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Rama Ekadashi 2022: रमा एकादशी का महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त, व्रत रखने से होंगे ये लाभ

दीपावली के पूर्व आने वाली एकादशी को रमा एकादशी (Rama Ekadashi Muhurat) कहा जाता है. यह एकादशी इसलिए खास होती है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के साथ रमा यानी कि धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा होती है. हिंदू पांचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है.

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Published : Oct 20, 2022, 9:53 AM IST

Updated : Oct 20, 2022, 10:25 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबादः पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है. शुक्रवार (21 October) को रमा एकादशी (Rama Ekadashi) पड़ रही है. कार्तिक का महीना महालक्ष्मी को समर्पित है. रमा माँ लक्ष्मी का नाम है. रमा एकादशी पर माँ लक्ष्मी की पूजा-अर्चना कृष्णा भगवान के साथ की जाती है.

गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र (Shiv Shankar Jyotish Evam Vastu Anusandhan Kendra, Ghaziabad) के आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) के मुताबिक रमा एकादशी (Rama Ekadashi) पर व्रत रखने वाले सुबह उठ कर व्रत का संकल्प लें और निराहार रहें. दिन में पूजा करें और अगले दिन परायण करें. पूजा के समय सफेद मिष्ठान अथवा पंच मेवा का भोग अवश्य लगाएं. रमा एकादशी का व्रत रखने से कई जन्मों के पाप शांत हो जाते हैं. इस एकादशी के बाद दीपावली का त्योहार आता है.

आचार्य शिव कुमार शर्मा

हिन्दू धर्म में विशेष महत्व: रमा एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर से दुख, दरिद्रता और नकारात्मकता दूर होती है. इसके साथ ही घर के सुख, समृद्धि, संपत्ति में वृद्धि होती है. भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.

रमा एकादशी मुहूर्त: रमा एकादशी (Rama Ekadashi Muhurat) का व्रत 21 अक्टूबर (शुक्रवार) को रखा जाएगा. इस दिन सुबह से ही शुक्ल योग आरंभ हो जाएगा. जोकि शाम पांच बजकर 48 मिनट तक रहेगा. उसके बाद ब्रह्म योग आरंभ होगा. मान्यता है कि पूजा-पाठ के लिए ये दोनों ही योग शुभ माने जाते हैं. बता दें कि रमा एकादशी व्रत की पूजा का सर्वोत्तम मुहूर्त सात बजकर 50 मिनट से सुबह 09 बजकर 15 मिनट तक होगा.

मिलता है विशेष फल: हिंदू पंचांग की ग्यारहवीं तिथि (The eleventh date of the Hindu calendar) को एकादशी कहते हैं. प्रत्येक मास में एकादशी दो बार आती है. एक शुक्ल पक्ष की एकादशी कहलाती है और दूसरी कृष्ण पक्ष की. प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना अलग महत्व है. पुराणों के अनुसार एकादशी को 'हरी दिन' और 'हरी वासर' के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि एकादशी व्रत हवन, यज्ञ, वैदिक कर्म-कांड आदि से भी अधिक फल देता है.

ये भी पढ़ेंः Papankusha Ekadashi 2022: व्रत करने से यमलोक में नहीं सहनी पड़ती यातनाएं, जानें कथा

इस साल के आगामी एकादशी-
21 अक्टूबर (शुक्रवार) - रमा एकादशी
04 नवंबर (शुक्रवार) - देवोत्थान एकादशी
20 नवंबर (रविवार) - उत्पन्ना एकादशी
03 दिसंबर (शनिवार) - मोक्षदा एकादशी
19 दिसंबर (सोमवार) - सफला एकादशी

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है. यहां यह बताना जरूरी है कि ETV Bharat किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी.

नई दिल्ली/गाजियाबादः पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है. शुक्रवार (21 October) को रमा एकादशी (Rama Ekadashi) पड़ रही है. कार्तिक का महीना महालक्ष्मी को समर्पित है. रमा माँ लक्ष्मी का नाम है. रमा एकादशी पर माँ लक्ष्मी की पूजा-अर्चना कृष्णा भगवान के साथ की जाती है.

गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र (Shiv Shankar Jyotish Evam Vastu Anusandhan Kendra, Ghaziabad) के आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) के मुताबिक रमा एकादशी (Rama Ekadashi) पर व्रत रखने वाले सुबह उठ कर व्रत का संकल्प लें और निराहार रहें. दिन में पूजा करें और अगले दिन परायण करें. पूजा के समय सफेद मिष्ठान अथवा पंच मेवा का भोग अवश्य लगाएं. रमा एकादशी का व्रत रखने से कई जन्मों के पाप शांत हो जाते हैं. इस एकादशी के बाद दीपावली का त्योहार आता है.

आचार्य शिव कुमार शर्मा

हिन्दू धर्म में विशेष महत्व: रमा एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर से दुख, दरिद्रता और नकारात्मकता दूर होती है. इसके साथ ही घर के सुख, समृद्धि, संपत्ति में वृद्धि होती है. भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.

रमा एकादशी मुहूर्त: रमा एकादशी (Rama Ekadashi Muhurat) का व्रत 21 अक्टूबर (शुक्रवार) को रखा जाएगा. इस दिन सुबह से ही शुक्ल योग आरंभ हो जाएगा. जोकि शाम पांच बजकर 48 मिनट तक रहेगा. उसके बाद ब्रह्म योग आरंभ होगा. मान्यता है कि पूजा-पाठ के लिए ये दोनों ही योग शुभ माने जाते हैं. बता दें कि रमा एकादशी व्रत की पूजा का सर्वोत्तम मुहूर्त सात बजकर 50 मिनट से सुबह 09 बजकर 15 मिनट तक होगा.

मिलता है विशेष फल: हिंदू पंचांग की ग्यारहवीं तिथि (The eleventh date of the Hindu calendar) को एकादशी कहते हैं. प्रत्येक मास में एकादशी दो बार आती है. एक शुक्ल पक्ष की एकादशी कहलाती है और दूसरी कृष्ण पक्ष की. प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना अलग महत्व है. पुराणों के अनुसार एकादशी को 'हरी दिन' और 'हरी वासर' के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि एकादशी व्रत हवन, यज्ञ, वैदिक कर्म-कांड आदि से भी अधिक फल देता है.

ये भी पढ़ेंः Papankusha Ekadashi 2022: व्रत करने से यमलोक में नहीं सहनी पड़ती यातनाएं, जानें कथा

इस साल के आगामी एकादशी-
21 अक्टूबर (शुक्रवार) - रमा एकादशी
04 नवंबर (शुक्रवार) - देवोत्थान एकादशी
20 नवंबर (रविवार) - उत्पन्ना एकादशी
03 दिसंबर (शनिवार) - मोक्षदा एकादशी
19 दिसंबर (सोमवार) - सफला एकादशी

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है. यहां यह बताना जरूरी है कि ETV Bharat किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी.

Last Updated : Oct 20, 2022, 10:25 AM IST
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