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साहित्य अकादमी पुरस्कार 2023 विजेता संजीव ने कहा- डिजिटल युग में भी उपन्यास का वही स्थान - Ram Sajeevan Prasad Sanjeev

Sahitya Akademi Award 2023: भारत के हर लेखक के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार उसके लिए एक बड़ी होती है. इस साल हिंदी भाषा के लिए मशहूर साहित्यकार राम सजीवन प्रसाद 'संजीव' इस पुरस्कार के लिए चुना गया है. इस मौके पर ETV भारत ने उनसे, उनके साहित्यिक सफर व अन्य विषयों पर खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा..

Sahitya Akademi Award 2023
Sahitya Akademi Award 2023
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 22, 2023, 6:39 PM IST

राम सजीवन प्रसाद 'संजीव' से खास बातचीत

नई दिल्ली/नोएडा: देश का बड़े साहित्यिक सम्मानों में से एक साहित्य अकादमी पुरस्कार 2023 के विजेताओं की घोषणा हो चुकी है. 24 भाषाओं के लिए घोषित विजेताओं में से एक साहित्यकार राम सजीवन प्रसाद 'संजीव' को इस बार हिंदी भाषा के लिए पुरस्कृत किया जाएगा. राम सजीवन प्रसाद 'संजीव' को उनके उपन्यास 'मुझे पहचानो' के लिए यह पुरस्कार दिया गया है.

यह एक बड़ी खुशखबरी: इस पुरस्कार के विजेता घोषित होने पर उन्होंने कहा कि यह एक खुशखबरी की तरह है और वह सरकार और देश के प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करते हैं. उन्होंने बताया, 'शुरुआती दिनों में मैं पश्चिम बंगाल में रहा करता था. उपन्यास लिखने के लिए मैंने कई जगहों की यात्रा की. अब तक मेरी 200 से अधिक कहानियां और उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. इसके अलावा पत्रिका का संपादक भी रहा, जो बाद में मेरा दूसरा पेशा बन गया.' इतना ही नहीं, वह महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा स्थापित पत्रिका 'हंस' के भी संपादक रह चुके हैं.'

उपन्यास का स्थान हमेशा रहेगा मजबूत: डिजिटल युग में लोगों की उपन्यास में रुची को लेकर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आज समय भले ही डिजिटल का हो, लेकिन आज भी उपन्यास और कहानियों का स्थान वही है जो वर्षों पूर्व था. आने वाले समय भी इसका एक मजबूत स्थान रहेगा. राम सजीवन प्रसाद 'संजीव' मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के रहने वाले हैं. उनका जन्म 6 जुलाई, 1947 को हुआ था. उन्होंने 38 वर्षों तक रासायनिक प्रयोगशाला में काम करने के बाद स्वतंत्र लेखन किया. इसके बाद अनेक पत्रिकाओं के संपादन एवं स्तंभलेखन भी किया. वे शोधपरक लेखन व वर्जित विषयों पर लिखे गये साहित्यों के लिए जाने जाते हैं.

यह भी पढ़ें-'मुझे पहचानो' उपन्यास के लिए कथाकार संजीव को हिंदी साहित्य अकादमी अवार्ड, देखें पूरी लिस्ट

गर्व है पिता पर: मौके पर उनके बेटे संतोष राय ने कहा कि पिताजी इतने बड़े सम्मान के मिलने पर हमें बहुत गर्व महसूस हो रहा है. इस खुशी को बताने के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं. वहीं, रिश्तेदारों व दोस्तों से भी इसे लेकर बधाई मिलने का सिलसिला जारी है. वहीं, उनकी बहु प्रतिभा राय ने कहा कि बाबूजी को यह सम्मान बहुत पहले मिल जाना चाहिए था, पर हमें इस बात की बेहद खुशी है कि आखिरकार उन्हें यह पुरस्कार मिलने वाला है. इससे हम सभी बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें-12 कॉलेजों को DU से अलग करना आसान नहीं, शिक्षा मंत्री के लेटर पर VC बोले, पढ़ें पूरा इंटरव्यू

राम सजीवन प्रसाद 'संजीव' से खास बातचीत

नई दिल्ली/नोएडा: देश का बड़े साहित्यिक सम्मानों में से एक साहित्य अकादमी पुरस्कार 2023 के विजेताओं की घोषणा हो चुकी है. 24 भाषाओं के लिए घोषित विजेताओं में से एक साहित्यकार राम सजीवन प्रसाद 'संजीव' को इस बार हिंदी भाषा के लिए पुरस्कृत किया जाएगा. राम सजीवन प्रसाद 'संजीव' को उनके उपन्यास 'मुझे पहचानो' के लिए यह पुरस्कार दिया गया है.

यह एक बड़ी खुशखबरी: इस पुरस्कार के विजेता घोषित होने पर उन्होंने कहा कि यह एक खुशखबरी की तरह है और वह सरकार और देश के प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करते हैं. उन्होंने बताया, 'शुरुआती दिनों में मैं पश्चिम बंगाल में रहा करता था. उपन्यास लिखने के लिए मैंने कई जगहों की यात्रा की. अब तक मेरी 200 से अधिक कहानियां और उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. इसके अलावा पत्रिका का संपादक भी रहा, जो बाद में मेरा दूसरा पेशा बन गया.' इतना ही नहीं, वह महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा स्थापित पत्रिका 'हंस' के भी संपादक रह चुके हैं.'

उपन्यास का स्थान हमेशा रहेगा मजबूत: डिजिटल युग में लोगों की उपन्यास में रुची को लेकर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आज समय भले ही डिजिटल का हो, लेकिन आज भी उपन्यास और कहानियों का स्थान वही है जो वर्षों पूर्व था. आने वाले समय भी इसका एक मजबूत स्थान रहेगा. राम सजीवन प्रसाद 'संजीव' मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के रहने वाले हैं. उनका जन्म 6 जुलाई, 1947 को हुआ था. उन्होंने 38 वर्षों तक रासायनिक प्रयोगशाला में काम करने के बाद स्वतंत्र लेखन किया. इसके बाद अनेक पत्रिकाओं के संपादन एवं स्तंभलेखन भी किया. वे शोधपरक लेखन व वर्जित विषयों पर लिखे गये साहित्यों के लिए जाने जाते हैं.

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गर्व है पिता पर: मौके पर उनके बेटे संतोष राय ने कहा कि पिताजी इतने बड़े सम्मान के मिलने पर हमें बहुत गर्व महसूस हो रहा है. इस खुशी को बताने के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं. वहीं, रिश्तेदारों व दोस्तों से भी इसे लेकर बधाई मिलने का सिलसिला जारी है. वहीं, उनकी बहु प्रतिभा राय ने कहा कि बाबूजी को यह सम्मान बहुत पहले मिल जाना चाहिए था, पर हमें इस बात की बेहद खुशी है कि आखिरकार उन्हें यह पुरस्कार मिलने वाला है. इससे हम सभी बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

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