नई दिल्ली/गाजियाबाद: सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति की अधिसूचना जारी की थी. अब 'वन नेशन वन इलेक्शन' पर राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल ने प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने कहा कि देश के लिए वन नेशन वन इलेक्शन जरूरी है. देश के अलग-अलग हिस्सों में चुनाव होते हैं और चुनाव से पहले आचार संहिता लगती है. इससे कई विकास कार्य बाधित होते हैं. 1952 में जिस चीज की शुरुआत हुई थी, आज उसे फिर से अमल में लाने की जरूरत है. देश में एक बार में चुनाव हो, जिससे कि पांच सालों तक लोग निर्भीक होकर देश के विकास के लिए काम करें. बार-बार चुनाव होने के कारण देश की विकास यात्रा बाधित होती है.
राज्यसभा सांसद ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वन नेशन वन इलेक्शन पॉलिसी के सुझाव का स्वागत करता हूं. देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को जनहित और देश की प्रगति को ध्यान में रखते हुए इसका समर्थन करना चाहिए. ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए, लेकिन दोनों के परिणाम भिन्न आए. देश की जनता बहुत समझदार है. जनता को बखूबी पता है कि चुनाव में किसे वोट करना है.
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उन्होंने I.N.D.I.A गठबंधन का बिना नाम लिए कहा कि जनता बखूबी समझती है कि गठबंधन की सरकारों में विकास की रफ्तार धीमी हो जाती है. इसलिए आज जहां भी चुनाव होते हैं वहां जनता क्लियर मैंडेट देती है. गौरतलब है कि भारत सरकार ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर शनिवार को आठ सदस्यीय समिति का गठन किया. समिति लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान में संशोधन का सुझाव देगी. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने समिति का सदस्य बनने से इनकार कर दिया है.
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