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Rath Kanwar: राम मंदिर के रूप में शिवभक्तों ने निकाला रथ कांवड़, 800 किलो वजनी रथ को लेकर जा रहे राजस्थान

कहते हैं कि भक्ति का कोई ओर-छोर नहीं होता और जब बात कांवड़ यात्रा की हो तो इसके लिए लोगों का उत्साह देखते ही बनता है. ऐसे कुछ शिवभक्त कांवड़ लेकर राजस्थान जा रहे हैं. लेकिन ये कोई आम कांवड़ नहीं है, बल्कि यह राम मंदिर के रूप में बनाई गई रथ कांवड़ है, जिसे रास्ते से जाते लोग, रुक-रुक कर देख रहे हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.

Shiv devotees took out rath kanwar
Shiv devotees took out rath kanwar
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Published : Jul 12, 2023, 4:22 PM IST

भक्तों ने राम मंदिर के रूप में निकाला रथ कांवड़

नई दिल्ली: सावन का महीना शुरू होने के साथ ही कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है, जिसके अंतर्गत लोग अपार श्रद्धा का परिचय देते हुए भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए निकल पड़े हैं. इसी क्रम में गाजियाबाद में कांवड़ मार्ग से हजारों की संख्या में कांवड़िए गुजर रहे हैं. इस यात्रा में राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले लोग हरिद्वार से राम मंदिर के रूप में रथ कांवड़ लेकर जा रहे हैं, जो लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

रथ कांवड़ को दिया गया है राम मंदिर का डिजाइन
रथ कांवड़ को दिया गया है राम मंदिर का डिजाइन

रथ कांवड़ लेके आने वाले शिवभक्त रोहित चौहान ने बताया कि हमने सावन का महीना शुरू होने से करीब छह महीन पहले ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी. हम राम भक्त हैं इसलिए हमने प्रण लिया था कि हम राम मंदिर की झांकी के रूप में रथ कांवड़ लेकर हरिद्वार लेकर जाएंगे और वहां से जल लेकर आएंगे.' उन्हीं में से एक भूमिक खंडेलवाल ने बताया कि वे लोग एक दिन में लगभग 80 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. रास्ता काफी लंबा और मुश्किल है, लेकिन उनके साथ भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद है. उन्होंने कहा कि हम हरिद्वार से बहुत ही भव्य रूप में रथ कांवड़ ले जा रहे हैं.

रथ कांवड़ में मौजूद हैं सभी देवी-देवता
रथ कांवड़ में मौजूद हैं सभी देवी-देवता

उनके अलावा प्रताप ने बताया कि रथ कावड़ का वजन तकरीबन 800 किलो है. एक बार में रथ कांवड़ को चार-पांच शिवभक्त चलाते हैं. इसमें रथ को दो लोग आगे से खींचते हैं और दो लोग पीछे से धकेलते हैं. उनके अलावा टीम के अन्य सदस्य साथ चलते हैं, जो आवश्कता पड़ने पर साथ देते हैं. थोड़ी-थोड़ी दूर पर रथ कांवड़ को चलाने वाले लोग बदलते रहते हैं.

यह भी पढ़ें-Chhota Haridwar: हरिद्वार न जा सकने वाले कांवड़ यहां से ले जाते हैं गंगाजल, सावन में होती भारी भीड़

वहीं, यात्रा में शामिल भरत मित्तल ने कहा कि इस रथ कांवड़ को भरतपुर (राजस्थान) के पेशेवर कारीगरों द्वारा तैयार किया गया है. इस खूबसूरत रथ कांवड़ को तैयार करने में करीब एक महीने का समय और चाढ़े चार लाख रुपये लगे. इसे थर्माकोल से बनाया गया है. उन्होंने बताया कि वे लोग इसे राजस्थान से हरिद्वार लेकर गए थे. इसके बाद नौ जुलाई को वे हरिद्वार से चले थे और 15 जुलाई को राजस्थान पहुंचेंगे. फिर 16 जुलाई को वे स्थानीय मंदिर में जल चढ़ाएंगे. रथ कांवड़ ले जाने शिवभक्तों ने बताया कि रास्ते से गुजरने पर कई बार लोग इसे रुकवा कर देखते हैं. लोग इसे देखकर इतने इतने उत्साहित हो जाते हैं कि वे इसके साथ सेल्फी आदि भी लेते हैं.

