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इस खिलाड़ी को आदर्श मानती हैं शिखा सहलोत, जानें गांव से लेकर स्टेडियम तक का सफर - इस खिलाड़ी को आदर्श मानती हैं शिखा सहलोत

दक्षिण अफ्रीका में आयोजित अंडर 19 महिला विश्व कप में विजयी होने वाली भारतीय महिला टीम की खिलाड़ी शिखा सहलोत का गांव आने पर जोरदार स्वागत किया गया. इस दौरान ईटीवी भारत ने उनसे और बातचीत कर उनके तिनके से ताज तक का सफर तय करने के बारे में जाना.

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Published : Feb 3, 2023, 12:42 PM IST

शिखा सहलोत ने की ईटीवी भारत से बातचीत

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के अटौर नंगला गांव की रहने वाली शिखा सहलोत ने देश का नाम दुनियाभर में रौशन किया है. साउथ अफ्रीका में आयोजित अंडर-19 महिला टी 20 विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा रहीं शिखा सहलोत ने कम उम्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है. इससे अटौर नंगला गांव में खुशी का माहौल हैं और उनके घर पर बंधाई देने आने वालों का तांता लगा हुआ है. गुरुवार शाम शिखा अपने घर अटौर नंगला पहुंचीं जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया.

इस मौके पर शिखा सहलोत ने बताया कि, 'बचपन से ही मैं गांव में क्रिकेट खेला करती थी. पापा ने क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन कराई जहां मैंने क्रिकेट सीखना शुरू किया. पांच साल की मेहनत के बाद आज मैं इस मुकाम पर पहुंची हूं. वर्ल्ड कप को लेकर मैंने छह महीने विशेष ट्रेनिंग भी की थी. इसके लिए बीसीसीआई द्वारा कैंप लगवाया जाता था, जिसमें ट्रेनिंग दी जाती थी.' उन्होंने आगे कहा कि, इस जीत के बाद उन्हें काफी हौसला मिला है और अब वह आईपीएल के लिए ट्रेनिंग शुरू करेंगी. उनका अगला मुकाम आईपीएल में बड़ा खिताब हासिल करना है. उन्होंने यह भी कहा कि वह महिला क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर को अपना आदर्श मानती हैं. शिखा से जब सवाल किया गया इस मुकाम तक पहुंचने में उनके सामने क्या-क्या चुनौतियां आई तो उन्होंने बताया कि, कभी कभी लोग उनके लड़की होकर क्रिकेट खेलने पर आपत्ति जताते थे, लेकिन वक्त के साथ सब बदल गया.

वहीं शिखा के पिता योगेश कुमार ने बताया कि स्कूल के दिनों में वह कबड्डी खेला करते थे. शिखा को क्रिकेट खेलता देखकर उन्हें अपना बचपन याद आता था. फिर एक दिन उन्होंने शिखा से बात की और शिखा को क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन करा दी. 13 साल की उम्र में शिखा ने क्रिकेट सीखना शुरू किया. उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी शिखा कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने लगेगी. उन्होंने कहा कि आज मुझे शिखा के ऊपर बहुत गर्व महसूस हो रहा है. हर मां बाप का सपना होता है कि वह अपने बच्चों के नाम से जाने जाएं और शिखा ने उस सपने को पूरा किया है. उन्होंने अभिभावकों से यह अपील की कि अगर उनकी बेटियां खेल के क्षेत्र में रुचि रखती हैं तो उन्हें सपोर्ट करें, जिससे कि वह आगे बढ़ सके.

यह भी पढ़ें-ICC Women's T20 World Cup 2023: विश्व कप जीतना मेरा सबसे बड़ा और अंतिम सपना

शिखा सहलोत को इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले कोच राहुल चौधरी बताते हैं कि वह बीते चार साल से शिखा को प्रैक्टिस करा रहे हैं. प्रैक्टिस के दौरान शिखा की मेहनत और लगन को देखकर ही उन्हें यह विश्वास हो गया था कि जल्द वह टीम इंडिया के लिए खेलेंगी. वह हर दिन करीब 12 घंटे एकेडमी में प्रैक्टिस किया करती थीं. कोच राहुल ने कहा एक दिन बाद वह दोबारा से प्रैक्टिस सेशन शुरू कर देंगे.

