राज्यों और 6 केंद्शासित प्रदेशों की पुलिस एक दूसरे की मदद कर रही है. जिससे कई राज्यों की कई वारदातों को जल्द और आसानी से सुलझाया जा रहा है.

पुलिस केस सुलझाने के लिए कर रही इस एप का इस्तेमाल
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Published : Feb 20, 2019, 1:09 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर ने व्हाट्सएप ग्रुप पर दूसरे राज्यों के पुलिसकर्मियों को जोड़ा तो उन्हें भी यह अंदाजा नहीं था कि आगे जाकर यह ग्रुप अपराधियों का बैंड बजा देगा. बाद में इस ग्रुप को टेलिग्राम एप में बनाया गया. 28 राज्यों और 6 केंद्र शाषित प्रदेशों के 4000 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को इस ग्रुप में जोड़ा गया. जो अब एक साथ काम कर रहे हैं. पढ़ें ये रिपोर्ट...

किसी भी बड़ी वारदात में यह लोग एक दूसरे से सहयोग लेते हैं और इसकी वजह से ऐसे मामलों को जल्द से जल्द सुलझाने में उन्हें मदद मिलती है. अब तक सैकड़ों वारदातों को यह ग्रुप सुलझा चुका है.
जानकारी के अनुसार नेशनल पुलिस टीम के नाम से टेलीग्राम एप पर बनाए गए इस ग्रुप में 28 राज्यों एवं 6 केंद्र शाषित के तेज तर्रार पुलिस कर्मियों को जोड़ा गया है. इसमें अधिकांश पुलिसकर्मी हवलदार से इंस्पेक्टर स्तर के हैं जो छानबीन में लगे रहते हैं.

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पुलिस केस सुलझाने के लिए कर रही इस एप का इस्तेमाल

लुटेरों को भी पकड़ा
इस जानकारी पर उनके ग्रुप में मौजूद यूपी पुलिस के सदस्य ने उसे पकड़ लिया. बीते 26 दिसंबर को वेलकम इलाके में हुई 60 लाख की लूट में सीसीटीवी फुटेज को इस ग्रुप में डाला गया. कुछ ही घंटों में यूपी के एक सिपाही ने लुटेरे की पहचान कर उसे पकड़ने में दिल्ली पुलिस की मदद की. अगस्त 2016 में सलीम चेन्नई एक्सप्रेस से हुई 5 करोड़ की लूट के मामले को भी भोपाल पुलिस की मदद से इस ग्रुप के जरिए ही सुलझाया गया.

ऐसे शुरु हुआ यह ग्रुप
साल 2012 में पहली बार दिल्ली पुलिस के इंसपेक्टर राजपाल डबास और यूपी पुलिस के अधिकारी विनोद सिरोही ने पेहली बार एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था जिसका नाम था, हम पंछी एक डाल के. इस ग्रुप में अलग-अलग राज्यों के 40 पुलिसकर्मी पहली बार जुड़े थे. साल 2013 में यह ग्रुप टेलीग्राम एप पर आ गया और इसका नाम रखा गया नेशनल पुलिस ग्रुप. अब तक इससे 4 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी जुड़ चुके हैं. इसमें अब सीबीआई, एनआईए, कस्टम, आरपीएफ आदि एजेंसी के लोग भी शामिल हो चुके हैं.

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नई दिल्ली: राजधानी में दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर ने व्हाट्सएप ग्रुप पर दूसरे राज्यों के पुलिसकर्मियों को जोड़ा तो उन्हें भी यह अंदाजा नहीं था कि आगे जाकर यह ग्रुप अपराधियों का बैंड बजा देगा. बाद में इस ग्रुप को टेलिग्राम एप में बनाया गया. 28 राज्यों और 6 केंद्र शाषित प्रदेशों के 4000 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को इस ग्रुप में जोड़ा गया. जो अब एक साथ काम कर रहे हैं. पढ़ें ये रिपोर्ट...

किसी भी बड़ी वारदात में यह लोग एक दूसरे से सहयोग लेते हैं और इसकी वजह से ऐसे मामलों को जल्द से जल्द सुलझाने में उन्हें मदद मिलती है. अब तक सैकड़ों वारदातों को यह ग्रुप सुलझा चुका है.
जानकारी के अनुसार नेशनल पुलिस टीम के नाम से टेलीग्राम एप पर बनाए गए इस ग्रुप में 28 राज्यों एवं 6 केंद्र शाषित के तेज तर्रार पुलिस कर्मियों को जोड़ा गया है. इसमें अधिकांश पुलिसकर्मी हवलदार से इंस्पेक्टर स्तर के हैं जो छानबीन में लगे रहते हैं.

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पुलिस केस सुलझाने के लिए कर रही इस एप का इस्तेमाल

लुटेरों को भी पकड़ा
इस जानकारी पर उनके ग्रुप में मौजूद यूपी पुलिस के सदस्य ने उसे पकड़ लिया. बीते 26 दिसंबर को वेलकम इलाके में हुई 60 लाख की लूट में सीसीटीवी फुटेज को इस ग्रुप में डाला गया. कुछ ही घंटों में यूपी के एक सिपाही ने लुटेरे की पहचान कर उसे पकड़ने में दिल्ली पुलिस की मदद की. अगस्त 2016 में सलीम चेन्नई एक्सप्रेस से हुई 5 करोड़ की लूट के मामले को भी भोपाल पुलिस की मदद से इस ग्रुप के जरिए ही सुलझाया गया.

