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पुश-पुल टेक्निक के जरिए दिल्ली-हावड़ा राजधानी की बढ़ेगी स्पीड!

उत्तर रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे बोर्ड के आदेश पर दिल्ली हावड़ा रूट पर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है. अगर यह सफल रहता है तो इसे अन्य प्रीमियम गाड़ियों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

railway to use push pull Technic on delhi howrah route
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Published : Nov 22, 2019, 6:05 PM IST

Updated : Nov 22, 2019, 7:21 PM IST

नई दिल्ली: यात्रियों का समय बचाने के लिए रेलवे दिल्ली हावड़ा रूट पर पुश-पुल टेक्निक का इस्तेमाल करने जा रही है. इस तकनीक से गाड़ियों को रोकने और चलाने के समय लगने वाले समय में बचत होगी. रूट पर राजधानी गाड़ी में जल्दी ही इसकी शुरुआत की जाएगी.

स्पीड बढ़ाने का निर्णय
उत्तर रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे बोर्ड के आदेश पर दिल्ली हावड़ा रूट पर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है. अगर यह सफल रहता है तो इसे अन्य प्रीमियम गाड़ियों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

दरअसल, पुश पुल टेक्निक में एक रेलगाड़ी में दो इंजन लगाए जाते हैं. आगे वाला इंजन गाड़ी को पुल यानि खींचने का काम करता है तो वही पीछे वाला उसे पुश यानी उसमें धक्का लगाने का काम करता है. ऐसे में सिग्नल या स्टेशन पर गाड़ी को रोकने में और वापस चलाने में लगने वाले समय की बचत होती है. इसका फायदा स्पीड रिस्ट्रिक्शंस और कॉशंस में भी मिलता है.

बताते चलें कि अभी के समय में रूट पर चलने वाली राजधानी की अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा है. अधिकारियों के मुताबिक 130 की अधिकतम गति होने के बाद भी गाड़ी एवरेज स्पीड भी मेन्टेन नहीं कर पाती. इसमें सबसे बड़ा कारण सिग्नल और रिस्ट्रिक्शन होते हैं. गाड़ी स्पीड पकड़ती है कि कोई और सिग्नल आ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि इस समय को मेन्टेन किया जाए. इसी क्रम में पुश-पल टेक्निक पर काम किया जा रहा है.

नई दिल्ली: यात्रियों का समय बचाने के लिए रेलवे दिल्ली हावड़ा रूट पर पुश-पुल टेक्निक का इस्तेमाल करने जा रही है. इस तकनीक से गाड़ियों को रोकने और चलाने के समय लगने वाले समय में बचत होगी. रूट पर राजधानी गाड़ी में जल्दी ही इसकी शुरुआत की जाएगी.

स्पीड बढ़ाने का निर्णय
उत्तर रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे बोर्ड के आदेश पर दिल्ली हावड़ा रूट पर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है. अगर यह सफल रहता है तो इसे अन्य प्रीमियम गाड़ियों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

दरअसल, पुश पुल टेक्निक में एक रेलगाड़ी में दो इंजन लगाए जाते हैं. आगे वाला इंजन गाड़ी को पुल यानि खींचने का काम करता है तो वही पीछे वाला उसे पुश यानी उसमें धक्का लगाने का काम करता है. ऐसे में सिग्नल या स्टेशन पर गाड़ी को रोकने में और वापस चलाने में लगने वाले समय की बचत होती है. इसका फायदा स्पीड रिस्ट्रिक्शंस और कॉशंस में भी मिलता है.

बताते चलें कि अभी के समय में रूट पर चलने वाली राजधानी की अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा है. अधिकारियों के मुताबिक 130 की अधिकतम गति होने के बाद भी गाड़ी एवरेज स्पीड भी मेन्टेन नहीं कर पाती. इसमें सबसे बड़ा कारण सिग्नल और रिस्ट्रिक्शन होते हैं. गाड़ी स्पीड पकड़ती है कि कोई और सिग्नल आ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि इस समय को मेन्टेन किया जाए. इसी क्रम में पुश-पल टेक्निक पर काम किया जा रहा है.

Intro:नई दिल्ली:
यात्रियों का समय बचाने के लिए रेलवे दिल्ली हावड़ा रूट पर पुश-पुल टेक्निक का इस्तेमाल करने जा रही है. इस तकनीक से गाड़ियों को रोकने और चलाने के समय लगने वाले समय में बचत होगी. रुट पर राजधानी गाड़ी में जल्दी ही इसकी शुरुआत की जाएगी.


Body:उत्तर रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे बोर्ड के आदेश पर दिल्ली हावड़ा रूट पर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है. अगर यह सफल रहता है तो इसे अन्य प्रीमियम गाड़ियों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

दरअसल, पुश पुल टेक्निक में एक रेलगाड़ी में दो इंजन लगाए जाते हैं. आगे वाला इंजन गाड़ी को पुल यानि खींचने का काम करता है तो वही पीछे वाला उसे पुश यानी उसमें धक्का लगाने का काम करता है. ऐसे में सिग्नल या स्टेशन पर गाड़ी को रोकने में और वापस चलाने में लगने वाले समय की बचत होती है. इसका फायदा स्पीड रिस्ट्रिक्शंस और कॉशंस में भी मिलता है.


Conclusion:बताते चलें कि अभी के समय में रूट पर चलने वाली राजधानी की अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा है. अधिकारियों के मुताबिक 130 की अधिकतम गति होने के बाद भी गाड़ी एवरेज स्पीड भी मेन्टेन नहीं कर पाती. इसमें सबसे बड़ा कारण सिग्नल और रिस्ट्रिक्शन होते हैं. गाड़ी स्पीड पकड़ती है कि कोई और सिग्नल आ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि इस समय को मेन्टेन किया जाए. इसी क्रम में पुश-पल टेक्निक पर काम किया जा रहा है.
Last Updated : Nov 22, 2019, 7:21 PM IST
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