नई दिल्ली: 1913 में जन्मे मुख्तियार अहमद अब तक कई बड़ी बीमारी और कई महामारी देख चुके हैं. लेकिन आज कोरोना के बारे में बात करते हुए वे कुछ ज्यादा संजीदा हो जाते हैं. करीब दो महीने पहले ही मुख्तियार अहमद खुद कोरोना से उबरे हैं और वे सबसे अधिक उम्र के उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने कोरोना को मात दी है. ईटीवी भारत से बातचीत में मुख्तियार अहमद ने इस उम्र में कोरोना को मात देने के अपने अनुभवों को साझा किया.
'ऐसी बीमारी नहीं देखी'
मुख्तियार अहमद ने बताया कि 106 साल की इस उम्र में अब तक कई बड़ी बीमारियां देखी है. उन्होंने कालाजर, गर्दन तोड़ बुखार जैसी कई बीमारियों का जिक्र किया और उनकी भयावहता का भी उल्लेख किया. लेकिन उनका कहना था कि कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से अब तक सामना नहीं हुआ था. कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद मुख्तियार अहमद को दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
अस्पताल में रहे 18 दिन
मुख्तियार अहमद ने बताया कि वे 18 दिन तक अस्पताल में रहे. अस्पताल के शुरुआती अनुभव को लेकर उन्होंने कहा कि पहले अस्पताल में नीचे ही रखा था और वहां बहुत खराब व्यवस्था थी. गंदगी का अंबार था, लेकिन जब ऊपर लेकर गए तो वहां बहुत अच्छे से इलाज हुआ, अच्छा खाना भी मिलने लगा. अस्पताल में इलाज के बाद मुख्तियार अहमद स्वस्थ होकर घर लौट आए. हालांकि इसके लिए वे परिवार वालों द्वारा की गई देखभाल को भी बड़ा कारण मानते हैं.
वर्तमान समाज से शिकायतें
लेकिज 106 साल की उम्र में कोरोना को मात देने वाले इस शख्स को वर्तमान समाज से बहुत सारी शिकायतें हैं. उन्होंने दुःखी मन से कहा कि अब यह दुनिया अच्छी नहीं लगती, अब लोग अच्छे नहीं हैं. सामाजिक स्तर पर बढ़ती दूरियों से वे चिंतित दिखे. उनका कहना था कि अब हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर लोग अलग होते जा रहे हैं, पहले सब मिलकर रहते थे, अब कोई बीमार होता है, तो कोई बगल वाला भी पूछने नहीं आता.