ऐसे शुरु हुआ यह ग्रुप
साल 2012 में पहली बार दिल्ली पुलिस के इंसपेक्टर राजपाल डबास और यूपी पुलिस के अधिकारी विनोद सिरोही ने पेहली बार एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था जिसका नाम था, हम पंछी एक डाल के. इस ग्रुप में अलग-अलग राज्यों के 40 पुलिसकर्मी पहली बार जुड़े थे. साल 2013 में यह ग्रुप टेलीग्राम एप पर आ गया और इसका नाम रखा गया नेशनल पुलिस ग्रुप. अब तक इससे 4 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी जुड़ चुके हैं. इसमें अब सीबीआई, एनआईए, कस्टम, आरपीएफ आदि एजेंसी के लोग भी शामिल हो चुके हैं.

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Intro:स्पेशल स्टोरी
नई दिल्ली
दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर ने व्हाट्सएप ग्रुप पर दूसरे राज्यों के पुलिसकर्मियों को जोड़ा तो उन्हें भी यह अंदाजा नहीं था कि आगे जाकर यह ग्रुप अपराधियों का बैंड बजा देगा. टेलीग्राम एप उनके द्वारा बनाए गए ग्रुप में 28 राज्यों एवं छह केंद्र शाषित प्रदेशों के 4000 से ज्यादा पुलिसकर्मी एक साथ काम कर रहे हैं. किसी भी बड़ी वारदात में यह लोग एक दूसरे से सहयोग लेते हैं और इसकी वजह से ऐसे मामलों को जल्द से जल्द सुलझाने में उन्हें मदद मिलती है. अब तक सैकड़ों वारदातों को यह ग्रुप सुलझा चुका है.


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जानकारी के अनुसार नेशनल पुलिस टीम के नाम से बनाए गए इस टेलीग्राम ग्रुप में 28 राज्यों एवं छह केंद्र शाषित के तेज तर्रार पुलिस कर्मियों को जोड़ा गया है. इसमें अधिकांश पुलिसकर्मी हवलदार से इंस्पेक्टर स्तर के हैं जो छानबीन में लगे रहते हैं. इसमें केवल नागालैंड और लक्षदीप से कोई पुलिसकर्मी शामिल नहीं है. अन्य सभी राज्यों से क्राइम ब्रांच, एसटीएफ, सीआईडी, एटीएस जैसी महत्वपूर्ण एजेंसियों के सदस्य इस ग्रुप से जुड़े हुए हैं. यह लोग किसी भी बड़े अपराध पर मिलकर काम करते हैं और एक दूसरे से सहयोग लेते हैं. इसकी वजह से अपराधी किसी भी राज्य का हो उसे पकड़ना इनके लिए मुश्किल नहीं होता.


ऐसे काम करता है टेलीग्राम एप पर बना यह ग्रुप
किसी भी प्रकार की वारदात होने पर उससे संबंधित सीसीटीवी फुटेज , आरोपियों की तस्वीर या अन्य जानकारी तुरंत इस ग्रुप में शेयर की जाती है. अगर यह अंदाजा हो कि वह किस राज्य में भागा है तो वहां पर मौजूद इस ग्रुप के सदस्य को सूचित किया जाता है. वह तुरंत वहां इन अपराधियों को पकड़ने का काम करते हैं. अगर किसी का सत्यापन करना हो तो वह एक कॉल में महज 1 घंटे के भीतर सत्यापन करवा लेते हैं जबकि दूसरे राज्य से सत्यापन कराने में अभी भी 24 से 48 घंटे का समय लगता है.


24 घंटे के भीतर पकड़ा गया पूर्व विधायक
नेबसराय इलाके के फार्म हाउस में नए साल की पार्टी पर पूर्व एमएलए राजू सिंह ने जमकर हवाई फायरिंग की जिसमें एक महिला की मौत हो गई. इस वारदात के बाद वह फरार हो गया. इस मामले की जांच कर रहे एक सब इंस्पेक्टर ने टेलीग्राम एप के इस ग्रुप पर मैसेज डालकर बताया कि वह गोरखपुर की तरफ किस गाड़ी से जा रहा है. इस जानकारी पर उनके ग्रुप में मौजूद यूपी पुलिस के सदस्य ने उसे पकड़ लिया. बीते 26 दिसंबर को वेलकम इलाके में हुई 60 लाख की लूट में सीसीटीवी फुटेज को इस ग्रुप में डाला गया. कुछ ही घंटों में यूपी के एक सिपाही ने लुटेरे की पहचान कर उसे पकड़ने में दिल्ली पुलिस की मदद की. अगस्त 2016 में सलीम चेन्नई एक्सप्रेस से हुई 5 करोड़ की लूट के मामले को भी भोपाल पुलिस की मदद से इस ग्रुप के जरिए ही सुलझाया गया.


ऐसे शुरु हुआ यह ग्रुप
वर्ष 2012 में पहली बार दिल्ली पुलिस के इंसपेक्टर राजपाल डबास और यूपी पुलिस के अधिकारी विनोद सिरोही ने पेजली बार एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था जिसका नाम था, हम पंछी एक डाल के. इस ग्रुप में अलग-अलग राज्यों के 40 पुलिसकर्मी पहली बार जुड़े थे. वर्ष 2013 में यह ग्रुप टेलीग्राम एप पर आ गया और इसका नाम रखा गया नेशनल पुलिस ग्रुप. अब तक इससे 4 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी जुड़ चुके हैं. इसमें अब सीबीआई, एनआईए, कस्टम, आरपीएफ आदि एजेंसी के लोग भी शामिल हो चुके हैं.


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