यह भी पढ़ें-Kanwar Yatra 2023: नन्हें पैर कर रहे कांवड़ यात्रा, मासूम बच्चों में गजब का है उत्साह

भक्तों ने राम मंदिर के रूप में निकाला रथ कांवड़

नई दिल्ली: सावन का महीना शुरू होने के साथ ही कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है, जिसके अंतर्गत लोग अपार श्रद्धा का परिचय देते हुए भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए निकल पड़े हैं. इसी क्रम में गाजियाबाद में कांवड़ मार्ग से हजारों की संख्या में कांवड़िए गुजर रहे हैं. इस यात्रा में राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले लोग हरिद्वार से राम मंदिर के रूप में रथ कांवड़ लेकर जा रहे हैं, जो लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

रथ कांवड़ को दिया गया है राम मंदिर का डिजाइन
रथ कांवड़ को दिया गया है राम मंदिर का डिजाइन

रथ कांवड़ लेके आने वाले शिवभक्त रोहित चौहान ने बताया कि हमने सावन का महीना शुरू होने से करीब छह महीन पहले ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी. हम राम भक्त हैं इसलिए हमने प्रण लिया था कि हम राम मंदिर की झांकी के रूप में रथ कांवड़ लेकर हरिद्वार लेकर जाएंगे और वहां से जल लेकर आएंगे.' उन्हीं में से एक भूमिक खंडेलवाल ने बताया कि वे लोग एक दिन में लगभग 80 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. रास्ता काफी लंबा और मुश्किल है, लेकिन उनके साथ भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद है. उन्होंने कहा कि हम हरिद्वार से बहुत ही भव्य रूप में रथ कांवड़ ले जा रहे हैं.

रथ कांवड़ में मौजूद हैं सभी देवी-देवता
रथ कांवड़ में मौजूद हैं सभी देवी-देवता

उनके अलावा प्रताप ने बताया कि रथ कावड़ का वजन तकरीबन 800 किलो है. एक बार में रथ कांवड़ को चार-पांच शिवभक्त चलाते हैं. इसमें रथ को दो लोग आगे से खींचते हैं और दो लोग पीछे से धकेलते हैं. उनके अलावा टीम के अन्य सदस्य साथ चलते हैं, जो आवश्कता पड़ने पर साथ देते हैं. थोड़ी-थोड़ी दूर पर रथ कांवड़ को चलाने वाले लोग बदलते रहते हैं.

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वहीं, यात्रा में शामिल भरत मित्तल ने कहा कि इस रथ कांवड़ को भरतपुर (राजस्थान) के पेशेवर कारीगरों द्वारा तैयार किया गया है. इस खूबसूरत रथ कांवड़ को तैयार करने में करीब एक महीने का समय और चाढ़े चार लाख रुपये लगे. इसे थर्माकोल से बनाया गया है. उन्होंने बताया कि वे लोग इसे राजस्थान से हरिद्वार लेकर गए थे. इसके बाद नौ जुलाई को वे हरिद्वार से चले थे और 15 जुलाई को राजस्थान पहुंचेंगे. फिर 16 जुलाई को वे स्थानीय मंदिर में जल चढ़ाएंगे. रथ कांवड़ ले जाने शिवभक्तों ने बताया कि रास्ते से गुजरने पर कई बार लोग इसे रुकवा कर देखते हैं. लोग इसे देखकर इतने इतने उत्साहित हो जाते हैं कि वे इसके साथ सेल्फी आदि भी लेते हैं.

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