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hydroponics technology: एनसीआरटीसी किसानों को सिखाएगा मॉडर्न फार्मिंग, मॉडर्न फ़ार्मिंग डेमोंस्ट्रेशन सेंटर का निर्माण - polyhouse farming

NCRTC will teach modern farming to farmers: एनसीआरटीसी किसानों को हाइड्रोपोनिक्स तकनीक बताने के लिए सेंटर स्थापित करेगा. इसमें किसानों को कृषि के आधुनिक तरीके सिखाए जाएंगे. इसके लिए मॉडर्न फार्मिंग डेमोंस्ट्रेशन सेंटर भी स्थापित किया जाएगा.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 4, 2023, 4:58 PM IST

नई दिल्ली: एनसीआरटीसी मेरठ और गाजियाबाद में किसानों को कृषि के आधुनिक तरीके सिखाएगा. गांववासियों के लिए गाजियाबाद और मेरठ में आरआरटीएस कॉरिडोर के सेंटर स्थापित किया जाएगा. आधुनिक कृषि के नए तरीके सिखाने के लिए दुहाई डिपो में मॉडर्न फार्मिंग डेमोंस्ट्रेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा. एनसीआरटीसी की तरफ से कहा गया है कि दुहाई डिपो की जमीन पर मॉडर्न फार्मिंग डेमोंस्ट्रेशन के लिए पोली हाउस भी बनाए जाएंगे. इनमें हाइड्रोपोनिक्स तकनीक पर आधारित खेती की जानकारी किसानों को दी जाएगी.

नई तकनीक के लिए किसानों को किया जाएगा जागरूक: सेंटर स्थापित करने का एनसीआरटीसी का उद्देश्य हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को किसानों तक पहुंचाना और इसके बारे में जागरूक करना है. एनसीआरटीसी किसानों को भविष्य की खेती के लिए तैयार करने, उनकी क्षमता विकसित करने और कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले चरण में गाजियाबाद और मेरठ के भूड़ बराल, कादराबाद, नंगला मूसा, असालत नगर, काकरा, शाहपुर, सारा, कनौजा, सिकरिखुर्द आदि गांव में सैकड़ों किसानों को अब तक प्रशिक्षित किया जा चुका है.

आधुनिक तकनीक अपनाने की जरूरत: किसान आमतौर पर पारंपरिक खेती के तरीके अपनाते हैं, जिससे प्रति इकाई क्षेत्र में कम रिटर्न मिलता है. आने वाले दिनों में शहरी विकास के साथ, खेती के लिए उपलब्ध जमीन भी काफी कम हो जाएगी. बदली हुई जनसांख्यिकी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक उत्पादन करने का दबाव तेजी से बढ़ जाएगा.

पॉलीहाउस खेती, ड्रिप सिंचाई खेती, रीट्रैक्टेबल ग्रीनहाउस खेती, हाइड्रोपोनिक्स इत्यादि जैसी आधुनिक कृषि तकनीक पर्यावरण और सामाजिक रूप से सतत होने के साथ-साथ शहरी फार्मिंग तकनीक है. इसके अलावा पारंपरिक कृषि तकनीकों के विपरीत, इन्हें कम पानी की जरूरत पड़ती है. ये मौसम की स्थिति पर बहुत अधिक निर्भर नहीं हैं, जो फसलों पर प्रतिकूल मौसम के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: Delhi Upsc Protest: यूपीएससी में एक्स्ट्रा चांस की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर छात्रों ने किया प्रदर्शन

प्रशिक्षण सत्र होंगे आयोजित: प्रशिक्षण कार्यक्रमों की इस कड़ी में पहले चरण में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के किनारे स्थित 50 से ज्यादा गांवों में रहने वाले लगभग 1500 किसानों के लिए 100 से अधिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जा रहे हैं. इससे किसानों को इन आधुनिक कृषि तकनीकों को सीखकर अपने कौशल को बढ़ाने और अपनी कमाई बढ़ाने का अवसर मिलेगा.

ये भी पढ़ें: दिल्ली: पुलिस कॉलोनी में आधुनिक सुविधाओं से लैस मॉडर्न चिल्ड्रेन पार्क का शुभारम्भ

नई दिल्ली: एनसीआरटीसी मेरठ और गाजियाबाद में किसानों को कृषि के आधुनिक तरीके सिखाएगा. गांववासियों के लिए गाजियाबाद और मेरठ में आरआरटीएस कॉरिडोर के सेंटर स्थापित किया जाएगा. आधुनिक कृषि के नए तरीके सिखाने के लिए दुहाई डिपो में मॉडर्न फार्मिंग डेमोंस्ट्रेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा. एनसीआरटीसी की तरफ से कहा गया है कि दुहाई डिपो की जमीन पर मॉडर्न फार्मिंग डेमोंस्ट्रेशन के लिए पोली हाउस भी बनाए जाएंगे. इनमें हाइड्रोपोनिक्स तकनीक पर आधारित खेती की जानकारी किसानों को दी जाएगी.

नई तकनीक के लिए किसानों को किया जाएगा जागरूक: सेंटर स्थापित करने का एनसीआरटीसी का उद्देश्य हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को किसानों तक पहुंचाना और इसके बारे में जागरूक करना है. एनसीआरटीसी किसानों को भविष्य की खेती के लिए तैयार करने, उनकी क्षमता विकसित करने और कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले चरण में गाजियाबाद और मेरठ के भूड़ बराल, कादराबाद, नंगला मूसा, असालत नगर, काकरा, शाहपुर, सारा, कनौजा, सिकरिखुर्द आदि गांव में सैकड़ों किसानों को अब तक प्रशिक्षित किया जा चुका है.

आधुनिक तकनीक अपनाने की जरूरत: किसान आमतौर पर पारंपरिक खेती के तरीके अपनाते हैं, जिससे प्रति इकाई क्षेत्र में कम रिटर्न मिलता है. आने वाले दिनों में शहरी विकास के साथ, खेती के लिए उपलब्ध जमीन भी काफी कम हो जाएगी. बदली हुई जनसांख्यिकी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक उत्पादन करने का दबाव तेजी से बढ़ जाएगा.

पॉलीहाउस खेती, ड्रिप सिंचाई खेती, रीट्रैक्टेबल ग्रीनहाउस खेती, हाइड्रोपोनिक्स इत्यादि जैसी आधुनिक कृषि तकनीक पर्यावरण और सामाजिक रूप से सतत होने के साथ-साथ शहरी फार्मिंग तकनीक है. इसके अलावा पारंपरिक कृषि तकनीकों के विपरीत, इन्हें कम पानी की जरूरत पड़ती है. ये मौसम की स्थिति पर बहुत अधिक निर्भर नहीं हैं, जो फसलों पर प्रतिकूल मौसम के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं.

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प्रशिक्षण सत्र होंगे आयोजित: प्रशिक्षण कार्यक्रमों की इस कड़ी में पहले चरण में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के किनारे स्थित 50 से ज्यादा गांवों में रहने वाले लगभग 1500 किसानों के लिए 100 से अधिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जा रहे हैं. इससे किसानों को इन आधुनिक कृषि तकनीकों को सीखकर अपने कौशल को बढ़ाने और अपनी कमाई बढ़ाने का अवसर मिलेगा.

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