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Last lunar eclipse of 2023: चंद्र ग्रहण के कारण बंद रहेंगे मंदिरों के कपाट, घर पर रखा भोजन हो सकता है दूषित, रखें विषेश ध्यान

28 अक्टूबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है, जिसकी वजह से देश के कई मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे. ग्रहण और सूतक काल के दौरान खाना दूषित हो जाता है. ग्रहण के दौरान खाने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर रखना चाहिए.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 27, 2023, 7:17 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि शनिवार 28 अक्टूबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण पड़ेगा. इस दिन आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि भी है, जिसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. चंद्र ग्रहण भारत में भी रहेगा, जिसके चलते इसका सूतक काल मान्य होगा.

बंद रहेंगे मंदिरों के कपाट

दूधेश्वर पीठाधीश्वर के मुताबिक चंद्र ग्रहण के कारण 28 अक्टूबर को सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर के कपाट दोपहर 3.30 बजे से बंद हो जाएंगे और अगले दिन 29 अक्टूबर को प्रातः आरती के बाद ही भगवान के दर्शन होंगे. शहर के अन्य मंदिरों के कपाट भी शनिवार 28 अक्टूबर को संध्याकाल में बंद रहेंगे.

लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व

श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि चंद्र ग्रहण भारत में 28 अक्तूबर को रात्रि 1 बजकर 6 मिनट से शुरू होगा और रात्रि 2 बजकर 22 मिनट तक चलेगा. चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. ऐसे में शनिवार 28 अक्तूबर को शाम 4 बजकर 44 मिनट से सूतक लग जाएगा जो ग्रहण की समाप्ति तक चलेगा. हिंदू धर्म में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का बहुत अधिक महत्व है. इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि शरद पूर्णिमा पर कौन जाग रहा है. इस कारण से शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.

इस बार नहीं रखी जाएगी खीर

शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है. रात भर चंद्रमा की रोशनी में रहने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं. इस खीर का अगले दिन सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. खीर खाने से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, मगर इस बार शरद पूर्णिमा पर ही चंद्रग्रहण पड़ रहा है. ऐसे में खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना सही नहीं होगा.

ग्रहण से दूषित होगा भोजन

श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद ही खीर बनाना ज्यादा शुभ रहेगा. मान्यता है कि ग्रहण और सूतक काल के दौरान न तो खाना बनाया जाता है और न ही खाया जाता है क्योंकि ग्रहण के कारण वह दूषित हो जाता है. ग्रहण के दौरान खाने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते डालने से वह दूषित नहीं हो पाता है.

ये भी पढ़ें: Sharad Purnima 2023 : शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाएं या नहीं, कब करें माता लक्ष्मी की पूजा जानिए इस खबर में

ये भी पढ़ें: Sharad Poornima 2023: शरद पूर्णिमा पर रहेगा चंद्र ग्रहण का साया, नहीं हो सकेंगे चंद्रमा के दर्शन

नई दिल्ली/गाजियाबाद : श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि शनिवार 28 अक्टूबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण पड़ेगा. इस दिन आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि भी है, जिसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. चंद्र ग्रहण भारत में भी रहेगा, जिसके चलते इसका सूतक काल मान्य होगा.

बंद रहेंगे मंदिरों के कपाट

दूधेश्वर पीठाधीश्वर के मुताबिक चंद्र ग्रहण के कारण 28 अक्टूबर को सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर के कपाट दोपहर 3.30 बजे से बंद हो जाएंगे और अगले दिन 29 अक्टूबर को प्रातः आरती के बाद ही भगवान के दर्शन होंगे. शहर के अन्य मंदिरों के कपाट भी शनिवार 28 अक्टूबर को संध्याकाल में बंद रहेंगे.

लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व

श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि चंद्र ग्रहण भारत में 28 अक्तूबर को रात्रि 1 बजकर 6 मिनट से शुरू होगा और रात्रि 2 बजकर 22 मिनट तक चलेगा. चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. ऐसे में शनिवार 28 अक्तूबर को शाम 4 बजकर 44 मिनट से सूतक लग जाएगा जो ग्रहण की समाप्ति तक चलेगा. हिंदू धर्म में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का बहुत अधिक महत्व है. इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि शरद पूर्णिमा पर कौन जाग रहा है. इस कारण से शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.

इस बार नहीं रखी जाएगी खीर

शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है. रात भर चंद्रमा की रोशनी में रहने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं. इस खीर का अगले दिन सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. खीर खाने से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, मगर इस बार शरद पूर्णिमा पर ही चंद्रग्रहण पड़ रहा है. ऐसे में खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना सही नहीं होगा.

ग्रहण से दूषित होगा भोजन

श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद ही खीर बनाना ज्यादा शुभ रहेगा. मान्यता है कि ग्रहण और सूतक काल के दौरान न तो खाना बनाया जाता है और न ही खाया जाता है क्योंकि ग्रहण के कारण वह दूषित हो जाता है. ग्रहण के दौरान खाने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते डालने से वह दूषित नहीं हो पाता है.

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