यह भी पढ़ें-तेंदुलकर ने महिला अंडर-19 विश्व कप विजेता क्रिकेट टीम को सम्मानित किया

शिखा सहलोत ने की ईटीवी भारत से बातचीत

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के अटौर नंगला गांव की रहने वाली शिखा सहलोत ने देश का नाम दुनियाभर में रौशन किया है. साउथ अफ्रीका में आयोजित अंडर-19 महिला टी 20 विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा रहीं शिखा सहलोत ने कम उम्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है. इससे अटौर नंगला गांव में खुशी का माहौल हैं और उनके घर पर बंधाई देने आने वालों का तांता लगा हुआ है. गुरुवार शाम शिखा अपने घर अटौर नंगला पहुंचीं जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया.

इस मौके पर शिखा सहलोत ने बताया कि, 'बचपन से ही मैं गांव में क्रिकेट खेला करती थी. पापा ने क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन कराई जहां मैंने क्रिकेट सीखना शुरू किया. पांच साल की मेहनत के बाद आज मैं इस मुकाम पर पहुंची हूं. वर्ल्ड कप को लेकर मैंने छह महीने विशेष ट्रेनिंग भी की थी. इसके लिए बीसीसीआई द्वारा कैंप लगवाया जाता था, जिसमें ट्रेनिंग दी जाती थी.' उन्होंने आगे कहा कि, इस जीत के बाद उन्हें काफी हौसला मिला है और अब वह आईपीएल के लिए ट्रेनिंग शुरू करेंगी. उनका अगला मुकाम आईपीएल में बड़ा खिताब हासिल करना है. उन्होंने यह भी कहा कि वह महिला क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर को अपना आदर्श मानती हैं. शिखा से जब सवाल किया गया इस मुकाम तक पहुंचने में उनके सामने क्या-क्या चुनौतियां आई तो उन्होंने बताया कि, कभी कभी लोग उनके लड़की होकर क्रिकेट खेलने पर आपत्ति जताते थे, लेकिन वक्त के साथ सब बदल गया.

वहीं शिखा के पिता योगेश कुमार ने बताया कि स्कूल के दिनों में वह कबड्डी खेला करते थे. शिखा को क्रिकेट खेलता देखकर उन्हें अपना बचपन याद आता था. फिर एक दिन उन्होंने शिखा से बात की और शिखा को क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन करा दी. 13 साल की उम्र में शिखा ने क्रिकेट सीखना शुरू किया. उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी शिखा कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने लगेगी. उन्होंने कहा कि आज मुझे शिखा के ऊपर बहुत गर्व महसूस हो रहा है. हर मां बाप का सपना होता है कि वह अपने बच्चों के नाम से जाने जाएं और शिखा ने उस सपने को पूरा किया है. उन्होंने अभिभावकों से यह अपील की कि अगर उनकी बेटियां खेल के क्षेत्र में रुचि रखती हैं तो उन्हें सपोर्ट करें, जिससे कि वह आगे बढ़ सके.

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शिखा सहलोत को इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले कोच राहुल चौधरी बताते हैं कि वह बीते चार साल से शिखा को प्रैक्टिस करा रहे हैं. प्रैक्टिस के दौरान शिखा की मेहनत और लगन को देखकर ही उन्हें यह विश्वास हो गया था कि जल्द वह टीम इंडिया के लिए खेलेंगी. वह हर दिन करीब 12 घंटे एकेडमी में प्रैक्टिस किया करती थीं. कोच राहुल ने कहा एक दिन बाद वह दोबारा से प्रैक्टिस सेशन शुरू कर देंगे.

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