नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम ने स्वास्थ्य सेवाओं के उन्नयन के उद्देश्य से निगम के दो अस्पतालों राजन बाबू टीबी अस्पताल और महर्षि वाल्मीकि अस्पताल को अलग कर दिया गया है. बता दें कि साल 2017 में तत्कालीन उत्तरी दिल्ली नगर निगम की मंजूरी के साथ इन दोनों अस्पतालों का विलय कर दिया गया था. विलय के बाद दोनों अस्पतालों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. जिसके चलते दोनों अस्पतालों के कामकाज को अलग-अलग करने का निर्णय लिया गया.
नई व्यवस्था के अनुसार दोनों अस्पतालों के प्रशासनिक और वित्तीय मामले अलग-अलग और स्वतंत्र होंगे. चेस्ट, टीबी, सर्जिकल और नेत्र ओपीडी राजन बाबू हॉस्पिटल से संचालित होंगी, जबकि ब्रोंकोस्कोपी और पीएफटी का संचालन भी जारी रहेगा. भविष्य में बाल चिकित्सा ओपीडी भी काम करना शुरू कर देगी. वहीं महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में मेडिसिन, बाल चिकित्सा, ईएनटी (सप्ताह में 4 दिन) और त्वचा ओपीडी (सप्ताह में दो बार) और एंटी-रेबीज क्लिनिक चलाना जारी रखेगा. बाकी सेवाएं पहले की तरह संचालित होती रहेंगी.
राजन बाबू अस्पताल में संबंधित विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों की व्यवस्था के साथ माइकोबैक्टीरियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी और पैथोलॉजी विभाग होगा. हालाँकि यह अस्पताल लैब सेवाओं की स्थापना तक राजन बाबू अस्पताल की लैब सेवाओं का उपयोग करना जारी रखेगा. साथ ही ओटी की उचित स्थापना होने तक राजन बाबू अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर का उपयोग करेगा. इसके अलावा महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में शवगृह कक्ष का प्रावधान होने तक राजन बाबू अस्पताल की शवगृह सेवाओं का उपयोग किया जाएगा.
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राजन बाबू तथा महर्षि वाल्मीकि दोनों संस्थान, अलग होने के बाद भी, आपातकालीन, एम्बुलेंस सेवाओं, प्रयोगशाला, रेडियोलॉजी और विशेषज्ञ सेवाओं के मामलों में पारस्परिक और सहयोगात्मक रुप से कार्य करना जारी रखेंगे. ताकि संसाधनों का कुशल और अधिकतम उपयोग किया जा सके. अधिकारीयों का कहना है कि
दिल्ली नगर निगम दिल्ली की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. रोगियों को सुविधा जनक रुप से सभी स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके. इस पर निरंतर ध्यान दिया जा रहा है.
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