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रिटायर्ड कर्नल की पहल: बेसहारों के लिए सहारा बनी "गरीब की गुल्लक", मुफ्त में होता है इलाज - कर्नल प्रदीप खरे

गरीब की गुल्लक फाउंडेशन (gareeb ki ghullak Foundation ) के संस्थापक (रिटायर्ड) कर्नल प्रदीप खरे दो दशकों तक सेना में सेवाएं दे चुके हैं. कर्नल खरे मूलतः मध्यप्रदेश के जबलपुर के रहने वाले हैं. फिलहाल वह गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहते हैं. कर्नल खरे बताते हैं गरीब की गुल्लक फाउंडेशन के माध्यम से हम गरीब जरूरतमंद लोगों, मसलन घरों में काम करने वाली मेड, सिक्योरिटी गार्ड्स, सफाई कर्मचारी, मज़दूर आदि का इलाज कराते हैं.

कर्नल प्रदीप खरे
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Published : Nov 2, 2022, 7:40 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: सेना से जुड़े लोगों में देश प्रेम और देश सेवा का जज्बा औरों की तुलना में अधिक देखने को मिलता है. कुछ ऐसी ही कहानी है गरीब की गुल्लक फाउंडेशन (gareeb ki ghullak Foundation ) के संस्थापक कर्नल प्रदीप खरे की. सेना से रिटायरमेंट लेने के बाद कर्नल खरे समाजसेवा से जुड़ गए हैं. फाउंडेशन आर्थिक रूप से कमजोर जरूरतमंद लोगों का मुफ्त में इलाज करा रहा है.

गरीब की गुल्लक फाउंडेशन के संस्थापक (रिटायर्ड) कर्नल प्रदीप खरे दो दशकों तक सेना में सेवाएं दे चुके हैं. कर्नल खरे मूलतः मध्यप्रदेश के जबलपुर के रहने वाले हैं. फिलहाल वह गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहते हैं. कर्नल खरे बताते हैं गरीब की गुल्लक फाउंडेशन के माध्यम से हम गरीब जरूरतमंद लोगों, मसलन घरों में काम करने वाली मेड, सिक्योरिटी गार्ड्स, सफाई कर्मचारी, मज़दूर आदि का इलाज कराते हैं.

वह कहते हैं कि आमतौर पर देखने को मिलता है कि इस वर्ग से आने वाले लोग बीमार पड़ने पर अच्छे डॉक्टर से इलाज का खर्च वहन करने में असमर्थ होते हैं. जिसके चलते कई बार बीमारी बढ़ जाती है.

कर्नल प्रदीप खरे


गरीब की गुल्लक फाउंडेशन के बारे में बताते हुए सिक्योरिटी गार्ड, शैलेंद्र कुमार ने कहा, "मैं तकरीबन 3 से 4 महीने से खांसी और कफ की समस्या से जूझ रहा था. इस दौरान दवा भी ली, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ड्यूटी पर खांसी आने के चलते मुझे काफी परेशानी हो रही थी. गरीब की गुल्लक के बारे में जानकारी होने पर मैंने उनसे संपर्क किया. गरीब की गुल्लक फाउंडेशन की तरफ से मेरा इलाज कराया गया. कुछ दिनों बाद मेरा स्वास्थ्य ठीक होना शुरू हो गया और अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं. सब कुछ निशुल्क हुआ."

एक और मरीज अवतार सिंह ने कहा "लगभग दो साल पहले ड्यूटी के दौरान ऊंचाई से गिरने के बाद रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई थी. डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि अब जीवन में कभी चल नहीं सकते. किसी ने मुझे गरीब की गुल्लक फाउंडेशन के बारे में बताया जिसके बाद मैंने वहां संपर्क किया. चंद हफ्तों के बाद फाउंडेशन द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर भेजी गई. "

कर्नल प्रदीप खरे बताते हैं वह 2018 से इस काम को कर रहे हैं. 2021 में उन्होंने गरीब की गुल्लक फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन कराया. बीते एक साल में संस्था करीब डेढ़ सौ से अधिक लोगों को निशुल्क इलाज और दवाइयां उपलब्ध करा चुकी है. आने वाले समय में संस्था की शिक्षा, रोजगार समेत कई क्षेत्रों में काम करने की योजना है.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद: सेना से जुड़े लोगों में देश प्रेम और देश सेवा का जज्बा औरों की तुलना में अधिक देखने को मिलता है. कुछ ऐसी ही कहानी है गरीब की गुल्लक फाउंडेशन (gareeb ki ghullak Foundation ) के संस्थापक कर्नल प्रदीप खरे की. सेना से रिटायरमेंट लेने के बाद कर्नल खरे समाजसेवा से जुड़ गए हैं. फाउंडेशन आर्थिक रूप से कमजोर जरूरतमंद लोगों का मुफ्त में इलाज करा रहा है.

गरीब की गुल्लक फाउंडेशन के संस्थापक (रिटायर्ड) कर्नल प्रदीप खरे दो दशकों तक सेना में सेवाएं दे चुके हैं. कर्नल खरे मूलतः मध्यप्रदेश के जबलपुर के रहने वाले हैं. फिलहाल वह गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहते हैं. कर्नल खरे बताते हैं गरीब की गुल्लक फाउंडेशन के माध्यम से हम गरीब जरूरतमंद लोगों, मसलन घरों में काम करने वाली मेड, सिक्योरिटी गार्ड्स, सफाई कर्मचारी, मज़दूर आदि का इलाज कराते हैं.

वह कहते हैं कि आमतौर पर देखने को मिलता है कि इस वर्ग से आने वाले लोग बीमार पड़ने पर अच्छे डॉक्टर से इलाज का खर्च वहन करने में असमर्थ होते हैं. जिसके चलते कई बार बीमारी बढ़ जाती है.

कर्नल प्रदीप खरे


गरीब की गुल्लक फाउंडेशन के बारे में बताते हुए सिक्योरिटी गार्ड, शैलेंद्र कुमार ने कहा, "मैं तकरीबन 3 से 4 महीने से खांसी और कफ की समस्या से जूझ रहा था. इस दौरान दवा भी ली, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ड्यूटी पर खांसी आने के चलते मुझे काफी परेशानी हो रही थी. गरीब की गुल्लक के बारे में जानकारी होने पर मैंने उनसे संपर्क किया. गरीब की गुल्लक फाउंडेशन की तरफ से मेरा इलाज कराया गया. कुछ दिनों बाद मेरा स्वास्थ्य ठीक होना शुरू हो गया और अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं. सब कुछ निशुल्क हुआ."

एक और मरीज अवतार सिंह ने कहा "लगभग दो साल पहले ड्यूटी के दौरान ऊंचाई से गिरने के बाद रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई थी. डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि अब जीवन में कभी चल नहीं सकते. किसी ने मुझे गरीब की गुल्लक फाउंडेशन के बारे में बताया जिसके बाद मैंने वहां संपर्क किया. चंद हफ्तों के बाद फाउंडेशन द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर भेजी गई. "

कर्नल प्रदीप खरे बताते हैं वह 2018 से इस काम को कर रहे हैं. 2021 में उन्होंने गरीब की गुल्लक फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन कराया. बीते एक साल में संस्था करीब डेढ़ सौ से अधिक लोगों को निशुल्क इलाज और दवाइयां उपलब्ध करा चुकी है. आने वाले समय में संस्था की शिक्षा, रोजगार समेत कई क्षेत्रों में काम करने की योजना है.

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